टारगेट पर मिशन 2028

मिशन 2028
  • मप्र में 3 साल पहले बिछने लगी चुनावी चौसर

मप्र में विधानसभा चुनाव को अभी 3 साल का समय है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां मिशन 2028 की तैयारी में जुट गई हैं। भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सुशासन का पाठ पढ़ाने के साथ ही प्रदेशभर में दौरा कर संगठन को सक्रिय बनाने में जुटे हुए हैं, वहीं कांग्रेस ने मांडू में दो दिनों तक अपने विधायकों को प्रशिक्षण देकर आगामी विधानसभा चुनाव को जीतने का लक्ष्य बनाया है। यानि दोनों पार्टियों का टारगेट 2028 है।

विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मप्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां मिशन मोड़ में नजर आ रही हैं। वैसे तो भाजपा पूरे साल कार्यक्रमों के माध्यम से अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखती है, वहीं अब कांग्रेस ने भी अपने नेताओं को सक्रिय कर दिया है। अपनी चाल, चरित्र और चेहरा वाली लाइन से हटकर होर्डिंग-पोस्टर और सोशल मीडिया पर नेतागिरी का दिखावा करने वाले अपने कार्यकर्ताओं पर भाजपा नकेल कसने की तैयारी कर रहे हैं। इस संदर्भ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने सभी को संदेश दे दिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, अब इस पर अमल करने की रणनीति पर काम हो रहा है। दरअसल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल का पूरा फोकस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की सरलता और सुचिता पर है। ऐसे में गाडिय़ों से लेकर शहर में होर्डिंग-पोस्टर और सोशल मीडिया पर बेवजह दिखने वाले नेताओं की कार्यप्रणाली को लेकर भाजपा में चिंतन का दौर चल रहा है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि भाजपा की तैयारी है कि अनावश्यक रूप से कार्यकर्ता न तो गाडिय़ों में हूटर लगाएं और न ही अनावश्यक रूप से पार्टी के बजाय खुद के चेहरे चमकाने पर जोर दें। भाजपा ऐसे नेताओं के सोशल अकाउंट खंगाल रही है। ताकि सूची तैयार कर उन्हें अध्यक्ष की मंशा से अवगत कराया जा सके। इस मामले को लेकर भाजपा सीधे तौर पर कुछ कहने से बच रही है, लेकिन प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया ने कहा है कि सहजता भाजपा का मूल स्वभाव है। पार्टी का हर कार्यकर्ता इसे अमल करता है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल कार्यकर्ता या पदाधिकारियों की बैठकों में सरलता और सुचिता की लगातार हिदायत दे रहे हैं। सूत्रों की मानें तो नवागत प्रदेश अध्यक्ष कार्यकर्ताओं की गाडिय़ों में लगे हूटर से लेकर अनावश्यक पावर दिखाने वाले नेताओं के इस व्यवहार से असहज हैं। ऐसे कार्यकर्ता या पदाधिकारियों को सरलता और सुचिता का पाठ पढ़ाने के लिए उनकी सूची तैयार की जा रही है। नवागत प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल इसी स्वभाव में रमे हैं। उनका अनुसरण हर कार्यकर्ता करेगा। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया का कहना है कि हेमंत खंडेलवाल सरल हैं। वह अपेक्षा कर रहे हैं कि कार्यकर्ता भी ऐसा करें। भाजपा तो अब विधायक-सांसदों का भी प्रशिक्षण करा चुकी है, लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिला है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि होर्डिंग पर बड़ा फोटो लगाने से पद नहीं मिलेगा और न ही आपका भविष्य बनेगा। जिसने खुद की चिंता की, वो कही नहीं पहुंचा। पार्टी की चिंता करने वाला ही ऊंचाई पर पहुंचा है। आप अपनी चिंता छोड़ दें। फेसबुक, ट्विटर पर आप खुद की जगह सरकार की बात करें। सोशल मीडिया पर वो चीज डाले जिसकी