जनशिकायत निवारण में एमपी फिसड्डी

जनशिकायत निवारण
  • पेंडेंसी टॉप टेन राज्यों में

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। देशभर में जन शिकायतों के शीघ्र निवारण  के लिए शुरू की गई केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) में मप्र फिसड्डी साबित हुआ है। आलम यह है कि मप्र के लोगों द्वारा प्रदेश के विभिन्न विभागों से संबंधित करीब आठ हजार शिकायतें हर माह केंद्र सरकार के पास पहुंच रही हैं। इन शिकायतों के निराकरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई सीपीजीआरएएमएस व्यवस्था के माध्यम से राज्य शासन के जरिये निराकरण कराया जाता है।
केंद्र व राज्य सरकार की निराकरण में तेजी लाने की कोशिश के बाद भी शिकायतों के आंकड़े कम नहीं हो रहे हैं। मप्र देश में ऐसे मामलों में निराकरण के बाद पेंडेंसी में टॉप टेन राज्यों में बना हुआ है। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की शिकायत निवारण दर प्रति माह एक लाख मामलों को पार कर गई है और केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के तहत केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली की स्थापना के बाद से यह पहली बार है। यह रिकॉर्ड आंकड़ा सार्वजनिक शिकायतों के निस्तारण और निवारण की नियमित साप्ताहिक और मासिक निगरानी के दौरान दर्ज किया गया। लेकिन मप्र की स्थिति चिंताजनक है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों से संबंधित शिकायतों के रजिस्ट्रेशन और निराकरण के लिए एक पोर्टल सीपीजीआरएएमएस के नाम पर बनाया गया है। इस पोर्टल में विभिन्न विभागों से संबंधित कप्लेन दर्ज की जाती है, जिसका संधारण केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की विंग द्वारा किया जाता है। इसमें दर्ज होने वाली शिकायतों को निराकरण के लिए राज्यों को भेजा जाता है और राज्य सरकार इसका निराकरण कर केंद्र को रिपोर्ट देती है। इसके आधार पर राज्यों की रैंकिंग तय की जाती है। इसके लिए सीएम सचिवालय और लोक सेवा प्रबंधन विभाग हर माह विभागों और कलेक्टरों को भी कप्लेन भेजकर निराकरण की कार्यवाही पूरी कराता है।
मार्च में 8409 शिकायतें पेंडिंग
मार्च माह में सीपीजीआरएएमएस में हुई कम्प्लेन और निराकरण की रिपोर्ट बताती है कि इस माह 8409 शिकायतें पेंडिंग रह गई हैं, जिसका निराकरण नहीं हो सका है। इस माह 8982 शिकायतों को निराकृत भी किया गया। इस बीच एक माह से अधिक समय तक निराकरण न होने वाली कम्प्लेन की संख्या 6274 तक पहुंची है। अकेले मार्च माह में 9096 शिकायतें सीपीजीआरएएमएस पर दर्ज कराई गई हैं और पुरानी शिकायतों समेत यह आंकड़ा 17391 तक पहुंच गया था। इसके पहले फरवरी माह में एमपी की पेंडिंग कम्प्लेन का आंकड़ा 8732 था और एमपी शिकायतों के मामले में देश में नवें स्थान पर था। फरवरी माह में 5967 शिकायतों के निराकरण की स्थिति थी लेकिन इस महीने भी एक माह से अधिक अवधि के पेंडिंग मामले 6029 थे, यानी मार्च में एक माह से अधिक के पेंडिंग मामले घटने की बजाय बढ़ गई हैं। इस माह कुल शिकायतों की संख्या 14699 रही। शिकायतों की निराकरण रिपोर्ट बताती है कि जनवरी में एमपी कम्प्लेन के निराकरण के मामले में सातवें स्थान पर था। तब 8144 कम्प्लेन पेंडिंग थीं और एक हजार से अधिक पेंडिंग शिकायत वाले राज्यों में एमपी की शिकायतों का आंकड़ा 5709 था।

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