
- राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक व तेलंगाना में उम्मीद से बेहतर काम हुआ
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। ताप संयंत्रों से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभावों को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर नवकरणीय ऊर्जा को प्राथमिकता दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत मिशन के तहत देश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नई संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसी को देखते हुए देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। कोयले से बिजली बनाने में अग्रणी रहा मध्यप्रदेश अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी देश में अपनी नई पहचान बना रहा है और पर्यावरण के संरक्षण में अपनी बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। लेकिन ओवर आॅल रीन्यूएबल एनर्जी उत्पादन में मप्र को प्रदर्शन निराशाजनक है। गौरतलब है कि बिजली जरूरतें पूरी करने के लिए केंद्र सरकार रीन्यूएबल एनर्जी उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। उत्पादन बढ़ाने को लेकर राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक व तेलंगाना में उम्मीद से बेहतर काम हुआ है। वहीं, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश का प्रदर्शन निराशाजनक है। मप्र की यही रफ्तार रही तो मप्र को रीन्यूएबल एनर्जी का लक्ष्य पाने के लिए 55 साल लग जाएंगे। बता दें कि भारत ने 2022 तक ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों से 175 गीगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा है। अगस्त तक 116 गीगावाट क्षमता हासिल हो चुकी है। विश्लेषकों का कहना है कि 2030 का लक्ष्य पाने के लिए भारत को हर माह ढाई गुना क्षमता बढ़ानी होगी। फिलहाल सबसे ज्यादा बिजली कोयले से बनती है। ताप बिजली संयंत्रों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण बढ़ता है। कार्बन स्तर घटाने के लिए सरकार रीन्यूएबल एनर्जी की ओर कदम बढ़ा रही है।
लक्ष्य पाने बढ़ानी होगी रफ्तार
भारत ने 2030 तक 450 गीगावाट न्यूएबल एनर्जी का लक्ष्य रखा है। ऐसे में अगले 8 साल में 334 गीगावाट क्षमता जोडऩी होगी। हर माह 3.7 गीगावाट क्षमता बढ़ानी होगी, जो अभी 1.4 गीगावाट है। अगस्त तक देश में जो 11.1 गीगावाट क्षमता बढ़ी है। इसमें 5 गीगावाट अकेले राजस्थान का है। पिछले साल दिसंबर में ही राजस्थान ने लक्ष्य हासिल कर लिया था। गुजरात ने मई में यह टार्गेट पूरा किया। जानकारों का कहना है कि यूपी, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश को रीन्यूएबल एनर्जी को प्राथमिकता देनी चाहिए। यदि यही रफ्तार रही तो महाराष्ट्र 20 साल में लक्ष्य तक पहुंचेगा। उत्तर प्रदेश को 80 साल, आंध्र प्रदेश को 44 साल और मध्य प्रदेश को 55 साल लगेंगे। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस साल जनवरी- अगस्त के बीच 11.1 गीगावाट क्षमता के रन्यूएबल एनर्जी प्लांट लगाए गए हैं। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह वृद्धि 9.5 गीगावाट थी। क्षमता 17 प्रतिशत बढ़ी है। ज्यादा वृद्धि सोलर प्लांट में हुई है। इस साल 19.5 गीगावाट क्षमता के सोलर प्लांट लगाए गए हैं। रिन्यूएबल एनर्जी में सौर ऊर्जा की 89 प्रतिशत व पवन ऊर्जा की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है। छोटे जल बिजली संयंत्रों व बायो-एनर्जी प्लांट का योगदान एक फीसदी है।
सौर ऊर्जा उत्पादन में मध्यप्रदेश आगे
गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनका उपयोग आमतौर पर परिवहन और बिजली बनाने के लिए किया जाता है। पेट्रोलियम डेरिवेटिव के सेवन से कार्बन डाइआॅक्साइड का उत्सर्जन होता है जो ओजोन परत को प्रभावित करता है। पर्यावरणीय संतुलन के लिए ऊर्जा के नवीन और नवीकरणीय स्त्रोत को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। मध्यप्रदेश सरकार इस दिशा में सराहनीय कार्य कर कर रही है। प्रदेश में पिछले 10 साल में नवकरणीय क्षमता में 11 गुना वृद्धि हुई है। औसतन हर साल सौर परियोजनाओं में 54 प्रतिशत और पवन परियोजनाओं में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रदेश में सौर ऊर्जा की बड़ी रीवा परियोजना पूर्ण क्षमता के साथ संचालित है। इसके अलावा ओंकारेश्वर में बन रहा फ्लोटिंग सौर योजना दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र होगा, जिसमें 600 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है। इसके अलावा आगर, शाजापुर, नीमच में अगले वर्ष से सौर ऊर्जा का उत्पादन शुरू कर दिया जायेगा। वहीं छतरपुर और मुरैना सौर परियोजना हायब्रिड और स्टोरेज के साथ विकसित की जायेंगी, जो वर्ष 2024 तक उत्पादन शुरू कर देंगी।
सौर परियोजनाओं पर तेजी से कार्य
मध्यप्रदेश में स्वच्छ ऊर्जा की असीम संभावनाएं हैं। अक्षय ऊर्जा के तय लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की संस्थाएं एकजुट होकर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है हमें इस धरती को बचाना है तो पर्यावरण को बचाना होगा। इसके लिए जहां वह हर दिन वृक्षारोपण करने पर जोर दे रहे हैं वहीं, प्रदेश में किसानों की मदद से सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने की दिशा में बड़ी कार्य योजना तैयार कर रहे हैं। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अपने मिशन को पूर्ण करने के लिए उनके द्वारा 2023 तक 45,000 सोलर पंप किसानों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। मध्यप्रदेश स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार और जनसहयोग से आने वाले दिनों में सौर ऊर्जा में मध्यप्रदेश देश का बड़ा केन्द्र बनकर उभरेगा।