
- कोरोना काल में जितने भी सत्र हुए हैं, सभी कोरोना प्रोटोकॉल के तहत सीमित संख्या में प्रवेश के साथ आयोजित किए गए है
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। आज का दौर आईटी का है। यही वजह है कि मप्र सचिवालय का अधिकांश काम भी ऑनलाइन हो चुका है। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भी आईटी का भरपूर उपयोग करते हैं। वहीं मध्यप्रदेश विधानसभा के सौ से ज्यादा विधायकों को अब तक लैपटॉप तक चलाना नहीं आता। जबकि माननीय को लैपटॉप दिए गए हैं और इसके लिए बाकायदा प्रशिक्षण भी आयोजित किए गए हैं।
बता दें कि कोरोना काल की शुरूआत में सभी विधायकों को अपना ईमेल आईडी बनाने और आॅनलाइन प्रश्न पूछने की सुविधा दी गई थी लेकिन कुछ विधायकों को छोड़ दें तो बाकी अधिकांश माननीयों ने ऑफलाइन प्रश्न ही पूछे। मप्र विधानसभा का आगामी सत्र 9 अगस्त से शुरू होना है। इसके लिए भी मात्र 57 विधायकों ने 484 ऑनलाइन सवाल पूछे हैं। जबकि ऑफलाइन 700 सवाल लगे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि विधायकों पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी वे क्यों कंप्यूटर, लैपटॉप का उपयोग में रुचि नहीं ले रहे, क्यों आईटी फ्रेंडली नहीं हो पा रहे हैं जबकि कोरोना गाइड लाइन के तहत ऑनलाइन में प्रश्न पूछने की सुविधा होने दी गई है। उल्लेखनीय है कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में प्रदेश में काफी मौतें हुई है। प्रदेश के विधायक भी इससे अछूते नहीं रहे। प्रदेश के तीन विधायकों ने कोरोना संक्रमण और उसके बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया है। अब तक हुए विधानसभा सत्रों के दौरान भी कोरोना कोविड-19 प्रोटोकॉल पालन किया गया है। कोरोना काल में जितने भी सत्र हुए हैं, सभी सीमित संख्या में प्रवेश के साथ आयोजित किए गए है। यही नहीं कोरोना की गाइडलाइन के पालन में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए विधानसभा सचिवालय ने कोरोना के लिए विधायकों को ऑनलाइन सवाल पूछने की सुविधा दी है। ध्यानाकर्षण और शून्यकाल की सूचनाएं भी ऑनलाइन दी जा सकती हैं। हालांकि इसके बाद भी विधायक ऑनलाइन सवाल पूछने से बच रहे हैं। ऑनलाइन सवाल पूछने में विधायकों ने इस बार भी कम ही रुचि दिखाई है।
9 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मॉनसून सत्र के लिए विधान सभा सचिवालय में के पास कुल 1184 सवाल आए हैं। इसमें से 618 तारांकित और 566 अतारांकित सवाल है। खास बात है कि सवाल पूछने वाले 195 विधायकों में से मात्र 57 विधायकों ने ही ऑनलाइन सवाल पूछे हैं। 484 सवाल ऑनलाइन पूछे गए हैं। ऑफलाइन वालों की संख्या 700 है। कई विधायक तो ऐसे भी हैं जिन्होंने इस बार भी एक भी सवाल नहीं पूछा है।
ऑनलाइन सवाल पूछने दिया नया फॉर्मेट
आमतौर विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी होने के साथ ही विधायकों को सवाल पूछने के लिए निर्धारित फॉर्मेट जारी किए जाते थे, विधायकों तक फॉर्मेट पहुंचने में विलम्ब भी होता था, इसलिए सचिवालय ने पिछली बार नया प्रयोग करते हुए पहले ही विधायकों को फॉर्मेट उपलब्ध करा दिए थे, जिससे अधिसूचना जारी होने के साथ ही वे लिखित सवाल सचिवालय को भेज सकें।
माननीयों को दिए गए हैं लैपटॉप
मालूम हो कि सभी विधायकों को लैपटॉप पहले ही दिए जा चुके हैं। सचिवालय काम में अधिक से अधिक आईटी का उपयोग करें, इसके लिए लगभग सभी विधायकों के ई-मेल अकाउंट बनाए गए हैं। यही नहीं सचिवालय में ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू करने के लिए सभी विधायकों के डिजिटल सिग्नेचर भी हुए हैं। डिजिटल सिग्नेचर इसलिए जरूरी है क्योंकि निर्धारित प्रोफार्मा में सवाल पूछने के साथ ही उन्हें हस्ताक्षर भी करना होते हैं। दरअसल ऑनलाइन में भी ऐसी ही प्रक्रिया होगी। इसलिए डिजिटल सिग्नेचर जरूरी हैं।