नाथ और अरुण को मिलेगी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी

नाथ और अरुण
  • कमलनाथ के अनुभव का पार्टी लाभ लेने की तैयारी में  

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। अहमदाबाद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के दिग्गज नेता खुद  शामिल हुए है। इसमें प्रदेश से भी करीब आधा सैकड़ा  बड़े नेता भी शामिल होने के लिए अहमदाबाद गए थे।  अधिवेशन के दौरान पार्टी ने कई बड़े फैसलों पर भी विचार किया। इसी कड़ी में प्रदेश को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। अंदर खाने की खबर है कि कांग्रेस प्रदेश के दो दिग्गज नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है। दरअसल, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पूर्व सीएम कमलनाथ और पूर्व केंन्द्रीय मंत्री अरूण यादव को राष्ट्रीय स्तर पर  जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। चर्चा है कि कांग्रेस अरूण यादव को ओबीसी का चेहरा बनाना चाहती है। तो वही ंकमलनाथ के लंबे राजनीतिक अनुभव का इस्तेमाल करते हुए उन्हें दिल्ली की राजनीति में फिर से लाना चाहती है।
अधिवेशन के बाद ऐलान!
वर्तमान में मध्यप्रदेश से दिग्विजय सिंह एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो कांग्रेस की राष्ट्रीय टीम में नजर आते है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान अब प्रदेश से अरूण यादव और कमलनाथ को भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी कर रही है। अगर दोनों नेताओं को जिम्मेदारी दी जाती है तो दिल्ली में एमपी कांग्रेस के नेताओं का दबदवा बढऩा तय है। हालांकि दोनों को क्या जिम्मेदारी दी जाएगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन कांग्रेस सूत्रों की माने तो अधिवेशन के समापन के बाद अब जल्द ही दोनों नेताओं को नई जिम्मेदारी देने का जल्द ही   ऐलान किया जाएगा।
नाथ को जिम्मेदारी क्यों?
साल 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद कमलनाथ ने पीसीसी चीफ के पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद से नाथ ने प्रदेश की राजनीति से दूरियां बना ली थी। एमपी की राजनीति में एक्टिव होने से पहले कमलनाथ दिल्ली की राजनीति में एक्टिव थे, उनकी गांधी परिवार के सबसे करीबियों में गिनती की जाती है। ऐसे में कांग्रेस नाथ के राजनीतिक अनुभव का फिर से फायदा उठाना चाहती है। उन्हें एक अच्छा रणनीतिकार माना जाता है। इसी के चलते नाथ को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए राहुल गांधी बड़ी तैयारी कर रहे है।
नहीं बैठ रही पटवारी से पटरी
दरअसल प्रदेश कांग्रेस की कमान मिलने के बाद पटवारी ने संगठन से धीरे-धीरे कमलनाथ सर्मथकों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए अपनी पसंद के चेहरों को बिठाया है। इससे कमलनाथ पटवारी से नाराज  बताए जाते हैं। इसके अलावा कार्यकारिणी में भी कमलनाथ सर्मथकों को वैसा महत्व नहीं मिला है, जैसा मिलना चाहिए था। उधर, प्रदेश में यही हाल अरुण यादव समर्थकों का भी है। इसकी वजह से इन दोनों नेताओं ने प्रदेश में अपनी सक्रियता बेहद सीमित कर रखी है, जबकि दोनों ही नेताओं का अपने-अपने इलाकों में बड़ा प्रभाव है। इन दोनों नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी मिलने पर जहां उनके समर्थकों में उत्साह बढ़ेगा वहीं दोनो ही नेताओं की सक्रियता भी बढ़ जाएगी।
ओबीसी का बड़ा चेहरा बनाने की कवायद
कमलनाथ के अलावा कांग्रेस आलाकमान ओबीसी नेता अरूण यादव को राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में लाना चाहती है। अरूण यादव बीते कई सालों से लाइमलाइट से बाहर है। हालांकि वे समय-समय पर एक्टिव दिखाई देते है। राजनीति पंडितों की माने तो कांग्रेस राहुल गांधी का इस समय फोकस ओबीसी वर्ग पर है, अरूण यादव भी ओबीसी वर्ग से आते है। ऐसे में कांग्रेस अरूण यादव के अनुभव का फायदा उठाना चाहती है। अरूण यादव कांग्रेस की सरकार में केंन्द्रीय मंत्री भी रहे है। वे एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके है। खास बात तो यह है कि प्रदेश के मुखिया मोहन यादव ओबीसी से आते है। अरूण यादव और मोहन यादव मालवा के बड़े चेहरे माने जाते है। ऐसे में कांग्रेस एमपी में मोहन यादव की काट के लिए अरूण यादव को आगे कर सकती है। उनका फायदा पार्टी को बिहार में भी मिल सकता है। अरूण यादव कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी नेताओं में से एक है।

Related Articles