मोहन सरकार फिर लेगी नया कर्ज

मोहन सरकार
  • खजाने पर लाड़ली बहना योजना पड़ रही भारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। खजाना खाली होने से पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार को अब चुनाव पूर्व शिवराज सरकार द्वारा शुरु की गई लाड़ली बहना योजना बेहद भारी पड़ रही है। हालत यह है कि इस योजना के शुरु होने के बाद से ही सरकार द्वारा लगातार कर्ज लिया जा रहा है। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद से प्रदेश सरकार दो हजार करोड़ का कर्ज लेने के बाद अब एक बार फिर से ढाई हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने जा रही है। यह कर्ज ऐसे समय लिया जा रहा है, जब प्रदेश में दूसरा अनुपूरक बजट और लेखानुदान तैयार करने का काम किया जा रहा है। नए कर्ज के लिए  वित्त विभाग द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को पत्र (विलिंगनेस लेटर) लिखा जा चुका है। माना जा रहा है कि यह कर्ज अगले हफ्ते लिया जाएगा। नई सरकार यह दूसरा कर्ज है। इस वित्त वर्ष में अब तक सरकार 8 महीने (मई से दिसंबर तक) में 27 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। चुनावी आचार संहिता लगने से पूर्व शिवराज सरकार द्वारा सितंबर माह में ही चार किस्तों में कुल 12 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था। यह एक माह में अब तक का सबसे बड़ा कर्ज है। सरकार के खजाने की हालत इससे समझी जा सकती है कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील रहते सरकार को अक्टूबर व नवंबर में तीन किस्तों में पांच हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ा था। सूबे में नई सरकार बनी तो पहले ही पखवाड़े में सरकार को खर्च के लिए दिसंबर में 2 हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ा है। इसके बाद अब एक बार फिर से  ढाई हजार करोड़ का लोन लेने की तैयारी सरकार ने कर ली है। इसे मिलाकर चालू वित्त वर्ष में कर्ज की कुल राशि 29 हजार 500 करोड़ रुपए हो जाएगी। इस तरह से अब तक  प्रदेश सरकार पर साढ़े तीन लाख करोड़ से अधिक का कर्ज हो चुका है। गौरतलब है कि प्रदेश के बजट में कर्ज के लिए 3 लाख 85 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है।
इस तरह के हैं हाल
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार का खाजना खली चल रहा है। इसकी वजह है पूर्व की सरकारों के समय का वित्तीय कुप्रंधन और आय से अधिक राशि का खर्च किया जाना। इसकी वजह से नई सरकार को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस संकट की वजह से ही प्रदेश सरकार पिछले महीने ही 38 विभागों की 150 से ज्यादा योजनाओं पर वित्तीय रोक लगा चुकी है। प्रदेश सरकार को लाड़ली बहना योजना के लिए ही हर महीने करीब 1600 करोड़ रुपए की आवश्यकता पड़ रही है। इसकी वजह से सरकार को हर महीने कर्ज लेकर खर्च चलाना पड़ रहा है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर वित्त वर्ष के आखिरी महीनों (जनवरी से मार्च तक) सरकार ज्यादा कर्ज लेती है, लेकिन इस बार चुनाव से पूर्व की गई लोक लुभावन घोषणाओं को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों में ही सरकार को बड़ा कर्ज लेना पड़ा है।
हर व्यक्ति पर 40 हजार का कर्ज
वित्तीय वर्ष की शुरुआत में एमपी सरकार पर 3 लाख 32 हजार करोड़ के आसपास का कर्ज था। अब यह आंकड़ा 4 लाख करोड़ के करीब पहुंचने की कगार पर है। इसके लिए एमपी सरकार हर साल कर्ज पर 20 हजार करोड़ रुपये ब्याज देती है। फिलहाल प्रदेश की वित्तीय हालात के अनुसार मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति पर 47 हजार रुपये से ज्यादा का कर्ज है। मौजूदा वित्त बजट के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ है और खर्च इससे 54 हजार करोड़ अधिक है। अब नई सरकार को वर्तमान बजट से अधिक राशि की आवश्यकता है। मध्यप्रदेश का वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट 3.14 लाख करोड़ रुपए का है। इसका तकरीबन 26.2त्न हिस्सा वेतन, भत्ते और ब्याज की अदायगी में ही चला जाता है।

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