मप्र का नया जेल अधिनियम कटघरे में!

जेल अधिनियम
  • सुप्रीम कोर्ट ने दिए नए जेल अधिनियम में सुधार के आदेश

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मोहन सरकार ने नया जेल अधिनियम तैयार किया है, जिसे मप्र सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम 2024 नाम दिया है। लेकिन जब से यह अधिनियम बना है, इसमें विसंगतियां ही दूर होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब एक बार फिर यह नया जेल अधिनियम सुप्रीम कोर्ट के कटघरे में है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने नए जेल अधिनियम में कुछ जरूरी बदलाव करने को कहा है, जिसके बाद ही प्रदेश में इसे लागू किया जाएगा।
बता दें कि मप्र सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम विधानसभा में पिछले साल जुलाई महीने में पारित किया गया था। मोहन सरकार ने इसे गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर 2024 से प्रदेश में लागू करने की तैयारी की थी। इसको लेकर सरकार ने एक नोटिफिकेशन भी जारी किया था। लेकिन विभाग एक्ट के नियम अंग्रेजी में बनाना भूल गया। इसलिए इसका क्रियान्वयन नहीं हो पाया। फिर दूसरी बार सरकार ने इसे 1 जनवरी 2025 से लागू करने की तैयारी की। इसका भी नोटिफिकेशन जारी कराया। लेकिन तब भी जेल विभाग एक्ट के नियम को अंग्रेजी में नहीं बदल पाया। लेकिन इसी बीच अब सुप्रीम कोर्ट ने इसमें और संशोधन करने की जरूरत बताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नया जेल अधिनियम इस प्रकार हो कि कैदियों के मौलिक अधिकारों का पूर्ण संरक्षण हो सके। उनकी कानूनी सहायता और मानव अधिकारों संबंधित अधिकारों पर भी विचार होना चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में पारदर्शिता बढ़ाने और जेलों में समिति गठित करने का सुझाव भी दिया है। जिससे बंदियो के साथ होने वाले व्यवहार की स्वतंत्र जांच सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही नए जेल अधिनियम में मप्र सरकार द्वारा ट्रांसजेंडर को लेकर किए गए प्रावधानों की तारीफ करते हुए कहा कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह भेदभाव रहित और उनके अधिकारों के अनुकूल हो।
महिला बंदियों के लिए कई व्यवस्थाएं
नए जेल अधिनियम के क्रिन्यान्वयन होने से जेलों में बंदियों को दी जाने वाली 130 साल पुरानी व्यवस्था में बदलाव होगा। पहली बार ऐसा हो रहा है जब कैदियों को दिए जाने वाले मेन्यू में सलाद को शामिल किया गया है, तो वहीं अब जेल में बंदियों को मिलनी वाली चाय के लिए दूध और चाय पत्ती की मात्रा में भी इजाफा किया गया है।
एमपी की जेलों में 43 हजार से अधिक बंदी
बता दें कि मप्र में कुल 133 जेल हैं। इनमें 11 केंद्रीय जेल, 8 ओपन जेल, 42 जिला जेल और 72 उप जेल शामिल हैं। इन जेलों में 36 हजार बंदियों के रखने की व्यवस्था है। लेकिन वर्तमान में यहां 43 हजार से अधिक बंदी रह रहे हैं। इनमें 1900 महिला बंदी भी शामिल हैं। मप्र के जेल महानिदेशक जीपी सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट के नियम अंग्रेजी में तैयार करने को कहा था। जिसे पूरा कर लिया गया है। अब सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिनियम में कुछ और महत्वपूर्ण संशोधन सुझाए हैं। इन प्रस्तावित संशोधनों के बाद जल्द ही इसका क्रियान्वयन किया जाएगा।

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