समाज को जरूरत है। गौरतलब है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने स्पष्ट संदेश दिया है कि पार्टी को जमीनी स्तर पर मेहनत करने वाले युवा चाहिए, न कि होर्डिंग और सोशल मीडिया पर खुद को चमकाने वाले। खंडेलवाल ने युवाओं से आह्वान किया कि वे सोशल मीडिया पर पार्टी और समाज के हित में बात करें, न कि अपनी व्यक्तिगत छवि चमकाएं। जिसने अपनी चिंता की, वह कहीं नहीं पहुंचा, लेकिन पार्टी की चिंता करने वाला हमेशा ऊंचाइयों तक पहुंचा है। खंडेलवाल का कहना है कि कार्यकर्ता खुद की चिंता छोड़ दें। आप काम पर ध्यान दें, आपकी चिंता पार्टी करेगी। मेरा आप सब से कहना है कि सोशल मीडिया पर खुद के अलावा हमारी पार्टी क्या कर रही है, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री जो कर रहे हैं उसे शेयर करें। आप कहां घूमने गए हैं इससे समाज को कोई लेना-देना नहीं हैं। आप ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं वो पोस्ट करने से आपका इंप्रेशन खत्म हो रहा है। आप अपने सोशल मीडिया पर जो शेयर करेंगे उससे समाज में आपकी वैसी इमेज बनेगी।

अगले तीन साल का ब्लू प्रिंट तैयार
वहीं मांडू में कांग्रेस के दो दिवसीय नव संकल्प शिविर में पार्टी ने 2028 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर अहम निर्णय लिए। कांग्रेस ने मप्र में बदलाव का नारा देते हुए हर विधानसभा सीट के सामाजिक, जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों पर मंथन किया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों और संगठन पदाधिकारियों ने समूह बनाकर बेरोजगारी, महंगाई, किसान, ओबीसी आरक्षण, महिला सुरक्षा, जनजातीय मुद्दों, संगठन सृजन और जनगणना जैसे विषयों पर अपनी-अपनी रिपोर्ट दी। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि पार्टी ने अब सत्ता में वापसी का संकल्प ले लिया है। विधायक दल की रिपोर्ट संगठन को सौंपी गई है। 10 विधायकों की कमेटियों का गठन किया गया है जो लगातार रणनीतिक काम करती रहेंगी। कांग्रेस संगठन सडक़ों पर और विधायक सदन में भाजपा को घेरेंगे। दरअसल, मप्र में कांग्रेस विधायकों के प्रशिक्षण शिविर में अगले तीन साल का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। प्रदेश में कांग्रेस पार्टी एग्रेशन के साथ सियासत करेगी। राज्य में जनता से जुड़े मुद्दे कैसे उठाए जाएं, इसे लेकर रोडमैप बनाया गया है। विधायक दल ने मंथन के बाद संगठन को रिपोर्ट सौंपी है। कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी, ओबीसी आरक्षण, महिला अपराध, किसान, युवाओं, आदिवासियों को केंद्र में रखकर काम करेगी। संगठन सडक़ों पर तो विधायक सदन में भाजपा को घेरेंगे। कांग्रेस विधायकों के बाद प्रदेश के पदाधिकारी और संगठन सृजन में चुनकर आने वाले जिला अध्यक्षों को भी बड़े पैमाने पर ट्रेनिंग दी जाएगी। चिंतन शिविर में राहुल गांधी के जातिगत जनगणना के पक्ष को सही ठहराते हुए कांग्रेस ने इसे जन अधिकारों की बहाली का माध्यम बताया और कहा तेलंगाना मॉडल को मध्यप्रदेश में लाने का संकल्प लिया गया है। साथ ही वन अधिकार कानून और पेसा एक्ट को जमीनी स्तर पर लागू करने की प्रतिबद्धता जताई गई। शिविर के दौरान कांग्रेस सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत, कोषाध्यक्ष अजय माकन, प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी पार्टी पदाधिकारियों का मार्गदर्शन किया।
