
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय प्रदेश का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसे बीते तीन सालों से लगातार एनसीटीई से बीएड की मान्यता नहीं मिल पा रही थी, इसके बाद भी विवि प्रबंधन ने जरुरी कदम नहीं उठाए जिसकी वजह से एक बार फिर से लगातार इस साल एनसीटीई ने मान्यता देने से इंकार कर दिया है। इसकी वजह से इस विभाग को बीते सालों की ही तरह इस साल भी फूटी कौड़ी की आय नहीं होगी।
इसके बाद भी विवि प्रबंधन को हर साल विभाग पर लाखों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। अब हाल यह है की इस साल भी बीते सालों की ही तरह विवि प्रशासन द्वारा बीएड के मामले में जीरो ईयर घोषित करने की स्थिति बन गई है। दरअसल बीएड की मान्यता न मिलने की एक मात्र बड़ी वजह है विवि प्रबंधन द्वारा विभाग में प्रोफेसरों का अभाव होना। इसकी वजह से इन सालों में अब तक विवि को इस विभाग के संचालन पर करीब 80 लाख रुपये का फटका लग चुका है। अब इस साल भी एनसीटीई से मान्यता नहीं मिलने की वजह से बीयू को विभाग पर फिजूल खर्ची करना होगी। दरअसल बीयू के बीएड विभाग की मान्यता एनसीटीई द्वारा निरस्त कर दिए जाने से एक बार फिर से उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आगामी सत्र 2022-23 की आयोजित होने वाली काउंसलिंग में बीयू को बाहर रखा है। इससे बीयू को बीएड में एक भी प्रवेश नहीं में मिलेगा, जिससे बीयू को कोई आय नहीं आएगी। हालांकि विगत तीन सत्रों से बीयू के बीएड विभाग को एनसीटीई ने मान्यता नहीं दी है, जिसके कारण उन्हें तीनों सत्रों में एक भी प्रवेश नहीं मिला है। वहीं तीन सत्रों से विभाग में कार्यरत गैर शैक्षणिक स्टाफ और नियुक्त निदेशक के वेतन और अन्य खर्च में सालाना साढ़े 27 हजार रुपये खर्च हुये हैं। तीन साल में बीयू विभाग में करीब 80 लाख रुपये खर्च कर चुका है। इस फिजूल खर्ची की जिम्मेदारी लेने बीयू का कोई भी अधिकारी तैयार नहीं हैं।
छात्रों को करना पड़ गया था दूसरी जगह शिफ्ट
विभाग ने तीन साल पहले प्रथम राउंड में बीएड कोर्स में प्रवेश कराने के लिए जोर दिया था। इसी बीच एनसीटीई ने उनकी मान्यता समाप्त कर दी थी। इसलिए प्रथम राउंड में पचास सीटों में से 15 विद्यार्थियों को दूसरे निजी कॉलेजों में शिफ्ट कर दिया गया था और बीएड में जीरो प्रवेश कर दिए गए थे। बीयू ने प्रवेश लेने के लिए हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है।
कुलपति राव साबित हो रहे हैं अक्षम
चार साल पहले एनसीटीई ने शिक्षकों की नियुक्ति करने सशर्त प्रवेश की अनुमति दी थी। तीन साल के कार्यकाल में कुलपति आरजे राव नियमित के स्थान पर संविदा शिक्षकों तक की नियुक्तियां नहीं कर सके हैं। वे तीन साल से नियुक्तियों को लेकर हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। जबकि राज्य के दूसरे विवि नियमित प्रोफेसरों के अभाव में संविदा और गेस्ट फैकल्टी से टीचिंग स्टाफ की पूर्ति कर एनसीटीई से मान्यता लेकर बीएड में प्रवेश कराकर डिग्री दे रहे हैं।