- विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार ने दी जानकारी

गौरव चौहान
मप्र में 25 लाख 68 हजार युवा बेरोजगार हैं जिन्हें रोजगार की तलाश है। बेरोजगारों के पंजीयन के लिए बनाए गए रोजगार पोर्टल में आकांक्षी युवा के रूप में इन युवाओं के नाम हैं। दूसरी ओर सरकार ने दावा किया है कि प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या में 0.56 प्रतिशत की कमी आई है। यह संख्या सात माह पहले जारी किए गए बेरोजगारों के आंकड़े से 48624 कम है। बेरोजगार युवाओं की लिस्ट में सबसे ऊपर सागर जिला और सबसे नीचे पांढुर्णा है। प्रदेश के 21 जिले ऐसे हैं जहां बेरोजगार युवाओं की संख्या 50 हजार के पार है। वहीं 34 जिलों में यह संख्या 50 हजार से कम है। प्रदेश की राजधानी भोपाल के अलावा जबलपुर, ग्वालियर बेरोजगार युवाओं की संख्या के मामले में टॉप टेन जिलों में शामिल है। साथ ही विंध्य के रीवा संभाग के तीन जिले रीवा, सतना और सीधी भी टॉप टेन बेरोजगारी वाले जिलों में शामिल हैं।
विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन विधायक संजय उइके और आतिफ अकील ने प्रदेश में बेरोजगारों को लेकर राज्य सरकार से अलग-अलग जानकारी मांगी। सरकार ने पंजीयन में इन युवाओं को बेरोजगार के बजाय आकांक्षी युवा के रूप में रोजगार पोर्टल में रजिस्टर किया है। इसलिए विधायकों ने आकांक्षी युवाओं की जिलेवार जानकारी मांगी जिसके लिखित जवाब में कौशल विकास और रोजगार विभाग के राज्य मंत्री गौतम टेटवाल ने कहा कि पूर्व के मुकाबले इसमें 0.56 प्रतिशत की कमी आई है। बेरोजगारों की संख्या वाले टॉप टेन जिलों में सागर में 95835, भोपाल में 95587, ग्वालियर में 94159, रीवा में 89326, सीधी में 86737, सतना में 84024, छिंदवाड़ा में 83741, बालाघाट में 82916, जबलपुर में 81611, मुरैना में 77907 बेरोजगार हैं। वहीं सबसे कम बेरोजगारों वाले दस जिलों में पांढुर्णा में 2852, मऊगंज में 5695, मैहर में 6675, बुरहानपुर में 13072, आगर मालवा में 14319, निवाड़ी में 14739, हरदा में 17926, श्योपुर में 19877, उमरिया में 23972 और अशोकनगर में 24927 बेरोजगार हैं।
सात माह पहले बढ़े थे 35186 बेरोजगार
राज्य सरकार ने सात माह पहले दिसम्बर 2024 में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान जो जानकारी दी थी, उसमें पूर्व में दी गई बेरोजगारों की संख्या के मुकाबले बेरोजगार घटने की बजाय बढ़ गए थे। दिसम्बर में सरकार के आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई थी कि मध्यप्रदेश में पांच माह में 35186 बेरोजगार बढ़ गए। मई 2024 में सरकार ने विधानसभा में बेरोजगारों की संख्या 25 लाख 82 हजार 759 बताई थी। तब प्रदेश में 7.58 लाख बेरोजगार घटे थे। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बेरोजगारों की संख्या 26 लाख 17 हजार 945 बताई गई जिसमें 35186 बेरोजगार बढ़े थे। यह जानकारी विधायक बाला बच्चन के सवाल के जवाब में दी गई थी। ने सवाल किया था कि 20 नवंबर 2024 की स्थिति में एमपी में रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या और एक साल की अवधि में सरकारी और निजी क्षेत्र में चयन की जानकारी दी जाए।
हजारों डिग्री होल्डर को भी रोजगार की तलाश
प्रदेश में सामान्य ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट युवाओं को तो छोड़ दीजिए, एमबीबीएस, बीई और एमबीए डिग्री होल्डर हजारों बेरोजगार युवाओं को रोजगार की तलाश है। उन्होंने रोजगार पाने के लिए सरकार के मप्र रोजगार पोर्टल पर पंजीयन कराया है। एमपी रोजगार पोर्टल पर 86 हजार 535 बीई डिग्री होल्डर, 4811 एमबीबीएस और 18 हजार 889 एमबीए डिग्री धारियों ने पंजीयन कराया है। सबसे ज्यादा 8 लाख 30 हजार 618 बेरोजगार स्नातक डिग्रीधारी पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं। मप्र रोजगार पोर्टल पर 30 जून, 2025 की स्थिति में कुल रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 25 लाख 68 हजार 321 है।
विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1069 स्वीकृत
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एनईपी को सबसे पहले लागू करने का दावा करने वाले मध्यप्रदेश में 17 सरकारी विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1069 स्वीकृत पदों में से 793 खाली पड़े हैं, यानी 74 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं, पांच विश्वविद्यालयों में तो एक भी असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं है। 93 विषयों में पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक ही नहीं है। यह खुलासा विधानसभा में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विधायक संजय उइके के सवाल के लिखित जवाब में किया। 17 सरकारी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की जिम्मेदारी केवल 276 असिस्टेंट प्रोफेसर निभा रहे हैं। जबकि शैक्षणिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने 1069 पद स्वीकृत हैं। राज्य सरकार ने बीते कुछ वर्षों में कई नए विश्वविद्यालय खोले हैं, लेकिन उनमें जरूरी स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो सकी। राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा, क्रांतिवीर तात्या टोपे विश्वविद्यालय गुना, क्रांतिसूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय खरगोन, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर और रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय सागर में एक भी असिस्टेंट प्रोफेसर पदस्थ नहीं है।
३ दर्जन से ज्यादा विषय बिना शिक्षक
मंत्री के मुताबिक, 17 विश्वविद्यालयों में 93 ऐसे कोर्स चलाए जा रहे हैं, जिनके लिए कोई असिस्टेंट प्रोफेसर उपलब्ध नहीं है। इनमें रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर-अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, इतिहास, संस्कृत, समाजशास्त्र, कंप्यूटर साइंस जैसे विषयों में एक भी असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन दर्शनशास्त्र, पर्यावरण प्रबंधन, सांख्यिकी, वाणिज्य, संस्कृत में शिक्षक नहीं। तात्या टोपे विश्वविद्यालय गुना-बीएससी, एमए, एम कॉम, पीजीडीसीए, बी लिब और एम लिब जैसे कोर्स में कोई शिक्षक नहीं। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा व्यावसायिक अर्थशास्त्र, रूसी भाषा, मनोविज्ञान के लिए शिक्षक नहीं। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर-जनजातीय अध्ययन, एविएशन टूरिज्म, कृषि विज्ञान जैसे विभागों में शिक्षकों की भारी कमी। चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय-योग, समाजशास्त्र, कंप्यूटर साइंस, एग्री बिजनेस मैनेजमेंट, फूट टेक्नोलॉजी सहित कई विषय बिना शिक्षक के चल रहे हैं।