मांडू में कांग्रेस ने विचारधारा और संगठनात्मक दृष्टि से व्यापक रणनीति तैयार की। पार्टी ने शिविर को केवल संगठनात्मक मंथन का मंच नहीं, बल्कि भविष्य की ठोस योजना के रूप में पेश किया। कांग्रेस के 60 से अधिक विधायकों को 10-10 के छह समूहों में बांटकर जातिगत जनगणना, 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण, वन अधिकार कानून, पैसा एक्ट, जनजातीय अधिकार, संगठन सृजन अभियान जैसे प्रमुख मुद्दों पर गहन चर्चा करवाई गई। प्रत्येक समूह ने अपने अनुभवों और सुझावों को साझा करते हुए प्रदेश के जमीनी हालात पर चिंतन किया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नव संकल्प शिविर की सफलता से भाजपा घबराई हुई है। मांडू में हमने जनसंकल्प लिया है, पंचमढ़ी में भाजपा की तरह हनीमून नहीं मनाया। भाजपा को डर है कि आगामी विधानसभा सत्र में कांग्रेस उनके भ्रष्टाचार, विफल योजनाओं और जनविरोधी निर्णयों को उजागर करेगी और हम यह जरूर करेंगे। सिंघार ने कहा कि यह शिविर सिर्फ सत्र की तैयारी नहीं बल्कि प्रदेश के बदलाव की ठोस नींव है। कांग्रेस ने इस शिविर में एक रणनीतिक दस्तावेज भी तैयार किया है। जो आगामी जनसंपर्क अभियानों, संगठनात्मक विस्तार और जनता से संवाद का आधार बनेगा। कुल मिलाकर, कांग्रेस ने मांडू से 2028 की तैयारियों की शुरुआत करते हुए अपने राजनीतिक संघर्ष और वैचारिक स्पष्टता का प्रदर्शन किया है। पार्टी ने संकेत दे दिया है कि आने वाले समय में वह सडक़ से सदन तक भाजपा को घेरने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरेगी। कांग्रेस के इस नव संकल्प शिविर में विधायकों को सोशल मीडिया, डिजिटल इंटेलिजेंस का पाठ भी पढ़ाया गया। फेसबुक, शॉर्ट वीडियो, इंस्टा, यूट्यूब, एक्स की बारीकी सिखाई गई। आईटी सोशल मीडिया हेड सुप्रिया श्रीनेत ने विधायकों को ट्रेनिंग दी। उन्होंने कहा कि आज की राजनीति में डिजिटल उपस्थिति जरूरी है और हर विधायक जनता से जुड़े मुद्दों को सोशल प्लेटफॉम्र्स पर उठाएगा। कांग्रेस ने तय किया है कि पार्टी का डिजिटल सेल हर विधानसभा पर नजर रखेगा और जन मुद्दों से जुड़े कंटेंट को आगे बढ़ाएगा। साथ ही सोशल मीडिया पर भाजपा सरकार की विफलताओं को उजागर किया जाएगा।

जिलों में भाजपा को घेरने तैनात होगी टीम
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का संगठन काफी मजबूत है। ग्राम स्तर तक ढांचा बना हुआ है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस संगठन की कमजोरी दूर करने पर सर्वाधिक ध्यान दे रही है। इसके तहत अब प्रत्येक जिले में पांच प्रभारी नियुक्त करने की तैयारी है। यह काम एक माह के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा है। दरअसल, पार्टी अब पंचायत और वार्ड स्तर पर इकाइयां गठित करने जा रही है। वहीं, संगठन सृजन अभियान के अंतर्गत जिला अध्यक्षों की नियुक्तियां भी इसी माह की जाएंगी। इसके ठीक बाद ब्लाक अध्यक्ष बड़े पैमाने पर बदले जाएंगे। मध्य प्रदेश में चुनाव का सिलसिला 2027 से प्रारंभ होगा। सबसे पहले नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायतराज संस्थाओं के चुनाव होंगे। नगरीय निकाय के चुनाव दलीय आधार पर होते हैं और प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बनाने के साथ दलों की स्थिति की आकलन करने के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं। कांग्रेस ने पिछले चुनावों से सबक लेते हुए सबसे पहले संगठन को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखते हुए वर्ष 2025 को संगठन वर्ष के तौर पर मनाने का निर्णय लिया। