
- बड़बोले नेताओं की बन रही कुंडली…
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सत्ता और संगठन की हिदायत और पचमढ़ी प्रशिक्षण के बाद भी भाजपा के नेताओं का बड़बोलापन जारी है। भाजपा के सांसद हो या विधायक हों या फिर पूर्व विधायक या पदाधिकारी सभी को निर्देश है कि वे सोच-समझकर पार्टी की गाइड लाइन के अनुसार ही बयान दें। लेकिन सारे दिशा निर्देशों को दरकिनार कर भाजपा नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे पार्टी की साख पर सवाल उठ रहे हैं। इसको देखते हुए भाजपा बड़बोले नेताओं की कुंडली बना रही है। सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं को संगठन में जगह नहीं दी जाएगी। यही नहीं अगर उनका बड़बोलापन नहीं रूका तो उनको चुनावी टिकट भी नहीं मिलेगा।
दरअसल, भाजपा के नेताओं के बड़बोलेपन पर लगाम नहीं लग पा रही है। ऐसे में पार्टी की गाइडलाइन से इतर बयान देने वाले नेताओं से अब प्रदेश संगठन किनारा करने की तैयारी में है। इनमें जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं, जिन्हें पहले समझाइश दी जाएगी और यदि नहीं माने तो पार्टी नेतृत्व उसे अनुशासनहीनता मानकर कड़े कदम उठाएगा। समझाने के बाद भी यदि नेता और कार्यकर्ता गाइडलाइन से विपरीत जाकर बयान देते हैं, तो उनके खिलाफ एक्शन होने चाहिए। सूत्रों की मानें तो पार्टी ने तय किया है कि यदि कोई विधायक या दूसरे मौजूदा या पूर्व जनप्रतिनिधियों द्वारा ऐसी बयानवाजी की जाती है, जो पार्टी लाइन से हटकर है, तो उनसे संगठन दूरी बना लेगा। बताया जा रहा है कि अब ऐसे बड़बोले नेताओं को संगठन में कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी और इनका टिकट भी खतरे में रहेगा।
बयानों से हो रही किरकिरी
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से मप्र के कई विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्रियों से लेकर कुछ बड़े नेताओं के बयानों से सरकार और दल की किरकिरी हुई है। इस पर प्रदेश नेतृत्व द्वारा ऐसे बयानवीरों को समझाइश भी दी गई। इनमें से कुछ ने तो चुप्पी साध ली, लेकिन कई अब भी ऐसे बयान दे रहे हैं, जिससे पार्टी को अपना बचाव करने में दिक्कत आ रही है। सूत्र बताते हैं कि इससे बचने के लिए पार्टी ने ठोस रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने अनुशासन को प्राथमिकता बताते हुए जिला संगठनों से कहा कि किसी भी स्तर पर अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए। ऐसे नेताओं को भविष्य में न तो संगठन से जुड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी और न उन्हें महत्वपूर्ण काम सौंपे जाएंगे। इन नेताओं को पूरी तरह से हाशिए पर डाल दिया जाएगा। भविष्य में उन्हें न उन्हें न तो कोई राजनीतिक पद ही दिया जाएगा और न ही चुनावी राजनीति के लिए उनके नाम पर विचार होगा। गौरतलब है कि पाक के साथ सीजफायर को लेकर उठे विवादों के बीच भाजपा नेताओं के बयान भी चर्चाओं में रहे हैं। फग्गन सिंह कुलस्ते हों या फिर मनगवां से विधायक नरेन्द्र प्रजापति के कुछ बयान ऐसे थे कि जिसकी सफाई देने में भाजपा संगठन को पसीना आ गया।
इनके कारण पार्टी कटघरे में
पचमढ़ी प्रशिक्षण के बाद भाजपा को उम्मीद थी कि पार्टी के नेता सोच-समझकर बोलेंगे। लेकिन बड़बोले नेताओं पर उसका असर नहीं दिख रहा है। इनमें गुना से विधायक पन्नालाल शाक्य का बयान सुर्खियों में है। उन्होंने कहा था कि भारत में भी नेपाल जैसे हालात बन सकते हैं और देश में गृह युद्ध जैसी स्थिति बन सकती है। इसलिए हमें अपने युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण दिलाना चाहिए। शाक्य का ये बयान कोई पहला नहीं है, इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि प्रशासन उन्हें गंभीरता से नहीं लेता, सिर्फ कुछ खास नेताओं की ही सुनी जाती है। उन्होंने पार्टी पर आरोप लगाया कि वे एससी वर्ग से आते हैं, इसलिए उनकी आवाज दबा दी जाती है। नेपाल वाले बयान पर प्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी आशीष ऊषा अग्रवाल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि पार्टी ऐसे बयान का समर्थन नहीं करती है। पिछोर विधायक प्रीतम लोधी तो कई बार अपने बयानों की वजह से पार्टी संगठन द्वारा तलब किए जा चुके हैं। उनके द्वारा स्थानीय प्रशासन और प्रभारी मंत्री के खिलाफ लगातार आवाज उठाई जाती रही है। शिवपुरी विधायक देवेन्द्र जैन भी भ्रष्टाचार की बात करते हुए सरकार और पार्टी को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं। सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह और मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने आरोप लगाया था कि उन्हें पुलिस पुलिस की ओर से लगातार धमकियां मिल रही हैं। पूर्व गृहमंत्री व खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह अपनी ही पार्टी भाजपा और कांग्रेस दोनों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि दोनों ही उनके खिलाफ कोई साजिश रच रहे हैं।