
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अभी प्रदेश के कई हिस्सों में बेमौसम बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई है, जिससे किसानों की खड़ी फसलों को नुकसान भी पहुंचा है, उसके लिए कलेक्टरों को सर्वे करवाने के निर्देश भी दिए गए हैं, तो दूसरी तरफ समर्थन मूल्य पर गेहूं की जो खरीदी चल रही है उसमें भी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक बड़ी राहत दी और बारिश से खराब हुए और चमकविहीन गेहूं को भी खरीदने को कहा है। पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने भी 30 फीसदी चमकविहीन गेहूं की खरीदी के निर्देश भारतीय खाद्य निगम को दिए थे और कृषि मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को भी इस संबंध में पत्र भिजवाए हैं। भोपाल सहित प्रदेशभर में शासन-प्रशासन ने जो उपार्जन केन्द्र तय किए हैं, वहां पर समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी की जा रही है और इसके लिए किसानों का रजिस्ट्रेशन भी किया गया और एसएमएस प्राप्त होने पर किसान उपार्जन केन्द्र पर जाकर अपनी फसल बेच सकता है। हालांकि बाद में एसएमएस प्राप्ति की अनिवार्यता को भी समाप्त कर दिया गया। पिछले साल गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 प्रति रुपए क्विंटल था, जिसमें इस साल 150 रुपए क्विंटल की वृद्धि की गई, तो मप्र सरकार ने 125 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देना भी तय किया, जिसके चलते अब 2400 रुपए प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर गेहूं की सरकारी खरीदी की जा रही है। हालांकि खुले बाजार में भी चूंकि गेहूं की कीमतें अधिक हैं। इसलिए अच्छी गुणवत्ता वाला गेहूं खुले बाजार यानी मंडियों में व्यापारियों द्वारा खरीद लिया जाता है। मध्यप्रदेश में सरकारी खरीदी के जरिए ढाई लाख टन से अधिक गेहूं खरीदा जाता है। किसानों ने यह शिकायत की कि उनका चमकविहीन या अभी जो बेमौसम बारिश हुई इसमें भीग गया गेहूं केन्द्रों पर नहीं खरीदा जा रहा है। चूंकि अभी लोकसभा चुनाव चल रहे हैं और कोई भी सरकार किसानों को नाराज नहीं कर सकती, जिसके चलते अब मोहन सरकार ने भी निर्णय लिया कि कम चमक वाले गेहूं की खरीदी के साथ-साथ जो गेहूं भीग गया और उसकी चमक निकल गई उसे भी खरीदा जाएगा। दरअसल अभी गेहूं की कटाई का काम भी कई जिलों में चल रहा है और बीते दो-तीन दिनों से अचानक मौसम बदला, जिसके कारण खेतों में खड़ी फसल या गोदामों में भरी फसलों को भी कुछ नुकसान हुआ है। वहीं तेज आंधी-तूफान के साथ तेज बारिश तो हुई, वहीं कई क्षेत्रों में ओले भी गिरे हैं, उसके चलते भी फसलों को नुकसान पहुंचा है। लिहाजा सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में ओलावृष्टि, बारिश से खराब हुई फसलों का सर्वे करवाएं, ताकि किसानों को शासन द्वारा तय किए गए मापदण्डों के मुताबिक मुआवजा राशि का वितरण भी किया जा सके।