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर विदिशा में वरिष्ठ नेताओं को भेजकर जहां संगठन की स्थिति का आकलन कराया वहीं पंचायत और वार्ड स्तर पर गठित की जाने वाली समितियों की रूपरेखा तय की। वहीं, जिले में निर्वाचन आयोग से जुड़े कामों के लिए भी एक पदाधिकारी तैनात होगा। इसके साथ ही पार्टी जिले में जिला, चुनाव प्रबंधन, विधानसभा, मतदाता सूची और समन्वय के लिए प्रभारी नियुक्त करेगी। सबकी अलग-अलग भूमिका रहेगी। जिला प्रभारी पूरे संगठन का काम देखेगा तो चुनाव प्रबंधन का काम बूथ लेवल एजेंट बनाने से लेकर मतदाता सूची के काम की निगरानी का रहेगा। इसके लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र का एक प्रभारी रहेगा। 70 से अधिक विधानसभाओं में प्रभारी नियुक्त किए जा चुके हैं। सभी संगठनों के बीज जिले में बेहतर समन्वय हो, इसका जिम्मा एक अलग प्रभारी को दिया जाएगा। कुल मिलाकर प्रदेश में भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस अपने संगठन को तैयार करने में जुटी है। वर्षांत तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और फिर मैदानी स्तर पर काम प्रारंभ होगा। प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री संजय कामले का कहना है कि वर्ष 2025 में संगठन का विस्तार ग्राम और वार्ड स्तर तक हो जाएगा। अगस्त में अधिकतर नियुक्तियां हो जाएंगी। जिला अध्यक्षों से लेकर हर स्तर के प्रमुख का प्रशिक्षण होगा। पंचायत और वार्ड स्तर की जो नई इकाइयां गठित होंगी उनके अध्यक्षों को जिलों में ही प्रशिक्षित कराया जाएगा। इसके लिए मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं। 2026 से मिशन 2028 और 29 की तैयारी में एक साथ पूरी टीम जुटेगी। उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने और छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव में बेटे नकुल नाथ की पराजय के बाद से कमल नाथ प्रदेश और कांग्रेस की राजनीति से दूर भी थे। इस बीच राहुल गांधी से मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वे राष्ट्रीय स्तर पर किसी भूमिका में वापस आ सकते हैं, लेकिन ऐसा कोई निर्णय नहीं हुआ। मध्य प्रदेश विधानसभा के जारी मानसून सत्र में छिंदवाड़ा से विधायक कमल नाथ कई बार सदन पहुंचे और चर्चा में भी भाग लिया। कांग्रेस के नेताओं और मीडिया से मिल रहे हैं। उनकी इस सक्रियता से कांग्रेस के ही कई वरिष्ठ नेताओं की धडक़नें तेज हो गई हैं। इसकी वजह कमल नाथ का बड़ा कद है। कमल नाथ के नेतृत्व में ही वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सत्ता का वनवास समाप्त हुआ था लेकिन वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहद कमजोर प्रदर्शन के बाद प्रदेश कांग्रेस की कमान जीतू पटवारी को सौंप दी गई थी। बीच में उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलों ने भी जोर पकड़ा। हालांकि ये सही नहीं निकलीं। जीतू पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद जिस तरह कमल नाथ के करीबियों की निष्क्रियता बढ़ी और नए समीकरण उभर रहे थे, इस बीच अचानक कमल नाथ की सक्रियता से पार्टी में कयासों का दौर तेज हो गया है। दरअसल, कांग्रेस में केंद्रीय स्तर से लेकर प्रदेश तक कमल नाथ का जो कद रहा है, उसके अनुसार उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। दूसरी संभावना यह भी है कि उनके करीबियों की प्रदेश संगठन में भागीदारी बढ़ सकती है। पिछले डेढ़ वर्षों में भाजपा सरकार के सामने बतौर मजबूत विपक्ष कांग्रेस की मौजूदगी अपेक्षाकृत कमजोर रही है। कमल नाथ का कहना है कि कम इसलिए दिख रहा हूं ताकि गुटबाजी के आरोप न लगें। वहीं छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा और हर्रई के जीजीपी एवं भाजपा के 500 से अधिक कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हुए। कमल नाथ ने उनसे कहा कि आप इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के सिद्धांतों पर चलने वाली कांग्रेस पार्टी में शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस समाज को जोड़ती है, वहीं भाजपा समाज को तोड़ती है।

