‘बिगड़ैल’ विधायकों की हो रही मॉनिटरिंग

  • भाजपा की साख पर दाग लगाने वालों पर कसी जाएगी नकेल
  • गौरव चौहान
बिगड़ैल विधायकों

चाल, चरित्र और चेहरा वाली भाजपा अपने उन विधायकों की मॉनिटरिंग करवा रही है, जो पार्टी गाइड लाइन के खिलाफ जाकर काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि कई विधायकों के ‘बिगड़ैल’ रवैए से भाजपा की साख गिर रही है। हालिया विधानसभा के बजट सत्र में कई विधायकों ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। खासकर जिस तरह भाजपा विधायक डॉ. चिंतामणि मालवीय ने विधानसभा में सरकार की जमकर किरकिरी कराई। ऐसे में अब पार्टी ने ऐसे विधायकों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है। गौरतलब है कि भाजपा कैडर बेस पार्टी है और पार्टी के नेता अनुशासित माने जाते हैं। लेकिन कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि भाजपा विधायक पार्टी गाइड लाइन को पार कर जाते हैं। विधानसभा में सरकार के खिलाफ प्रश्न लगाकर भाजपा की सरकार और संगठन को कटघरे में खड़ा करने वाले आलोट से भाजपा विधायक डॉ. चिंतामणि मालवीय इकलौते विधायक नहीं हैं। कई और भी विधायक हैं, जो अपनी सरकार की किरकिरी करा चुके हैं। ऐसे विधायकों पर भी पार्टी अब शिकंजा कसने जा रही है। उनकी हर गतिविधि पर पार्टी नजर रख रही है। यह मामला मालवीय के कारण ताजा हो गया है।
मालवीय के कारण पार्टी की किरकिरी
बजट सत्र के दौरान आलोट से भाजपा विधायक डॉ. चिंतामणि मालवीय द्वारा उज्जैन के सिंहस्थ क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उज्जैन सिंहस्थ के लिए 2 हजार करोड़ रुपए की राशि रखी गई है। उज्जैन को गर्व है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री उज्जैन से हैं, लेकिन आज उज्जैन का किसान बहुत डरा और परेशान है। सिंहस्थ के नाम पर पहले उसकी जमीन केवल 3 से 6 महीनों के लिए अधिग्रहित की जाती थी, लेकिन अब उन्हें स्थायी अधिग्रहण का नोटिस दिया गया है। पता नहीं किस अधिकारी ने यह विचार रखा है कि स्पिरिचुअल  सिटी बनाएंगे। मैं बताना चाहता हूं कि स्प्रिचुअलिटी किसी सिटी में नहीं रहती है। वह तो त्याग करने वाले लोगों से होती है। हम कांक्रीट के भवन बनाकर स्पिरिचुअल सिटी नहीं बना सकते। मालवीय ने उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी निर्माण, किसानों की भूमि के स्थायी अधिग्रहण और कॉलोनाइजरों व भूमाफियाओं की साजिश होने की आशंका बताई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि कफन में जेब नहीं होती है। मालवीय के सदन में दिए बयान ने तूल पकड़ लिया।
मालवीय के बहाने कई निशाने पर
अब यह सियासत का बड़ा मुद्दा है। उसके बाद भाजपा संगठन ने मालवीय को नोटिस जारी किया है। दावा किया गया कि नोटिस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आदेश पर जारी किया गया है। इस मामले में मालवीय से एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा गया है। समय पर संतोषजनक जवाब नहीं देने पर पार्टी अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है। मालवीय के पास बिना शर्त माफी मांगकर मामले का पटाक्षेप का विकल्प खुला हुआ है, लेकिन उन्होंने इस विकल्प को चुनने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने साफ कहा कि वे माफी नहीं  मांगेंगे, पार्टी के नोटिस का जवाब देंगे। भाजपा सूत्रों की माने तो मालवीय के अलावा पार्टी उन विधायकों पर भी शिकंजा कसने जा रही है, जो सत्ता और संगठन की किरकिरी कराने पर तुले हुए हैं। पार्टी के कई विधायक हैं, जो अपनी सरकार को घेरने में जुटे हैं। भाजपा ऐसे विधायकों की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रख रही है। मालवीय के बहाने पार्टी ने बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। अगर और कोई भी विधायक सार्वजनिक स्थानों पर भाजपा या भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करेंगे, तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भाजपा के नेता एक दूसरे के खिलाफ
मप्र भाजपा में संगठन चुनाव चल रहे है। इस बीच, पार्टी में अंदरूनी विवाद लगातार सामने आ रहे हैं। पार्टी के नेता एक दूसरे के खिलाफ बोल रहे हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो इसकी शिकायत पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच गई है। जिन नेताओं के बीच विवाद है उनमें देवतालाब विधानसभा से विधायक गिरीश गौतम और मऊगंज से विधायक प्रदीप पटेल हैं। वहीं सीधी से विधायक रीति पाठक ने कुछ दिन पहले ही उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने एक कार्यक्रम में मंच से डिप्टी सीएम को  कहा कि वह रीवा के साथ ही सीधी का भी विकास करें। उधर, बुंदेलखंड में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बीच टकराव जारी है। भूपेंद्र सिंह का आरोप है कि गोविंद सिंह राजपूत ने भाजपा कार्यकर्ताओं को परेशान किया है। वह उनको दिल से कभी स्वीकार नहीं करेंगे। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के गुटों के बीच भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी की गुटबाजी का असर बीते चुनावों पर भी पड़ा है। रामनिवास रावत की विधानसभा उपचुनाव में हार को इसी का परिणाम माना जा रहा है।

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