भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। स्थानीय निधि संपरीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में कुछ अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करके वाहनों और टेलीफोन के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। यह एक गंभीर मामला है जिसमें अधिकारियों ने सरकारी नियमों का पालन नहीं किया और वित्तीय अनियमितताएं की हैं। इससे सरकार को करोड़ों रूपए की चपत लगी है।
ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में कुछ अधिकारियों ने सरकारी नियमों का उल्लंघन किया है। उन्होंने वाहनों और टेलीफोन के उपयोग में नियमों का पालन नहीं किया और इस तरह से सरकारी धन का दुरुपयोग किया। इसका मतलब है कि उन्होंने संभवत: निजी लाभ के लिए या बिना किसी उचित कारण के सरकारी वाहनों और टेलीफोन का उपयोग किया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा। यह एक गंभीर मामला है क्योंकि यह न केवल वित्तीय अनियमितता है, बल्कि यह सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार को भी दर्शाता है। जब अधिकारी ही नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो आम जनता का विश्वास सरकार से उठ जाएगा।
14.5 करोड़ नियम विरुद्ध व्यय
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नियम अनुसार वाहनों पर 18 हजार रुपए प्रति माह खर्च करने का प्रावधान है लेकिन 40 हजार रुपए तक वाहनों के नाम पर किराया भुगतान किया गया। वाहन टेंडर प्रक्रिया से लेने के बजाय अपने रिश्तेदारों और परिचितों की वाहन लगा लिए। स्थानीय निधि संपरीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। इसमें बताया गया कि पंचायतों में विकास के नाम पर मिली राशि में से 14.5 करोड़ रुपए नियम विरुद्ध व्यय कर दिए गए। विभाग के अधिकारियों, बाबू और सरपंचों ने मिलकर लाखों रुपए अपने निजी कामों में लगाकर गड़बड़ी की।
जनपद और ग्राम पंचायतों में भी अनियमितताएं
रिपोर्ट में जनपद और ग्राम पंचायतों में भी अनियमितताएं सामने आई हैं। बड़वानी जिले में 18 हॉर्स पॉवर से अधिक के वाहनों की मरम्मत के लिए 1 लाख 31 हजार रु. से ज्यादा राशि खर्च की गई। जबकि इसके लिए 15 हजार रु. वार्षिक खर्च निर्धारित है। वहीं प्रति माह 95 लीटर डीजल की जगह पर 150 लीटर से ज्यादा खर्च हुआ। इस पर दो लाख रु. खर्च किए गए। सीधी जिले में जनपद पंचायत ने संभागायुक्त को खुश करने के लिए तमाम विकास कार्यों के फंड से 95 हजार से अधिक राशि का उनके वाहन के लिए भुगतान कर दिया। मुरैना जिला पंचायत में क्लर्क डीपी शर्मा ने दो लाख रु. से ज्यादा राशि खाते में जमा करने के बजाय अपने कामों में खर्च कर दी। अमरवाड़ा सीईओ ने दस हजार रुपए पंचायत निधि में जमा करने के बजाय निजी कार्य में खर्च कर दिए। किरनपुर जनपद पंचायत में सरपंच लेखेश्वरी बिसेन, सचिव रामगोपाल ने 73 हजार रुपए का गबन किया। डिंडोरी जिले की जनपद पंचायत में सरपंच ने परमेश्वर योजना में तीन लाख रुपए की गड़बड़ी कर दी। संपरीक्षा ने प्रदेश के 11 जिला पंचायत, 48 जनपद पंचायत और साढ़े चार हजार से अधिक संस्थाओं को केंद्र और राज्य सरकार के माध्यम से दी गई राशि के उपयोग के दस्तावेजों का निरीक्षण किया है। रिपोर्ट के आधार पर संबंधित सभी संस्थाओं को अवगत कराया जाएगा। जिससे दोषियों से वसूली और उन पर कार्रवाई होगी, जिससे इस तरह के मामलों की पुनरावृत्ति नहीं की जा सके। छिंदवाड़ा जनपद पंचायत हर्रई में छात्रवृत्ति वितरण में 2.44 लाख रुपए और प्रिंटिंग में 1.77 लाख रुपए भुगतान किया गया। अमरवाड़ा में संकुल प्राचायों को समग्र स्वच्छता प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति में 32.3 लाख रुपए का घपला किया गया है। मंडला के नारायणगंज में विधायक निधि से बर्तन खरीदी पर 3.10 लाख रुपए और एक फर्म को 9.61 लाख का भुगतान किया गया है।
04/08/2025
0
20
Less than a minute
You can share this post!