प्रदेशाध्यक्ष बढ़ा रहे मेलजोल
गौरतलब है कि भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के मोर्चा संभालते ही संगठन की विचारधारा से दाएं-बाएं होने वाले नेताओं को पहले ही चेतावनी दे दी गई है तो वहीं जिलों में जाकर रूठे और उपेक्षित नेताओं में जान फूंकने की कवायद खुद खंडेलवाल कर रहे हैं। वह कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उनके साथ भोजन पर चर्चा कर रहे हैं। इस आयोजन में मंत्री, विधायक, सांसद और वरिष्ठ नेताओं का बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं के साथ मेलजोल बढ़ाया जा रहा है। इससे इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि गठित होने वाली प्रदेश व जिला कार्यकारिणी में पुराने नेताओं की मौजूदगी प्रमुखता से दिखाई दे, सकती है। वहीं डेढ़ साल बाद प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू हो जाएगी। राज्य सरकार सहकारिता चुनाव कराने की भी बात कर रही है। ऐसे में खंडेलवाल का यह नवाचार महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसका फायदा पार्टी को मिलेगा। भाजपा संगठन भी पुराने कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में जुट गया है। भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल जिला और मंडल कार्यकर्ताओं के अलावा पार्टी के उपेक्षित और पुराने कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे है। जामवाल, पार्टी कार्यकर्ताओं के शिकवे शिकायतें भी धैर्य के साथ सुन रहे हैं। हाल ही में जामवाल ने रायसेन और इंदौर पहुंचकर कार्यकर्ताओं की बैठकें की थीं। वैसे तो जामवालं का मुख्यालय रायपुर है, लेकिन वह संगठन को मजबूत करने की दिशा में मप्र के सभी अंचलों में का दौरा कर रहे हैं।

तीन माह तक जिलों का दौरा करेंगे खंडेलवाल
बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं का बड़े नेताओं के साथ निरंतर संवाद और कामकाज के प्रति समर्पण बना रहे, इस उद्देश्य से हेमंत खंडेलवाल ने अपने विधानसभा क्षेत्र बैतूल से इसकी शुरुआत कर दी है। वह आगामी तीन माह तक प्रदेश के सभी संगठनात्मक 62 जिलों का दौरा करेंगे। इससे पहले वह ग्वालियर, जबलपुर और रीवा संभाग का दौरा कर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर चुके हैं। खंडेलवाल ने अध्यक्ष बनने के कुछ दिन बाद से ही पुराने वरिष्ठ नेताओं से भी मेलजोल बढ़ाया है। वह केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, वरिष्ठ नेता कप्तान सिंह सोलंकी और गौरीशंकर शेजवार जैसे कई वरिष्ठ नेताओं से मिलकर मार्गदर्शन ले चुके हैं। इस नवाचार को लेकर भाजपा प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि भाजपा संपर्क और संबंधों के आधार पर परिवार भावना से संगठन चलाती है। संगठन के मुखिया के नाते प्रदेश अध्यक्ष लगातार प्रयास कर रहे हैं कि पार्टी के हर स्तर के कार्यकर्ताओं से संवाद हो। प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का कहना है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दौरा नहीं जमीनी काम का रहे हैं। वह कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं। प्रमुख मंदिरों का दर्शन कर रहे हैं, पुराने नेताओं के निवास जाकर भेंट कर रहे हैं। समूह से लेकर प्रत्येक कार्यकर्ताओं से मेल मुलाकात कर वह रात्रि का भोजन भी कार्यकर्ताओं के साथ ही कर रहे हैं। जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी विभिन्न स्तरों पर कार्य करने वाले कार्यकर्ता सभी से निरंतर संवाद की पार्टी की अपनी परंपरा को अध्यक्ष बड़ी ही गंभीरता और उदारता से निभा रहे हैं।

