लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की विशेष रणनीति

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने के बाद अब भाजपा का पूरा फोकस लोकसभा चुनाव पर है। पार्टी की रणनीति है कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतकर कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया जाए। इसके लिए भाजपा ने विशेष रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत पार्टी का पूरा फोकस हर वर्ग को साधने पर है। खासकर पार्टी विशेष पिछड़ी जनजाति (बैगा, भारिया और सहरिया) के सहारे मिशन 29 को पूरा करने की रणनीति पर काम कर रही है। गौरतलब है कि मप्र की 29 लोकसभा सीटों में से छह सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं। 2019 के चुनाव में भाजपा ने सुरक्षित सभी सीटों को जीता था, लेकिन पार्टी इस बार भी पूरी ताकत के साथ इन सीटों को जीतने के लिए जुटी हुई है। इसकी बड़ी वजह यह है कि विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा। 47 सुरक्षित सीटों में से 22 पर कांग्रेस को विजय मिली। यही कारण है कि भाजपा विशेष पिछड़ी जनजाति पर भी फोकस कर रही है।
201 वन- धन केंद्र खोले जाएंगे
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान यानी पीएम जनमन के तहत मध्य प्रदेश सरकार विशेष जनजातियों के विकास के लिए 18 जिलों में 201 नए वन-धन केंद्र खोलेगी। प्रदेश में बैगा, सहरिया और भारिया विशेष जनजातियां घोषित हैं। इन जनजातियों को वन विभाग के अंतर्गत संचालित लघु वनोपज संघ द्वारा नए वन धन केंद्र खोलकर आर्थिक रूप से संपन्न बनाया जाएगा। वन धन केंद्रों में लघु वनोपजों का प्रसंस्करण कर उन्हें बाजार में अच्छी दरों पर बेचने का कार्य किया जाता है। प्रदेश में बैगा जनजाति की संख्या तीन लाख 63 हजार 47, सहरिया की पांच लाख 78 हजार 557 तथा भारिया की 33 हजार 517 जनसंख्या है। वहीं परिवार के छोटे बड़े सभी सदस्यों को मिलाकर इनकी संख्या 11 लाख से अधिक है। प्रदेश के दतिया में तीन, डिंडोरी में 20, गुना में 12, ग्वालियर में 12, कटनी में दो, मंडला में 19, मुरैना में आठ, उमरिया में पांच, रायसेन में दो, नरसिंहपुर में पांच, शहडोल में 31, श्योपुर में 16, शिवपुरी में 15, सीधी में छह, अनूपपुर जिले में 13, अशोकनगर में चार, बालाघाट में नौ और छिंदवाड़ा में 19 वन धन केंद्र खोले जाने हैं। ये वन धन केंद्र केंद्र सरकार स्वीकृत करती है और इसके लिए राशि भी उपलब्ध कराती है। राज्य के वन विभाग ने 201 वन धन केंद्र खोलने के प्रस्ताव केंद्र को भेजे हैं, जिनमें से 52 की स्वीकृति मिल गई है।
केंद्र सरकार को भेजा प्रस्ताव
प्रदेश के 18 चिन्हित जिलों के विशेष पिछड़ी जनजातीय क्षेत्रों में 198 वन-धन केंद्रों की स्थापना के लक्ष्य की तुलना में 201 केंद्रों की स्थापना का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। प्रदेश के 827 वनग्रामों में से 793 वन ग्रामों के संपरिवर्तन की प्रस्तावित अधिसूचना जिला स्तर पर जारी हो गई है। पिछले 10 वर्षों में जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के विरुद्ध 14 हजार 256 पंजीबद्ध प्रकरणों में से 10 हजार 80 प्रकरण निराकृत किए गए है। राज्यपाल ने की थी जनजातीय वर्ग के लिए किए जा रहे कार्यों की समीक्षा राजभवन में जनजातीय प्रकोष्ठ बनाया हुआ है। राज्यपाल ने बुधवार को मप्र विधानसभा में दिए अभिभाषण में भी इस योजना का जिक्र किया है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने 29 जनवरी को प्रकोष्ठ की बैठक ली थी। बैठक में वन धन केंद्रों के लक्ष्यों के संबंध में समीक्षा की गई थी। राज्यपाल को बैठक में बताया गया कि था कि पेसा नियम के क्रियान्वयन के संबंध में 20 जिलों में 11 हजार 595 ग्राम सभाओं के 13 हजार 753 फलियों, मजरों, टोलों एवं बसाहटों तक प्रशिक्षण कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
