
- लंबे समय तक खाक छानने के बाद हाथ खाली के खाली
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार के मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा की तलाश में पुलिस और जांच एजेंसियों के हाथ खाली ही हैं। सौरभ शर्मा कहां है, इसका अभी तक पुलिस और एजेंसियां पता नहीं लगा पाई हैं। कुल मिलाकर लोकायुक्त पुलिस, ईडी सहित सभी एजेंसियां नाकाम रही हैं।
सूत्रों की मानें तो सोमवार को सौरभ अपने वकील के साथ कोर्ट पहुंचा और उसने समर्पण का आवेदन भी दायर किया, लेकिन किसी एजेंसी को इसकी भनक नहीं लग पाई। इस मामले में बड़ा सवाल यह है कि विदेश तक से गिरफ्तार कर देश में लाने का दावा करने वाली एजेंसियों को पता क्यों नहीं चला। गौरतलब है कि मप्र के परिवहन विभाग में हुए काले धन के घोटाले के मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा की तलाश तेजी से जारी है, लेकिन अब तक उसकी गिरफ्तारी में कोई सफलता नहीं मिली है। जांच में शामिल विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियां-लोकायुक्त पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग भी अब तक खाली हाथ हैं। सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है, जबकि दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने समन जारी किए हैं। इसके साथ ही एजेंसियों ने उसको पकडऩे की खानापूर्ति पूरी कर दी है। सौरभ शर्मा के बारे में लोकायुक्त की तरफ से बताया गया था कि वह संभवत: दुबई में हो सकता है, लेकिन अब एजेंसियों को सौरभ शर्मा और उसकी पत्नी दिव्या शर्मा के भारत में ही छिपे होने के इनपुट मिले हैं। यह भी बताया जा रहा है कि वह अपने परिजनों से भी संपर्क में है।
पुलिस की इंटेलिजेंस फेल
सौरभ शर्मा के खिलाफ प्रदेश की लोकायुक्त और दो नेशनल एजेंसी आयकर एवं ईडी जांच कर रही हैं। तीनों जांच एजेंसियों को 41 दिन से उसकी तलाश है। यहां तक कि उसके विदेश होने की आशंका के चलते लुक आउट नोटिस तक जारी किया जा चुका है। सूत्रों की मानें तो सोमवार को सौरभ अपने वकील के साथ कोर्ट पहुंचा और उसने समर्पण का आवेदन भी दायर किया, लेकिन किसी एजेंसी को इसकी भनक नहीं लग पाई। इस मामले में बड़ा सवाल यह है कि विदेश तक से गिरफ्तार कर देश में लाने का दावा करने वाली एजेंसियों को पता क्यों नहीं चला। इस पूरे मामले ने जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े किए हैं। सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या सौरभ शर्मा को सरेंडर करने के लिए समय दिया जा रहा था। क्या 41 दिन तक जांच एजेंसियों तलाशने की नौटंकी कर रही थी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। सौरभ शर्मा के पिता स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर थे, उनकी मृत्यु के बाद सौरभ ने अनुकंपा नियुक्ति मिली थी।
स्वास्थ्य विभाग में पद नहीं होने पर सौरभ को परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर 2016 में नियुक्ति मिली थी। इस बीच सौरभ शर्मा की नियुक्ति की तरफ से दिए गए शपथ पत्र को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जिसमें बताया जा रहा है कि उसमें गलत जानकारी देकर नौकरी पाई गई। सौरभ ने सिर्फ 2023 तक सात साल काम किया और अकूत संपत्ति कमाई। सौरभ परिवहन विभाग की चेकपोस्ट से होने वाली अवैध कमाई का कलेक्शन करने काम करता था।
सोना लदी कार आईटी ने जब्त की थी
लोकायुक्त की कार्रवाई के बीच ही भोपाल के मेंडोरी गांव में आयकर विभाग की टीम ने सोना लदी कार जब्त की। इस कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए जब्त किए गए। यह कार सौरभ के करीबी चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। इस कार्रवाई के सात दिन बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सौरभ और उसके करीबियों के भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में ईडी ने 23 करोड़ रुपए की चल संपत्ति जब्त की। हाल ही ईडी ने भोपाल, ग्वालियर और पुणे में सौरभ शर्मा से जुड़े लोगों के ठिकानों पर कार्रवाई की। इसमें 12 लाख रुपये केस, 9.9 किलोग्राम चांदी और डिजिटल डिवाइस, प्रापर्टी के दस्तावेज डिजिटल डिवाइस में भी बरामद किए गए हैं। इसके अलावा बैंक खातों में 30 लाख रुपये जब्त किए हैं। मैडोरी में मिली कैश और गोल्ड से भरी इनोवा से एक डायरी भी मिली थी जिसमें कई बड़े नेताओं और अफसरों के नाम है। इसलिए इस मामले के खुलासे में भी संदेह है। भ्रष्टाचार के सभी हाई प्रोफाइल आरोपियों को नाम उजागर होंगे, इस पर संशय है। इस मामले में जांच एजेंसियों का कोई अफसर बात करने को तैयार भी नहीं है। सौरम के वकील ने स्पष्ट रूप से मीडिया के सामने दावा किया कि सौरभ को अपने साथ कोर्ट लेकर पहुंचा और उसके समर्पण के लिए आवेदन भी लगाया। इस मामले में लोकायुक्त एसपी ने भी किसी प्रकार के सरेंडर या सौरभ के कस्टडी में होने की पुष्टि नहीं की।
आज डायरी के साथ जांच अधिकारी को बुलाया
इस मामले में आज लोकायुक्त के विवेचक को केस डायरी के साथ हाजिर रहने के निर्देश दिए हैं। सरेंडर के मामले में कोर्ट सुनवाई शुरू कर देगा। हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण सुनवाई के दौरान अदालत में सुरक्षा व्यवस्था के लिए स्थानीय पुलिस टीम भी मौजूद रहेगी। इस दौरान इंडी और आयकर के अफसर भी अदालत पहुंच सकते हैं, क्योंकि उस पर मनी लॉड्रिग का केस भी है। 50 किलो सोना और 11 करोड़ नगदी से भी इनोवा के मामले में भी सौरभ से पूछताछ की जानी है।