नल जल योजना: दो विभागों में ठनी

नल जल योजना
  • अपने-अपने हिसाब से योजना के संचालन व संधारण की जिद पर अड़े

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जल जीवन मिशन योजना प्रदेश सरकार के लिए नई मुसीबत बन गई है। इस योजना पर तमाम जनप्रतिनिधियों से लेकर जनता तक सवाल खड़ी कर रही है। इस बीच योजना के संचालन व संधारण को लेकर अब दो विभाग आमने -सामने आ गए हैं। यह वे दोनों विभाग हैं, जिन्हें संयुक्त रुप से प्रदेश में मिशन के तहत संचालित की जाने वाली नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण की नई पॉलिसी तैयार करने का जिम्मा दिया गया है। यह दोनों विभाग हैं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग। दोनों विभागों द्वारा  पॉलिसी तैयार करने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है, लेकिन मामला जाकर इसके संचालन व संधारण के लिए किए जाने वाले प्रावधान पर जाकर अटक गया है। इसकी वजह है दोनों विभागों की अपने-अपने हिसाब से योजनाओं के संचालन व संधारण को लेकर जिद पकड़ लेना । इसकी वजह से अब पॉलिसी को अंतिम रूप देने का काम अटक गया है। इससे अब पूरा मामला मुख्य सचिव तक जाना तय है। माना जा रहा है कि अब इसका फैसला मुख्य सचिव द्वारा ही किया जाएगा। सूत्रों की माने तो निर्माण कार्य पूरा होने के बाद समूह नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण का जिम्मेदारी 10 साल तक संबंधित ठेकेदार की होगी। इस संबंध में जल जीवन मिशन की पॉलिसी में स्पष्ट प्रावधान किया गया है, लेकिन एकल नल-जल योजनाओं का संचालन एवं संधारण कैसे होगा, इसको लेकर पॉलिसी में कोई प्रावधान ही नहीं किया गया है। इसकी वजह से पीएचई ने नई पॉलिसी तैयार करने की पहल की है। यह पॉलिसी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ मिलकर तैयार की जा रही है। पीएचई अधिकारियों का कहना है कि पूर्व के अनुभव को देखते  हुए हम नहीं चाहते की एकल नलजल योजनाएं फेल हो जाएं, इसलिए हमारी मंशा है कि किसी बड़ी एजेंसी को हायर कर उसे इन योजनाओं का काम देने की है, जबकि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग चाहता है कि एकल नल जल योजनाओं का संचालन एवं संधारण का काम ग्राम पंचायतों के पास रहे, इसके लिए नीति में प्रावधान किया जाए। कई दौर की उच्च स्तरीय बैठकों के बाद भी दोनों विभागों के बीच एकल नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण के मामले में एक राय नहीं बना की हैं। यही वजह है कि अब इस मामले को मुख्य सचिव के पास ले जाने का तय किया गया है।  
इस साल काम पूरा करने का लक्ष्य
प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत 27 हजार 990 गांवों में एकल नल जल योजनाओं के माध्यम से पानी की सप्लाई की जानी है। सरकारी दावों को माने तो इसका 90 प्रतिशत पूरा हो गया है। पीएचई विभाग ने दिसंबर, 2025 तक यह काम पूरा करने का लक्ष्य तय किया हुआ है। इसके तहत प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र के करीब एक करोड़ 11 लाख घरों तक एकल और समूह नल जल योजनाओं के जरिए नलों से जल पहुंचाया जाना है। इनमें से 80 लाख से ज्यादा घरों में नल से पानी की सप्लाई शुरू हो चुकी है जबकि शेष घरों तक पानी पहुंचाने के लिए काम किया जा रहा है। इस मामले में बुरहानपुर और निवाड़ी हर घर जल प्रमाणित जिले बन चुक हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में जल जीवन मिशन पर शुरुआत से ही गंभीर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। मिशन में भ्रष्टाचार, पाइप लाइन बिछाने के बाद सडक़ों का रेस्टोरेशन नहीं किए जाने और ठेकेदारों द्वारा काम पूरा नहीं किए जाने के मामले कई बार विधानसभा तक में विधायकों द्वारा उठए जा चुके हैं। बीते साल जुलाई के मानसून सत्र में तो विधायकों ने जल जीवन मिशन को लेकर एक सैकड़ा से अधिक सवाल पूछे थे।
चार साल आगे बढ़ाना पड़ा लक्ष्य  
प्रत्येक गांव के हर घर में नल से पानी की सप्लाई के लिए केंद्र सरकार ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन शुरु किया था। यह काम पूरा करने का लक्ष्य तब मार्च, 2024 तय किया गया था, लेकिन इस अवधि में मप्र सहित अन्य प्रदेशों की सरकारों ने काम पूरा करने में रुचि नहीं ली, जिसकी वजह से केन्द्र सरकार को इसकी अवधि में चार साल की वृद्वि करनी पड़ी है। अब इस को को पूरा करने की अवधि 2028 तक कर दी गई  है। इसकी घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट-2025 के दौरान की है। 

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