– पीपीपी मोड के तहत नई बिल्डिंगों का निर्माण किया जाएगा

गौरव चौहान
राजधानी भोपाल में करीब 43 साल पहले बने सतपुड़ा और विंध्याचल भवन को तोडक़र अब उनकी जगह आधुनिक ऑफिस कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा। अरेरा हिल्स पर स्थित दोनों भवनों के रिनोवेशन प्रोजेक्ट को पहले ही रोक दिया गया था। अब इन दोनों भवनों को तोडऩे की तैयारी चल रही है। इनको तोडक़र यहां आधुनिक ऑफिस कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा। यह इमारतें पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत बनाई जाएंगी। आपको बता दें कि इस कॉम्प्लेक्स में क्या होगा और इसे बनाने पर कितना खर्च आएगा, इसका प्लान तैयार किया जा रहा है। वहीं यह प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही अमल में लाया जाएगा।
जानकारी के अनुसार पुरानी इमारतों को तोडकर नई सात मंजिल इमारतें बनाई जाएंगी। जिसके लिए कोषालय, नापतौल और आबकारी सहित अन्य विभागों की 7.64 हेक्टेयर जमीन को देकर बिल्डर यहां नई इमारतें तैयार करेगा। कलेक्टोरेट में साधिकार समिति की बैठक में कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह हाउसिंग बोर्ड के अफसरों को प्लान बनाकर अमल में लाने की हिदायत दी। बैठक में बताया गया कि वर्तमान में विंध्याचल और सतपुड़ा भवन में अलग-अलग विभागों के प्रदेश स्तरीय कार्यालय हैं, जबकि छह विभागों के कार्यालय जगह कम होने की वजह से अलग-अलग जगहों पर संचालित किए जा रहे हैं। जिसको लेकर इन जगहों को देकर पीपीपी मोड के तहत नई बिल्डिंगों का निर्माण किया जाएगा। ऐसे में सरकार को नई बिल्डिंगों के निर्माण के लिए अलग से राशि खर्च नहीं करना पड़ेगी। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि विंध्याचल और सतपुड़ा मवगों के रिडेंसीफिकेशन के लिए साधिकार समिति की बैठक रखी गई थी। जिसको लेकर अफसरों को निर्देश दिए गए हैं।
1982 में बनकर तैयार हुए थे भवन
सतपुड़ा और विंध्याचल भवन 1982 में बनकर तैयार हुए थे। वहीं सतपुड़ा भवन के निर्माण में उस समय कुल 4.61 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। आपको बता दें कि पिछले दिनों आग लगने के बाद रिनोवेशन का प्लान बनाया गया था। वर्तमान में यहां चिकित्सा शिक्षा, उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा, आयुष और आदिम जाति कल्याण जैसे विभाग हैं। वहीं विंध्याचल की बात करें तो इसके निर्माण में कुल 4.95 करोड़ रुपए खर्च आया था। यहां अभी उद्योग, सहकारिता, कृषि जैसे विभाग हैं।
दीवारें हो रहीं खोखली
राजधानी की सुन्दरता में चार चांद लगाने वाली अरेरा हिल्स पहाड़ी पर बनी सतपुड़ा एवं विंध्याचल का अस्तित्व अब खतरे में नजर आने लगा है। पुनर्निर्माण के इस दौर में इनकी दीवारें खोखली होती जा रही हैं जिससे इमारत के कमजोर होने का तथा उसमें कार्य करने वाले अधिकारियों- कर्मचारियों की जान-माल का खतरा पैदा हो गया है। गौरतलब है कि एक साल पहले जी विंध्याचल और सतपुड़ा भवन के रिडेंसीफिकेशन का प्लान सीएम डॉ. मोहन यादव के समक्ष पेश किया गया था, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को यह कहकर लौटा दिया कि पुरानी इमारतों को संरक्षित किया जाए। उन्होंने अरेरा हिल्स को प्रशासनिक जोन बनाने की बात भी कही थी। इसके बाद दोनों बिल्डिंगों के रिडेंसीफिकेशन की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। रिडेंसीफिकेशन के तहत दोनों इमारतों को दस-दस एकड़ एरिया में बनाया जाएगा। वर्तमान में भी इन दोनों प्रदेश स्तरीय इमारतें दस-दस एकड़ एरिया में बनी है। हालांकि वर्तमान में इन इमारतों की ऊंचाई तीन से चार मंजिला है। नई इमारतों को सात मंजिला बनाया जाएगा, जिससे यहां विभागों को अपने दफ्तरों के लिए ज्यादा जगह मिल सकेगी। दोनों भवनों के लिए नई इमारतें बनाने के साथ छह जगहों की करीब 15 एकड़ जमीन बिल्डर को दी जाएगी। जहां पर बिल्डर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाएगा। जिसे वह आम लोगों को बेचकर इन इमारतों की लागत वसूल करेगा।