नाथ के 70 जिताऊओं की घोषणा अगले माह

कमल नाथ

नया साल शुरू होते ही नाम तय करने की कवायद हो जाएगी शुरू

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव होने में महज दस माह का समय ही रह गया है।  ऐसे में प्रदेश में भाजपा के साथ ही कांग्रेस में भी चुनावी तैयारियां तेजी से जारी हैं। अब नए साल के पहले ही हफ्ते में कांग्रेस ने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर ली है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष इस बार जीत की संभावना वाले मौजूदा करीब सत्तर  विधायकों के नामों को अगले माह हरी झंडी दे देंगे, जिससे की उन्हें अपने इलाके में चुनावी प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिल सके और वे आस- पास की हारी हुई सीटों पर भी पार्टी के लिए माहौल बनाने का काम कर सकें। नाथ ने इसके लिए पूरी योजना तैयार कर ली है। इसके बाद उन इलाकों के नामों को भी हरी झंडी दी जाएगी जो भले ही अभी विधायक नहीं हैं, लेकिन उनकी जीत की सर्वाधिक संभावना है। इसके लिए पार्टी अलग-अलग स्तर से नामों की तलाश कर रही है। दरअसल  प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा कराए गए हालिया सर्वे में लगभग 70 विधायकों की जीत की संभावना जताई गई है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने  ऐसे विधायकों को अगले एक दो माह में चुनावी तैयारी करने को कहना तय कर लिया है। पार्टी के पास मौजूदा दो दर्जन विधायकों की स्थिति डगमग लग रही है, जिन्हें स्थिति सुधारने को कहा जा चुका है, इसके साथ ही उनकी जगह नए चेहरों की भी गोपनीय तरीके से तलाश शुरू कर दी गई है। प्रदेश कांग्रेस की रणनीति है कि वह आगामी छह माह यानि की जून तक सभी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर उन्हें चुनावी तैयारी का संदेश दे दे। इसके साथ ही यह भी तय कर लिया गया है कि प्रत्याशी चयन का काम आम सहमति के आधार पर किया जाएगा।
निकाय चुनाव की तरह होगी प्रक्रिया
विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए पिछले सप्ताह कमलनाथ ने जिला प्रभारियों की बैठक की थी, जिसमें प्रभारियों को प्रत्याशी चयन के लिए सहयोगी संगठनों से फीडबैक लेने के निर्देश दिए गए थे। नगरीय निकाय चुनाव में जिला व ब्लाक स्तर से प्रस्तावित और सर्वे में जिनके नाम आए थे, उनमें से ही प्रत्याशी तय किए गए थे, जिसके परिणाम अच्छे मिले थे। इसके तहत जिला प्रभारी पहले सभी सहयोगी संगठनों से नाम लेंगे। गुण-दोष के आधार पर विचार-विमर्श होगा और फिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के समक्ष नाम रखे जाएंगे।
इन चेहरों का चयन तय
पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे में ऐसे नौ नाम सामने आए हैं, जो पहले कभी चुनाव नहीं लड़े हैं या फिर पहले हार चुके हैं। इनमें से कुछ चेहरे तो उन सीटों पर सामने आए हैं, जो कांग्रेस के लिए सर्वाधिक मुश्किल वाली सीटें मानी जाती हैं। इनमें बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश के खिलाफ दीपक जोशी पिंटू का नाम है। वे पूर्व मंत्री महेश जोशी के बेटे और कांग्रेस नेता अश्विन जोशी के चचेरे भाई हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मौजूदा विधायक कांतिलाल भूरिया के स्थान पर उनके बेटे विक्रांत को चुनाव के लिए बेहतर माना गया। विक्रांत युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसी तरह बुधनी सीट पर शिवराज सिंह के सामने प्रदेश सचिव अर्जुन आर्य का नाम बताया जा रहा है। इंदौर-5 सीट पर भी इस बार कांग्रेस युवा चेहरा उतारने की तैयारी कर रही है। यहां पर स्वप्निल कोठारी का नाम सर्वे में आया है। इसी तरह से गुना सीट पर 6 बार के विधायक गोपीलाल जाटव के सामने नए चेहरे  पूर्व जिला पंचायत सदस्य रह चुके लालजीराम जाटव का तो भोपाल की नरेला सीट पर प्रदेश कांग्रेस के सचिव मनोज शुक्ला का गुना जिले की बमौरी सीट पर ऋषि अग्रवाल का और पृथ्वीपुर में दिवंगत नेता बृजेंद्र सिंह राठौर के बेटे नितेंद्र राठौर की स्थिति बेहतर बताई गई है। हालांकि इस सीट पर उप चुनाव में नितेंद्र को हार का सामना करना पड़ा था।
कई स्तर से मांगे जा रहे हैं नाम
खास बात यह है कि इस बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी और कमलनाथ द्वारा मैदानी स्तर तक से संभावित प्रत्याशियों के नामों की जानकारी भी मांगी गई है। इनमें जिला व संभाग प्रभारियों के साथ ही जिलाध्यक्षों की भूमिका बेहद अहम रहने वाली है। इसके अलावा पार्टी द्वारा हाल ही में नियुक्त किए गए संगठन मंत्रियों की रिपोर्ट भी नाम तय करने का जरिया बनने वाली है। इन सभी संगठन के नेताओं से संबंधित क्षेत्रों के लिए नामों का पैनल लिया जाएगा, जिसके बाद हर नाम पर बेहद गंभीरता से विचार विमर्श करने के बाद नामों की घोषणा की जाएगी। बताया जा रहा है कि इन नामों को तय करने के पहले पार्टी एक और सर्वे कराएगी।
इन सीटों पर भी पहले तय होंगे नाम
पार्टी ने ऐसी 69 सीटों की सूची तैयार की है, जहां पर सालों से जीत नसीब नही हुई है। ऐसी सीटों पर छह माह  पहले उम्मीदवार तय करने की सिफारिश की गई है। सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि इन सीटों पर उम्मीदवारों के पास जनता के पास जाने का पर्याप्त समय होना चाहिए। इसके साथ ही इनमें अभी से पार्टी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करने की भी सिफारिश की गई है। इनमें प्रमुख रुप से रीवा,  रेहली, सागर, बीना, नरयावली, गुना, शिवपुरी, दतिया, जबलपुर कैंट, पनागर, सिहोरा ग्रामीण, गोविंदपुरा, मंदसौर, इंदौर-4, उज्जैन उत्तर, देवास , रतलाम शहर, होशंगाबाद, पिपरिया, खंडवा, जबलपुर कैंट व बालाघाट की सीटें शामिल हैं।

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