
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में नए शिक्षण सत्र की शुरुआत आज से हो चुकी है, लेकिन अब तक स्कूलों में इस सत्र के लिए नई किताबें ही नहीं पहुंची हैं, लिहाजा विभाग ने इसके अभाव में शिक्षकों को पुरानी किताबें जुटाने में लगा दिया है। खास बात यह है कि किताबें न आने की वजह से बच्चे पड़ाई कैसे करेंगे यह सवाल खड़ा हो रहा है। इस मामले में जिम्मेदार अफसर किताबें डिपो को भेज देने का कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को फ्री में किताबें प्रदान की जाती हैं। इस अव्यवस्था की वजह से पाठ्यपुस्तक निगम की पोल खुल गई है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पुस्तकों के अभाव में हाल ही में जारी निर्देश में शिक्षकों से कहा गया है कि नई किताबों के अभाव में वे बीते साल के छात्रों से पुरानी पुस्तकें जमा कराए और उन्हें नए छात्रों को पढ़ाई के लिए वितरित कर व्यवस्था बनाएं। ऐसे में अब शिक्षकों को पड़ाई के साथ ही पुरानी किताबें जुटाने की मुहिम में भी लगना पड़ रहा है। यह बात अलग है कि इस नए सत्र की शुरुआत कोरोना संक्रमण के डर से ऑनलाइन कक्षाओं से हो रही है। फिलहाल कक्षा दसवीं से लेकर बारहवीं तक की कक्षाएं शुरू की गई हैं। इस मामले में पाठ्यपुस्तक निगम का तर्क है कि उसके द्वारा अब तक 80 फीसद किताबें डिपो तक भेजी जा चुकी हैं।
आठवीं तक के बच्चों के लिए कार्यक्रम तैयार
कक्षा आठवीं तक के बच्चों में शिक्षा की समझ और भावनात्मक विकास के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया गया है। जिसे विभाग द्वारा ‘आओ सीखें’ नाम दिया गया है। यह कार्यक्रम 15 जुलाई तक ऑनलाइन चलाया जाएगा। इसको बच्चों के अभिभावकों के वाट्सअप ग्रुप पर भेजा जाएगा। इसके लिए अलग-अलग छोटे-छोटे आडियो और वीडियो तैयार कराए गए हैं। इसके बाद बच्चों को ‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ नाम से एक अभ्यास पुस्तिका का भी वितरण करने की तैयारी है, जिससे यह पता लगाया जाएगा की बच्चों की कितनी प्रारंभिक समझ विकसित हुई है। इसके लिए सभी जिला परियोजना समन्वयकों को छपवाकर 15 जुलाई से पहले वितरित करवाने के निर्देश दिए गए हैं।
मेल से भेजी जा रही 48 पेज की सामग्री
राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा हमारा घर हमारा विद्यालय नामक अभ्यास पुस्तिका के लिए 48 पेज की सामग्री तैयार की गई है। जिसे सभी जिलों को मेल के माध्यम से भेजा जा रहा है। इसमें कक्षा 1 से लेकर पांच तक की पुस्तिका को रंगीन और कक्षा 6 से 8 तक के लिए श्वेत श्याम प्रिंट कराने को कहा गया है। इसके साथ ही इसे हर हाल में बच्चों तक 15 जुलाई से पहले भेजने के भी निर्देश दिए गए हैं। दरअसल बीते साल से शुरू हुए कोरोना संक्रमण की वजह से प्रदेश में एक साल से अधिक समय से स्कूल बंद चल रहे हैं। इस वजह से स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए कई चरणों की योजना तैयार की गई है।