- कैग रिपोर्ट: पीएम कुसुम घटक ए के तहत केवल 98.78 मेगावाट सौर पीपीए पर किए गए हस्ताक्षर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने के लक्ष्य को मध्य प्रदेश पूरा नहीं कर पाया। स्थिति यह है कि मध्य प्रदेश ने 12,018 मेगावाट की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है, जिसके मुकाबले मार्च 2023 तक सृजित संचयी क्षमता 5,732.13 मेगावाट (47.70 प्रतिशत) थी।
मार्च 2023 की स्थिति में पांच प्रमुख राज्यों गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान व महाराष्ट्र के मुकाबले मध्य प्रदेश पिछड़ गया। इन पांच राज्यों में महाराष्ट्र की 57.87 प्रतिशत व राजस्थान की 172.39त्न उपलब्धि थी, जो मध्य प्रदेश की तुलना में अधिक रही। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह सामने आए हैं। दरअसल, भारत सरकार ने फरवरी 2015 में सभी राज्यों को मप्र नवीन और नवकरणीय ऊर्जा (एनआरई) की स्थापित क्षमता वर्ष 2022 तक के लिए लक्ष्य निर्धारित किए थे। मध्य प्रदेश को वर्ष 2022 तक लक्ष्य और सौर, पवन, छोटे हाइडल बायोमास से 12,018 मेगावाट एनआरई प्राप्त करना था, लेकिन इसके मुकाबले वर्ष 2018-19 तक 4,500.49 मेगावाट, 2019-20 तक 4,995.71 मेगावाट, 2020-21 तक 5,204.66 मेगावाट, वर्ष 2021-22 तक 5,396.93 मेगावाट, वर्ष 2022-23 तक 5,732.13 और अल्प उपलब्धि 2022-23 तक 6,384.78 मेगावाट ही ऊर्जा क्षमता सृजित हुई। 2014 से 2023 के दौरान नौ वर्षों परियोजना विकास के प्रस्ताव के लिए निविदा आमंत्रित नहीं की। नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों की संभावित साइटों की पहचान के लिए सूक्ष्म स्तर पर सर्वेक्षण नहीं किया। पवन ऊर्जा क्षेत्र के अंतर्गत पंजीकृत परियोजनाओं में से 70 प्रतिशत को चालू नहीं किया गया।
10 वर्ष बाद भी नहीं हुई चालू
वर्ष 2022-23 तक 9,128.65 मेगावाट पंजीकृत 181 पवन परियोजनाओं में से केवल 2,770.85 मेगावाट (30 प्रतिशत) 72 परियोजनाओं ही चालू की गई। 1,421 मेगावाट (16 प्रतिशत) 40 परियोजनाएं अपंजीकृत रही। 4,936.80 मेगावाट क्षमता की (54 प्रतिशत) 69 परियोजनाएं दस वर्ष के अंतराल के बाद भी चालू नहीं हो सकी। परियोजना विकासकर्ताओं को केवल कारण बताओ नोटिस ही जारी किए गए। न तो विकासकर्ताओं ने कोई उतर दिया और न ही एमपीएनआरईडी ने इस मामले को उनके साथ आगे बढ़ाया। एमपीएनआरईडी ने आवेदकों की आसान पहुंच के लिए, अपनी स्वयं की वेबसाइट पर पवन निगरानी मस्तूलों (राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान) का डेटा अपलोड नहीं किया था।
25.12 करोड़ के भूमि उपयोग शुल्क की वसूली नहीं
इसी तरह सौर पार्कों की एएसएन परियोजनाओं के मामले में एमपीएनआरईडी आरयूएमएसएल से 25.12 करोड़ के भूमि उपयोग शुल्क की वसूली नहीं कर सका, न ही भूमि उपयोग शुल्क के भुगतान में देरी के लिए 2.65 करोड़ का ब्याज शुल्क गया। 38 कैपेक्स लगाया परियोजनाओं में से 27 में ठेकेदारों द्वारा ग्रिड से जुड़े सोलर रूफटॉप सिस्टम की स्थापना में एक माह से लेकर 16 माह तक का विलंब हुआ। मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना के तहत एमपीयूवीएनएल ने एक एचपी, दो एचपी और पांच एचपी सौर कृषि पंपों के लाभार्थियों से 9.78 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि एकत्र की और इसके विपरीत तीन एचपी पंपों के लाभार्थियों से 5.55 करोड़ की राशि कम एकत्र की।
