
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना महामारी के बीच हर सेक्टर में नौकरियां जाने की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार में 48 फीसदी की बड़ी गिरावट आयी है, लेकिन इस मामले में मप्र ऐसा राज्य बनकर उभरा है, जिसमें रोजगार कम होने की जगह उसमें तीस फीसदी की वृद्धि हुई है। यह संभव हुआ है मनरेगा के तहत सात लाख से अधिक नए काम शुरू करने की वजह से। यही वजह है कि इस योजना के तहत सर्वाधिक काम देने के मामले में मप्र देश में पहले स्थान पर चल रहा है। खास बात यह है कि रोजगार में इसकी अधिक वृद्धि ऐसे समय हुई है जब केन्द्र सरकार द्वारा इस योजना के बजट में 35 फीसदी तक की कटौती कर दी गई है।
योजना के क्रियान्वयन की भौतिक रुप से बेहद अच्छी स्थिति को देखते हुए केन्द्र ने मप्र को दिए जाने वाले इसके बजट में गत वर्ष की तुलना में करीब चालीस फीसदी की वृद्धि की है। केन्द्रीय स्तर पर जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते साल मई माह में जहां 50.80 करोड़ लोगों को रोजगार मिला था वहीं इस साल इस माह में यह आंकड़ा कम होकर 26.38 करोड़ तक ही सीमित रह गया है। इस गिरावट की जो वजह बताई जा रही है उसकी वजह है लोगों का बड़े शहरों में बड़े पैमाने पर पलायन करना। पलायन की वजह से ग्रामीण इलाकों में काम की मांग में बड़ी गिरावट आयी है। इसके अलावा बीते माह के पहले बंगाल में विधानसभा और उप्र में पंचायत के चुनाव होने की वजह से भी रोजगार पर असर पड़ा है। योजना के तहत अधिकतम रोजगार देने वाले राज्यों में मप्र पहले स्थान पर है। उसके बाद क्रमश: छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार का नाम आता है।
इस तरह से मप्र को मिला पहला स्थान
खास बात यह है कि मप्र में इस माह के पहले 12 ही दिनों में 49.30 लाख लोगों को रोजगार दिया जा चुका है। अगर बीते साल के इसी समय को देखें तो उस समय 37. 35 लाख लोगों को ही रोजगार दिया गया था। यह रोजगार सरकार द्वारा 7 लाख 72 हजार से अधिक काम खोलकर दिया गया है। खास बात यह है कि इस योजना के बजट में इस बार केन्द्र सरकार ने दरियादिली दिखाते हुए बीते साल दिए गए 6848 करोड़ की जगह 10012 करोड़ रुपए कर दिया है। इस वर्ष दिए गए रोजगार में अब तक 901.69 लाख मानव दिवस को रोजगार सृजन हुआ है। यह बीते साल की तुलना में करीब 75 फीसदी अधिक है। इसी तरह से अब तक सरकार द्वारा इस योजना में कोरोना महामारी के बाद भी 1651 करोड़ से अधिक का एफटीओ जारी किया जा चुका है।