
- तय लिमिट से अधिक किया गेंहू व दाल का भंडारण, तो होगी राजसात की कार्रवाई
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। आमजन को राहत देने के लिए प्रदेश की डां मोहन सरकार कई तरह के कदम उठा रही है। इसी कड़ी में अब सरकार ने गेहूं और दालों की भंडारण क्षमता तय कर दी है। इससे व्यापारी मनमाने तरीके से भंडारण कर बाजार में कमी पैदा कर दामों में वृद्धि नहीं कर सकेेंगे। यह सीमा केन्द्र द्वारा लागू किए गए आदेश के पालन में तय की गई है।
जो व्यापारी भंडारण सीमा का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ राजसात की कार्रवाई की जायेगी। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग की ओर से 6 सितंबर को राजपत्र में जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि कोई भी निर्धारित मानदंडों के अलावा अतिरिक्त दाल का अतिरिक्त भंडारण नहीं कर सकेगा, इसका पालन न करने पर कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग) ने इस साल की शुरुआत में 24 जून को एक आदेश जारी किया था। केंद्र सरकार के आदेश में व्यापारियों और थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं की भंडारण सीमा (31 मार्च, 2025 तक की अवधि के लिए) 3000 मीट्रिक टन तय करने का उल्लेख किया गया है। खुदरा इकाइयों के लिए यह सीमा 10 मीट्रिक टन है। जहां तक बड़े खुदरा व्यापारियों की बात है तो, उनके लिए यह सीमा प्रत्येक आउटलेट के लिए 10 मीट्रिक टन और उनके सभी डिपो पर 3000 मीट्रिक टन की तय की गई है। प्रोसेसर्स के लिए भी कुछ शर्ते तय की गई हैं। उधर, एक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गेंहू की भंडारण सीमा तय करने के बाद अब दाल के भंडारण की भी सीमा भी तय कर दी गई है। इसके तहत फुटकर विक्रेता 5 मीट्रिक टन का ही भंडारण कर सकेगा।
अभी 2700 रु क्विंटल है गेहूं का भाव
मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूं की कीमतें लगातार ऊपर बनी हुई है। सामान्य किस्म के गेहूं का औसत दाम 2700 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास बना हुआ है, जबकि रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति टल तय किया था। राज्य सरकार ने अतिरिक्त बोनस दिया था, जिसके चलते यहां किसानों को सरकारी खरीद में गेहूं की बिक्री करने पर 2400 रुपये प्रति टन का दाम मिला था। बेहद अच्छी गुणवत्ता का शरबती गेहूं 3500 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहा है।
इस साल हुई 48 लाख टन की खरीदी
हालांकि, मध्यप्रदेश देश के सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादन वाले राज्यों में शामिल है। लेकिन, पिछले रबी सीजन 2023-24 में राज्य में प्रतिकूल मौसम के चलते गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी, जिसके चलते गेहूं की सरकारी खरीद में भी गिरावट आई। प्रदेश में इस साल कुल 48 लाख टन गेहूं की ही खरीदी हो सकी है, जबकि प्रदेश में औसतन हर साल करीब 200 लाख टन गेहूं का उत्पादन होता है।
क्या है वजह
दरअसल, फसल आने के बाद से ही बाजार में गेंहू की कमी की वजह से उसके दामों में लगातार वृद्धि हो रही थी। इसलिये दामों पर काबू पाने के लिए ही भंडारण क्षमता को तय किया गया है। गेहूं की कीमत बढऩे से खाद्य महंगाई पर बड़ा असर पड़ता है। जमाखोरी को कम करने में भी भंडारण सीमा बेहद कारगर साबित होती है।