
- अपने उत्पादों को एयर ट्रांसपोर्ट करने में रूचि नहीं दिखा रहे किसान
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र आज देश का सबसे बड़ा अनाज उत्पादक राज्य बना है, लेकिन अपने उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए प्रदेश के किसान प्रधानमंत्री कृषि उड़ान योजना का उपयोग करने में पिछड़ गए हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों को हर प्रकार की मदद मुहैया करवाने संबंधी विशेष लाभकारी योजनाओं की शुरूआत की है। देश के किसानों की आय दोगुनी हो सके इसके प्रति केंद्र सरकार द्वारा अथक प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में किसानों को अपनी फसल को बेचने हेतु आ रही समस्याओं को लेकर भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा 27 अक्टूबर 2021 को प्रधानमंत्री कृषि उड़ान योजना 2.0 की शुरूआत की गई है। इस स्कीम के बाद 53 एयरपोर्ट से किसानों के सामान की आवाजाही शुरू हो जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा कृषि उड़ान योजना पहले भी शुरू की गई है। इसी योजना में नए बदलाव किए गए हैं योजना के अंतर्गत पहाड़ी क्षेत्रों पूर्वोत्तर राज्यों और आदिवासी क्षेत्रों के किसानों को परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। यहां के किसानों को अपनी फसल को जल्द से जल्द उचित स्थान पर अर्थात मंडी में भेजना होता है, परंतु परिवहन की उचित व्यवस्था नहीं होने पर फसल खराब होने का डर बना रहता है। अब सरकार द्वारा किसानों को राहत देने हेतु कृषि परिवहन व्यवस्था शुरू की गई है। लेकिन मप्र के किसान इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।
अधिकांश किसानों को जानकारी ही नहीं
सरकार ने किसानों के लिए कई लाभकारी योजनाएं बनाई हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में किसान लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसी ही एक योजना का नाम प्रधानमंत्री कृषि उड़ान योजना है। इस योजना का उद्देश्य किसानों की उपज को जल्द से जल्द बेहतर बाजार उपलब्ध कराना है। आंकड़े बता रहे कि मध्यप्रदेश के किसान अपने उत्पादों को एयर ट्रांसपोर्ट करने में कई राज्यों से काफी पीछे हैं जबकि ,प्रदेश उद्यानिकी की कई फसलों के उत्पादन में देश में टॉप फाइव पर है। इसका बड़ा कारण सामने आया है कि विभाग के आला अफसरों को ही इस योजना की जानकारी नहीं है। कृषि उड़ान योजना के अन्तर्गत किसानों की फसलों को विशेष हवाई जहाज के जरिये समय पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जाना है। योजना में आठ मंत्रालय नागर विमानन, कृषि और किसान कल्याण, पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण, वाणिज्य विभाग, जनजातीय कार्य, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास आदि शामिल हैं। योजना के अन्तर्गत जनवरी 2021 से जून 2022 तक जल्द खराब होने वाले उत्पादों का कार्गो डिटेल सामने आया है कि इसमें प्रदेश से महज 859 मीट्रिक टन उत्पादन का व्यापार हुआ। महाराष्ट्र सबसे आगे है।