विधायकों को फिर मिलेगी… लोन सब्सिडी की सौगात!

  • सुविधा समिति की सिफारिश पर विधायकों को मिलेगी सब्सिडी
  • गौरव चौहान
लोन सब्सिडी

मप्र सरकार विधायकों को एक बार फिर से होम लोन और कार लोन के ब्याज पर सब्सिडी देने की कवायद में जुट गई है। इसके लिए सरकार की कवायद के बीच अब इस मामले में विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति के पाले में गेंद डाल दी गई है। अब यह समिति जरूरत समझेगी, तो विधायकों के लोन पर लगने वाले ब्याज की सब्सिडी चुकाने सरकार को सिफारिश करेगी। इसके बाद सरकार इस मामले में वित्त विभाग से परमिशन लेने के बाद फैसला करेगी।  विधायकों को अब घर बनाने या खरीदने के लिए कम से कम 50 लाख और नया वाहन खरीदने के लिए 30 लाख रुपए के लोन की सुविधा जल्द मिल सकती है। संसदीय कार्य विभाग ने विधायकों को होम और वाहन लोन सुविधा फिर शुरू करने के लिए विधानसभा सचिवालय को पत्र लिखा था। विधानसभा ने यह पत्र सदस्य सुविधा समिति को भेज दिया था। सदस्य सुविधा समिति ने इस पर विधायकों से सुझाव मांगे थे। संसदीय कार्य विभाग द्वारा विधानसभा सचिवालय को इस संबंध में एक पत्र हाल ही में लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि विधायकों को होम लोन और वाहन ऋण पर लगने वाले ब्याज की सब्सिडी के मामले में समिति सिफारिश करेगी तो सरकार इस पर कोई फैसला कर सकती है। बताया जाता है कि संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विधायकों को ब्याज पर सब्सिडी दिए जाने को लेकर एक बार हाई लेवल मीटिंग के जरिए इस पर निर्णय कराने की कोशिश की है, लेकिन सफल नहीं हुए, तो यह तय किया गया कि विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति से सिफारिश कराई जाए। इसी के चलते संसदीय कार्य विभाग ने विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति के लिए इस तरह के प्रस्ताव को लेकर पत्र भेजा है।
संसदीय कार्य विभाग के अफसरों का कहना है कि अभी इस मामले में कोई नया अपडेट नहीं है। बगैर इसके कि विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति को पत्र लिखा गया है। जब सदस्य सुविधा समिति सिफारिश करेगी, तो वित्त की परमिशन के लिए भेजा जाएगा और वित्त विभाग की परमिशन के बाद कैबिनेट से मंजूरी लेकर इस मामले में कोई फैसला लिया जा सकेगा। विधायकों को होम और कार लोन पर लगने वाले ब्याज में सब्सिडी का लाभ 2013 से 2018 के बीच मिला था और कई विधायकों ने होम और कार लोन में इसका फायदा लिया था। इसी आधार पर अब नई सरकार में प्रयास शुरू हुए हैं। विधानसभा सचिवालय ने संसदीय कार्य मंत्रालय के पत्र की सदस्य सुविधा समिति को भेज दिया। सदस्य सुविधा समिति ने होम लोन, वाहन लोन समेत अन्य मामलों में विधायकों से सुझाव मांगे। सूत्रों की माने तो कई विधायकों के सुझाव सचिवालय को मिल गए है। अपने सुझावों में विधायकों ने बढ़ती महंगाई और लगातार बढ़ती कीमतों देखकर को होम लोन की राशि 25 से 50 लाख करने की मांग की है। कुछ विधायकों ने इस राशि को कम से कम 75 लाख किए जाने की जरूरत बताई है। उनका कहना है कि आजकल इससे कम में कहीं भी मकान नहीं मिल सकता। वहीं वाहन लोन की राशि भी 10 लाख से बढ़ाकर 30 लाख किए जाने की वकालत की है। कुछ विधायकों ने वाहन लोन के लिए 40 लाख की राशि देने का सुझाव दिया है।
21 अगस्त को तय होंगी सुविधाएं
विधानसभा की सदस्य सुविचा समिति की बैठक 21 को विधानसभा सचिवालय में होगी। इसमे सदस्यों के सुझावों पर विचार किया जाएगा। सदस्य सुविधा समिति के प्रमुख और वरिष्ठ विधायक नागेन्द्र सिंह कहते है कि विधायकों के सुझाव के आधार पर समिति एक राय से अपनी सिफारिशें करेंगी। इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से भी बात की जाएगी। माना जा रहा है कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए होम लोन कम से कम 50 लाख और वाहन लॉन 30 लाख रुपए किया जा सकता है।
लोन पर सिर्फ चार फीसदी ब्याज
जानकारी के अनुसार संसदीय कार्य विभाग ने विधायकों को होम और वाहन लोन सुविधा फिर शुरू करने के लिए विधानसभा सचिवालय को पत्र लिखा था। विधानसभा ने यह पत्र सदस्य सुविधा समिति को भेज दिया था। सदस्य सुविधा समिति ने इस पर विधायकों से सुझाव मांगे थे। विधायकों ने अपने सुझावों में होम होम लोन 50 से 75 लाख और वाहन लोन 30 से 40 लाख देने का सुझाव दिया है। इस संबंध में निर्णय लेने दी दिन बाद ही विधानसभा सचिवालय में बैठक होने जा रही है। गौरतलब है कि पांच साल पहले तक विधायकों को घर बनवाने या खरीदने के लिए 25 लाख और नया वाहन क्रय करने लिए 10 लाख रूपए का ऋण सब्सिडी साथ दिया जाता था। विधायकों को इस लोन पर सिर्फ चार फीसदी ब्याज ही देना होता था। ब्याज की शेष राशि सरकार भरती थी। यह सुविधा पिछले पांच सालों से बंद है। सूत्रों की मानें तो तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में कोरोना के दौरान यह सुविधा बंद कर दी गई थी। कोरोना खत्म होने पर इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार हुआ जिसमें होम लोन की सीमा 40 लाख रुपए तक बढ़ाने की सिफारिश की गई थी पर तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने इसे रोक दिया और यह प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं आ सका। अब नई सरकार बनने के बाद इसकी कवायद शुरू की गई है।

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