23 जिलों में बैगा, भारिया और सहरिया
प्रदेश के 23 जिले ऐसे हैं जहां बैगा, भारिया और सहरिया जनजाति निवास करती है। प्रदेश में भले ही आदिवासियों के लिए 29 में से छह लोकसभा सीटें सुरक्षित हैं पर इनका प्रभाव दस से अधिक सीटों पर है। इनमें छिंदवाड़ा जिला भी शामिल है, जहां की सभी सात विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। यही एक मात्र लोकसभा क्षेत्र भी जहां कांग्रेस से नकुल नाथ सांसद हैं। धार में कांग्रेस ने पांच में से चार अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीटें जीतीं। मंडला में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को भी हार का सामना करना पड़ा। मंडला संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस ने बढ़त बनाई। हालांकि, शहडोल और बैतूल संसदीय क्षेत्र में भाजपा आगे रही। आदिवासियों पर कांग्रेस की पकड़ को कमजोर करने के लिए शिवराज सरकार में बहुत प्रयास हुए। भाजपा संगठन ने भी पुरजोर कोशिश की। इसके बावजूद कांग्रेस की रणनीति सफल रही। पार्टी ने सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी डीएस राय सहित अन्य अधिकारियों को आदिवासियों को साधने के काम पर लगाया। इन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को साथ लेकर पकड़ बनाई, जिसका लाभ पार्टी को चुनाव में मिला। अब भाजपा की नजर 23 जिलों में फैले बैगा, भारिया और सहरिया आदिवासियों पर है।
75 हजार को दिए पीएम आवास
इस वर्ग को साधने के लिए भाजपा निरंतर प्रयासरत है। इनके लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई पीएम जनमन योजना के अंतर्गत तीन वर्ष में प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण की तर्ज पर आवास बनाए जाने हैं। इसके लिए चिन्हित डेढ़ लाख परिवारों में से पहले ही वर्ष में न केवल 86,228 आवास बनाने का लक्ष्य मिला बल्कि 75 हजार की स्वीकृति भी मिल गई। 60 हजार हितग्राहियों को पहली किस्त भी जारी हो गई। विशेष पिछड़ी जनजाति की बसाहटों में अधोसंरचना विकास के काम करने के लिए केंद्र सरकार साथ लेने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ सहित अन्य योजनाओं के नियमों में छूट दी गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ सौ लोगों की बसाहट होने पर भी बना दी जाएगी। इसके लिए सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी केंद्र और पक्के आवास बनाने का काम हाथ में लिया गया है। प्रदेश में इनके तीन वर्ष के भीतर डेढ़ लाख आवास बनाए जाने हैं, जिसमें से 86 हजार 228 को लक्ष्य भी मिल गया और 75 हजार की स्वीकृति मिल गई। 60 हजार हितग्राहियों को पहली किस्त भी जारी की जा चुकी है। देश में योजना के अंतर्गत पहला आवास भी मध्य प्रदेश के शिवपुरी में भागचंद्र आदिवासी का बन चुका है। प्रधानमंत्री जनमन योजना में प्रति आवास लागत दो लाख रुपये निर्धारित की गई है। शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार और मजदूरी के लगभग 21 हजार रुपये अतिरिक्त मिलेंगे।