नए स्वरूप में तैयार किए जा रहे संगीत एवं कला विश्वविद्यालय

  • सरकार ने संस्कृति विभाग को 40 करोड़ रुपए का अलग से बजट किया आवंटित
  • विनोद उपाध्याय
संगीत एवं कला विश्वविद्यालय

प्रदेश में संगीत और कला की साधना के केंद्र रहे विश्वविद्यालयों और शासकीय महाविद्यालयों को नए स्वरूप में तैयार किया जा रहा है। दरअसल, लंबे समय से या तो किराये के भवन में संचालित हैं या जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। ऐसे में संस्कृति विभाग ने अब इन्हें संवारने का जिम्मा उठाया है। इस वर्ष इनके निर्माण तथा पुनर्निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा, जो अगले दो वर्ष तैयार हो जाएंगे। नए भवनों में पारंपरिक संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। साथ ही इन्हें आधुनिक समय, तकनीक व आवश्यकता के अनुसार आकार दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने मप्र संस्कृति विभाग को 40 करोड़ रुपए का अलग से बजट आवंटित किया है।
गौरतलब है कि देश की सांस्कृतिक विरासत और कला से नई पीढ़ी को परिचित कराने और इसके विस्तार के उद्देश्य से स्थापित प्रदेश के संगीत एवं कला विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों को नए स्वरूप में तैयार किया जा रहा है। राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर की नई बिल्डिंग को मूर्तरुप देने 25 करोड़ का बजट मिला है। इसी तरह प्रदेश के पांच कला महाविद्यालयों के नवनिर्माण के लिए सरकार ने मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग को 40 करोड़ रुपए का अलग से बजट आवंटित किया है। इस रकम से ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन, धार और नरसिंहगढ़ के महाविद्यालयों को नया स्वरूप दिया जाएगा।
संगीत महाविद्यालयों को मिलेगा आधुनिक स्वरूप
माधव संगीत महाविद्यालय राजा मानसिंह के शासन में ग्वालियर में देश का पहला संगीत विद्यालय शुरू हुआ था। बताया जाता है कि संगीत सम्राट तानसेन ने भी अपनी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा यहीं से प्राप्त की थी। उस समय प्रसिद्ध संगीतज्ञ बैजू बावरा और महाराजा मान सिंह की पत्नी मृगनयनी ने यहीं शिक्षा हासिल की। अब इसी विद्यालय का उन्नयन कर इसे आधुनिक स्वरूप में तैयार किया जाएगा।  नरसिहगढ़ शासकीय संगीत महाविद्यालय को स्थापना के करीब 82 वर्ष बाद आखिरकार अपना भवन मिल सकेगा। स्थानीय प्रशासन द्वारा वर्ष 2007 में मेले वाला बाग में महाविद्यालय के भवन निर्माण के लिए जमीन आवंटित की गई थी। अब इसी स्थान पर इस वर्ष महाविद्यालय के निर्माण का कार्य शुरू होगा। यह फिलहाल जनपद पंचायत के भवन में संचालित किया जा रहा है। पं. विष्णु भातखंडे द्वारा करीब 98 वर्ष पूर्व 1926 में स्थापित शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय उज्जेन को नया भवन मिलने जा रहा है। वर्तमान में यह महाविद्यालय विक्रम विश्वविद्यालय के एक कालेज में संचालित है। देश के सबसे पुराने संगीत महाविद्यालयों में से एक है, वहीं मप्र का यह दूसरा सबसे पुराना महाविद्यालय है। इंदौर के विजय नगर में स्कीम नंबर 78 स्थित एक निजी भवन में  शा. ललित कला महाविद्यालय संचालित हो रहा है। महाविद्यालय को अब लता मंगेशकर संगीत महाविद्यालय के परिसर में नए भवन में शिफ्ट किया आएगा। इसके लिए नए भवन का कार्य शुरू होना है, जैसे ही संगीत महाविद्यालय के परिसर में नया भवन तैयार होगा, वहां ललित कला महाविद्यालय भी शिफ्ट हो जाएगा। धार में संगीत महाविद्यालय की 1945 में शुरुआत हुई थी। इस विद्यालय से बड़े-बड़े कलाकार निकले हैं। वर्तमान में यह विद्यालय राजबाड़ा में संचालित हो रहा है।
नए भवन की डीपीआर को स्वीकृति
संगीत एवं कला विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के भवन निर्माण और रिनोवेशन कार्य के लिए डीपीआर तैयार हो गई है। उज्जैन और नरसिंहगढ़ के महाविद्यालयों के नए भवन की डीपीआर को स्वीकृति भी मिल गई है। इनके निर्माण कार्य के लिए टूरिज्म कार्पोरेशन ने आगे की कार्यवाही भी शुरू कर दी है। इधर, इंदौर और धार महाविद्यालयों के भवन निर्माण की डीपीआर की स्वीकृति भी फाइनल स्टेज में है। यहां भी जल्द निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इस योजना के तहत माधव संगीत विद्यालय, ग्वालियर के जीणोंद्धार का कार्य होना है। इसके लिए भी डीपीआर बन गई है। स्वीकृति मिलते ही इन सभी भवनों के निर्माण का कार्य जल्द शुरू हो जाएगा। राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य की डीपीआर तैयार की गई है। इसकी राशि 20 करोड़ से अधिक होने के कारण नियमानुसार स्टेट फाइनेंस कमेटी (एसएफसी) से स्वीकृति ली जा रही है। डीपीआर में अपेक्षित व आवश्यक बदलाव भी किए गए हैं। एसएफसी की स्वीकृति मिलते ही भवन निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। संचालक संस्कृति संचालनालय एनपी नामदेव का कहना है कि हमारे कई महाविद्यालयों का निर्माण एवं पुनर्निमाण कार्य लंबित था, जिसे अब जल्द ही पूर्ण किया जाएगा। विश्वविद्यालय निर्माण के लिए शासन ने 25 करोड़ और पांच महाविद्यालयों के लिए 40 करोड आवंटित किए हैं। उज्जैन और नरसिंहगढ़ महाविद्यालय की डीपीआर को स्वीकृति मिल गई है। टूरिज्म कार्पोरेशन आगे की कार्यवाही कर रहा है। शेष तीन कालेजों और विश्वविद्यालय की डीपीआर को स्वीकृति मिलते ही जल्द निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

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