
- सहयोगी दलों के नेताओं से माने जाते हैं करीबी संबंध
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव में मिली कांग्रेस को हार के बाद से बेहद कम सक्रिय दिख रहे पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को पार्टी फिर राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय करने जा रही है। इस बार वे बड़ी भूमिका में नजर आएंगे। वे कांग्रेस में ऐसे नेता हैं, जिनकी सभी दलों के बड़ें नेताओं के साथ व्यक्तिगत रूप से बेहद अच्छे संबंध हैं। फिर चाहे सहयोगी दल हों या फिर विपक्षी। माना जा रहा है कि यही वजह है कि पार्टी आलाकमान उन्हें अब केन्द्रीय स्तर पर समन्वयक की भूमिका में देखना चाहता है। उनके समन्वयक बनने से पार्टी को उनके पुराने संबंधों का फायदा मिलना तय है। हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी मंगलवार को कमल नाथ के घर पहुंचे। दोनों के बीच हुई लंबी चर्चा के बाद अब यह माना जा रहा है कि कमल नाथ जल्द ही नई भूमिका में दिखाई देंगे। राहुल के उनके घर पहुंचने से उनकी नई भूमिका को लेकर बीते दो दिनों से कयासों का दौर चल रहा है। राहुल गांधी के कमलनाथ के बंगले पर पहुंचने और उनके घर पर दो घंटे तक रुकने से उन कयासों पर भी विराम लग गया है, जो मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों मिली करारी हार के बाद कमलनाथ और राहुल गांधी के बीच बढ़ती दूरियों के रूप में लगाए जा रहे थे। इसको तब और बल मिला था, जब कमलनाथ की जगह जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप दी गई थी। इस बीच उनके भाजपा में जाने की अटकलें भी लगाई गई। लोकसभा चुनाव में भी वे अपनी परंपरागत सीट छिंदवाड़ा तक ही सीमित रहे थे। यहां पुत्र नकुल नाथ को हार मिलने के बाद उनकी सक्रियता में कमी आई थी, लेकिन पिछले डेढ़-दो माह से कमल नाथ ने एक बार फिर सक्रियता तेज कर दी है। वे प्रदेश कांग्रेस द्वारा आयोजित किसान न्याय यात्रा में छिंदवाड़ा में शामिल हुए। ब्लाक और विधानसभा अध्यक्ष बदलवाने में उनकी भूमिका रही। अब राहुल गांधी के उनके आवास पहुंचने, और उसके साथ दोपहर का भोजन करने के दौरान हुई लंबी चर्चा को हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के संदर्भ में आगामी चुनावों से जोडक़र देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी कमल नाथ के विभिन्न पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं से गहरे संबंधों को उपयोग करेगी। महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार हों या फिर शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) के उद्धव ठाकरे या फिर कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता, कमल नाथ के सबसे उनके अच्छे संबंध हैं। सहयोगी दलों के बीच समन्वय बनाने का काम पार्टी द्वारा कमलनाथ को सौंपा जा सकता है। इसके साथ ही, उन्हें संगठन से जुड़ा भी कोई दायित्व मिल सकता है।
कांग्रेस खेल सकती है आदिवासी कार्ड
मध्य प्रदेश में 13 नवंबर को बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होना है। कांग्रेस विजयपुर सीट पर इस बार आदिवासी कार्ड खेल सकती है। यहां से अभी तक पार्टी का चेहरा अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले रामनिवास रावत रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले वे कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो गए थे और अभी मोहन सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री हैं। उनका उपचुनाव लडऩा लगभग तय है। इसे देखते हुए पार्टी आदिवासी चेहरा आगे करने की तैयारी में है। क्षेत्र में आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। उधर, बुधनी विधानसभा सीट के लिए संभावित प्रत्याशी का नाम प्रस्तावित करने के लिए पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने समिति के सदस्यों के साथ बैठक की। श्योपुर विधानसभा सीट से रामनिवास रावत छह बार विधायक रहे हैं। 2023 में उन्होंने भाजपा के बाबूलाल मेवरा को 18,059 मतों से पराजित किया था। 2018 में यहां से भाजपा के सीताराम आदिवासी विधायक चुने गए थे। कांग्रेस ने यहां से अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया, लेकिन जब भी आदिवासी प्रत्याशी मैदान में रहा जीत-हार का अंतर कम ही रहा है क्योंकि, यहां आदिवासी मतदाता प्रभावी भूमिका में रहते हैं। रावत के भाजपा में जाने के बाद स्थानीय स्तर पर सामने आई नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस पहले सीताराम आदिवासी को साधने का प्रयास कर रही थी। भाजपा को भी इसका अंदाजा था। इसलिए उन्हें सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाकर नाराजगी दूर कर दी गई है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में 44,891 मत लेकर तीसरा स्थान बनाने वाले निर्दलीय प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा पर दांव लगा सकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी प्रत्याशी चयन समिति के सदस्यों के साथ बैठकें कर रहे हैं और इसमें जिस नाम पर सहमति बन जाएगी, उसका नाम प्रस्तावित कर दिया जाएगा। यही स्थिति बुधनी विधानसभा क्षेत्र को लेकर भी है। प्रत्याशी चयन के लिए भेजी गई समिति की बुधवार को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के आवास बैठक हुई। इसमें पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ता द्वारा सुझाए गए नामों पर विचार किया गया। यादव ने बताया कि सभी स्तर पर चर्चा के बाद अब संभावित प्रत्याशी के नाम प्रस्तावित किए जाएंगे। दो दिन में निर्णय हो जाएगा।
अपनी भूमिका पर बात नहीं
बता दें, प्रदेश कांग्रेस की बागडोर संभालने के पहले कमलनाथ राष्ट्रीय राजनीति में ऐ बार फिर से सक्रिय थे। वे पूर्व में न केवल केंद्रीय मंत्री बल्कि पार्टी में भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। इस बीच, कमल नाथ ने मुलाकात को लेकर कहा कि गांधी परिवार से हमारा वर्षों पुराना और पारिवारिक नाता है। राहुल गांधी पार्टी के नेता हैं। आगामी विधानसभा चुनाव और संगठन से लेकर सभी विषयों पर चर्चा हुई है। अपनी भूमिका को लेकर मैंने कभी कोई बात नहीं की।