
- मंत्री समूह ने की अनुशंसा: प्रदेश में कम से कम पांच से छह स्थानों पर पचास से सौ टन क्षमता के भंडारण की व्यवस्था की जाए
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी का दंश झेल चुकी प्रदेश की शिव सरकार ने अब इस मामले में आत्मनिर्भर बनने की ठान ली है। यानी सरकार ऑक्सीजन को लेकर अब और कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। बल्कि कोरोना काल की भयावहता से सबक लेते हुए ऑक्सीजन संकट से निपटने पर पूरा जोर दिया जा रहा है।
भविष्य में ऑक्सीजन को लेकर ऐसे हालात ना बनें इसको देखते हुए बड़े पैमाने पर तैयारी शुरू कर दी गई है। दरअसल सरकार ने जो तय किया है उसके मुताबिक प्रदेश में कम से कम छह स्थानों पर पचास से सौ टन तक क्षमता के ऑक्सीजन भंडारण की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए टैंक बनाने के लिए कलेक्टरों को स्थान चिन्हित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। जिन स्थानों पर यह बड़ी क्षमता के टैंक बनेंगे उनमें राजधानी भोपाल के अलावा इंदौर और सागर में भी स्थान चिन्हित किए जा रहे हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों को भी अपने ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इंदौर, भोपाल और सागर में स्थान चिन्हित किए गए
यही नहीं उद्योग विभाग ने भी ऑक्सीजन की समस्या से निपटने के लिए नीति तैयार की है। एमएसएमई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बड़ी क्षमता के ऑक्सीजन टैंक निर्माण के लिए कलेक्टरों को पत्र लिखे थे। अब तक इंदौर, भोपाल और सागर में इसके लिए स्थान चिन्हित हो चुके हैं। इनमें भोपाल के गोविंदपुरा, इंदौर के पोलो ग्राउंड और सागर के सिद्ध गवां औद्योगिक क्षेत्र में भंडारण के लिए टैंक बनाए जाएंगे। इसके साथ ही पांच से दस टन क्षमता के टैंकरों की व्यवस्था भी बनाई जाएगी ताकि परिवहन में समझ ना लगे। सरकार इन ऑक्सीजन टैंकों के निर्माण को लेकर कितनी गंभीर है, इसी बात से समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं इसकी समीक्षा करने वाले हैं। यही नहीं मुख्यमंत्री मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के संबंध में अब तक किए गए प्रयासों के बारे में गठित मंत्री समूह की अनुशंसा को लेकर भी समीक्षा करेंगे। इसके अलावा प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जबड़े ज्यादा फोकस किया जाएगा ताकि रोजगार के अवसर बढ़ें। इसके लिए सभी विभागों से गतिविधियों पर तेजी से काम करने को कहा गया है।
प्लांट लगाने निवेशकों को किया प्रोत्साहित
प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी और तेज लहर के दौरान जब ऑक्सीजन की किल्लत हुई तभी सरकार ने तय कर लिया था कि भविष्य में ऐसे हालात ना बने इसके इंतजाम अभी से किए जाएंगे। यही वजह है कि उद्योग विभाग ने निवेशकों को प्रोत्साहित करने की नीति तैयार की। साथ ही सभी जिलों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाने का काम प्रारंभ कर दिया। इस पर तेजी से काम चल रहा है। खास बात यह है कि ऑक्सीजन उत्पादन के साथ-साथ इसके भंडारण की व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यही नहीं इसके अलावा ऑक्सीजन संयंत्रों के संचालन और रखरखाव के लिए भी प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। अब तक करीब पांच सौ से ज्यादा लोगों का पंजीयन हो चुका है। इन्हें आईटीआई संस्था प्रशिक्षण देगी। हर जिले में कम से कम दो प्रशिक्षित व्यक्तियों को रखा जाएगा। फिलहाल अब तक 40 मास्टर ट्रेनर और 55 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
मंत्री समूह ने की अनुशंसा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशानुसार आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के रोडमैप के तहत मध्य प्रदेश को ऑक्सीजन के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही गठित मंत्री समूह ने भी दूरस्थ इलाकों में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की व्यवस्था, ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था, निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन के प्लांट आदि को प्रोत्साहन और उत्पादित ऑक्सीजन के भंडारण की दिशा में काम करने की सिफारिश की है। इसके मद्देनजर तय किया गया है कि प्रदेश में कम से कम पांच से छह स्थानों पर पचास से सौ टन क्षमता के भंडारण की व्यवस्था की जाए।