खर्च करने में मप्र का रिकॉर्ड अधिकांश राज्यों से बेहतर

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मप्र के पूंजीगत व्यय में करीब 23.18 फीसदी की बढ़ोतरी

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब से मप्र को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है प्रदेश में विकास कार्यों में तेजी आ गई है। इस कारण प्रदेश में पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी हुई है। राज्य का पूंजीगत व्यय भी 37,0089 करोड़ से बढ़कर 45,685 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। पूंजीगत व्यय की यह बढ़ोतरी करीब 23.18 फीसदी है और मप्र के इतिहास में यह सबसे अधिक पूंजीगत व्यय है। कोरोना के दौरान भी मप्र के राजस्व को बढ़ाने की कोशिश की गई और आत्मनिर्भर मप्र के निर्माण के विजन के साथ काम को अंजाम दिया गया।  पिछले तीन साल में इसने प्रतिवर्ष 7.94 फीसदी के चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (सीएजीआर) से बढ़ोतरी की है। राजकोषीय समेकन के क्षेत्र में मप्र में लगातार राजस्व बढ़ाने का काम किया गया है। यही कारण है कि खर्च करने में मप्र का रिकॉर्ड अधिकांश राज्यों से बेहतर है। दरअसल, बीते वित्त वर्ष 2022-23 में ज्यादातर बड़े राज्य पूंजीगत व्यय के अपने लक्ष्यों से बड़े अंतर से पिछड़ गए। एक विश्लेषण के अनुसार, 2022-23 में कुल पूंजीगत व्यय 7.4 लाख करोड़ रुपये आंका गया था, लेकिन वास्तव में इसके मुकाबले सिर्फ 76.2 प्रतिशत या 5.71 लाख करोड़ रुपये ही राज्य सरकारें खर्च कर सकी। गौरतलब है कि विकास अनुमान का आशावादी पक्ष विभिन्न सकारात्मक तथ्यों पर आधारित है, जैसे निजी खपत में मजबूती जिसमें उत्पादन गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, पूंजीगत व्यय की उच्च दर (कैपेक्स), सार्वभौमिक टीकाकरण कवरेज, जिसने संपर्क आधारित सेवाओं- रेस्टोरेंट, होटल, शॉपिंगमॉल, सिनेमा आदि- के लिए लोगों को सक्षम किया है। शहरों के निर्माण स्थलों पर प्रवासी श्रमिकों के लौटने से भवन निर्माण सामग्री के जमा होने में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है, कॉरपोरेट जगत के लेखा विवरण पत्रों में मजबूती, पूंजी युक्त सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जो ऋण देने में वृद्धि के लिए तैयार हैं तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के लिए ऋण में बढ़ोतरी।
मप्र ने 98 प्रतिशत हासिल किया लक्ष्य
बैंक ऑफ बड़ौदा के अर्थशास्त्रियों की ओर से कराए गए विश्लेषण के अनुसार, सिर्फ चार राज्य कर्नाटक, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और बिहार का पूंजीगत व्यय उनके लक्ष्यों से ज्यादा रहा। इसके अलावा झारखंड और मध्य प्रदेश का पूंजीगत व्यय लक्ष्य के मुकाबले 98-98 प्रतिशत रहा। देश के 11 राज्यों ने 80 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर बेहतर प्रदर्शन किया। वित्त वर्ष 2020-21 में तय लक्ष्य के मुकाबले पूंजीगत व्यय 72 प्रतिशत था। हालांकि, 2021-22 में कोविड-19 महामारी के कारण यह बढकऱ 95 प्रतिशत हो गया था। वहीं, 2022-23 में यह घटकर 76.2 प्रतिशत रह गया।
आंध्र प्रदेश का सबसे खराब प्रदर्शन
पूंजीगत व्यय का लक्ष्य से कम रह जाना इसलिए भी हैरान कर देने वाला है क्योंकि केंद्र सरकार ने समीक्षाधीन वित्त वर्ष जरूरी धनराशि जारी कर दी थी। वित्त वर्ष 2022-23 में खराब प्रदर्शन में सबसे आगे आंध्र प्रदेश रहा, जो लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 23.1 प्रतिशत या 6,917 करोड़ रुपये व्यय कर सका। इसके बाद हरियाणा ने 48.1 प्रतिशत और राजस्थान ने 50.2 प्रतिशत व्यय किया। आंकड़ों के अनुसार, त्रिपुरा ने 5,285 करोड़ रुपये के बजट में सिर्फ 2,185 करोड़ रुपये या 41.3 प्रतिशत व्यय किए और नगालैंड ने 16,650 करोड़ रुपये में से 7,936 करोड़ रुपये या 47.7 प्रतिशत व्यय किए। महाराष्ट्र ने तय लक्ष्य का 72.4 प्रतिशत, केरल ने 69.4 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश ने 69 प्रतिशत राशि खर्च की।
प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी दर्ज
इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2022-23 में मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 1,40, 583 रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, वित्त वर्ष 2011-12 में यह 38, 497 रुपये थी। इससे पहले वित्त वर्ष 2001-02 में प्रति व्यक्ति आय केवल 11,718 रुपये ही थी। उन्होंने कहा कि कर्ज और जीएसडीपी के क्षेत्र भी उनके राज्य का प्रदर्शन अच्छा रहा है। ताजा आर्थिक सर्वेक्षण इस बात का इशारा करता है कि वर्ष 2005 में जो कर्ज जीएसडीपी अनुपात 39.5 फीसदी था, वह वर्ष 2020-21 में 22.6 फीसदी पर पहुंच गया।
एसडीपी में 18 गुना अधिक वृद्धि
आज स्थिति यह है कि मप्र आर्थिक और वित्तीय दृष्टिकोण से हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। यही वजह है कि प्रदेश के राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसके साथ ही, पूंजीगत व्यय में भी वृद्धि हुई है। मप्र की औद्योगिक विकास दर में भी बढ़ोतरी हुई है। आर्थिक वृद्धि दर अग्रिम अनुमान के अनुसार, वर्ष 2022-23 में 16.43 फीसदी है। इससे पहले वित्त वर्ष 2021-22 में कोरोना महामारी के बावजूद यह वृद्धि दर 18.02 फीसदी रही है, जबकि वित्त वर्ष 2001-02 के दौरान यह केवल 4.43 फीसदी थी।

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