नहीं दिख रहा कांग्रेस का दम
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को फिर से मजबूती से खड़ा करने की कवायद की जा रही है। लेकिन मप्र में इसका असर नहीं दिख रहा है। विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद नेतृत्व में बदलाव किया गया। युवा हाथों में पार्टी की कमान सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कांग्रेस में जान फूंकने की कवायद शुरू की, लेकिन कांग्रेस को मजबूत करने की सारी कवायद बेअसर साबित हो रही हैं। न सदन और न ही सडक़ पर कांग्रेस का दम दिख रहा है। करीब डेढ़ साल पहले कांग्रेस ने जिस तरह संगठन में बदलाव किया था उससे लगा था कि कांग्रेस को मजबूत विपक्ष बनाने की कवायद सफल होगी, लेकिन कांग्रेस पहले से भी कमजोर दिखाई पड़ रही है। जनहित, अपराध, महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर वह न सडक़ पर मजबूती से उतर पा रही है, न विधानसभा में सरकार को घेरने में कामयाब दिखाई दी है। बीते माह भोपाल आए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तंज कसते हुए नरेन्दर-सरेंडर का विवादित बयान दिया था, लेकिन उनके लौटते ही कांग्रेस पुराने ढर्रे पर आ गई। भाजपा के अंदरूनी समीकरण में स्पष्ट है कि डा. मोहन यादव विधायक दल से लेकर कैबिनेट तक पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री जैसे मजबूत होने का प्रयास कर रहे हैं, यह किसी से छुपा नहीं है। कई अवसरों पर अपने बयानों से मंत्रियों और विधायकों ने सरकार और संगठन की फजीहत कराई है। शिकवे-शिकायतों का दौर भी थम नहीं रहा है। ऐसे मौके विपक्ष के लिए अलग तरीके से बड़े अवसर पैदा करते हैं, लेकिन जीतू पटवारी और उनकी टीम इस दिशा में कोई सफलता प्राप्त नहीं कर सकी है। 90 डिग्री कोण वाले पुल के निर्माण कार्यों में तकनीकी खामी को लेकर भी कई मामले सामने आए। इंटरनेट मीडिया पर इसे पूरे देश ने देखा। अंतत: मुख्यमंत्री को आगे जाकर कार्रवाई करनी पड़ीं, लेकिन कांग्रेस इस पूरे मामले पर आगे आने के बजाय दर्शक ही बनी रही। मप्र में कांग्रेस की बदलती हुई संस्कृति पर भाजपा का प्रभाव स्पष्ट दिखाई दिया। हाईकमान ने अपनी परिपाटी से अलग चलकर वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया और जीतू पटवारी जैसे युवा नेता को प्रदेश की कमान सौंप दी। जीतू पटवारी विधानसभा चुनाव हार चुके हैं और विधानसभा के अंदर उनकी मौजूदगी नहीं है, ऐसे में सदन के अंदर भी युवा चेहरों पर भरोसा करते हुए उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष और हेमंत कटारे को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। उम्मीद थी कि कांग्रेस के युवा चेहरे पहली बार मुख्यमंत्री बने डा. मोहन यादव की सरकार को सीधी टक्कर देंगे। डा. मोहन यादव ने विभागों के बंटवारे में गृह, उद्योग और जनसंपर्क जैसे अहम विभाग अपने पास ही रखे हैं। ऐसे में कयास थे कि कानून-व्यवस्था, अपराध जैसे मुद्दों पर कांग्रेस सीधे डा. मोहन यादव को घेरेगी, लेकिन भोपाल से उज्जैन, इंदौर तक लव जिहाद जैसे मामलों के राजफाश होने के बाद भी कांग्रेस इस पर मुखर होने से बचेती रही। विंध्य क्षेत्र में गांवों में सडक़ न होने से महिलाओं, विशेषकर गर्भवती के लिए दुविधा को लेकर इंटरनेट मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुई। जनता ने वीडियो बनाकर वायरल किया और सांसद से सीधा मोर्चा लिया। कांग्रेस इस मामले में साथ भी आई, लेकिन प्रभावशाली तरीके से नागरिकों के सामने नहीं रख सकी। भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस ने युवा चेहरों पर भरोसा जताया और इन चेहरों ने भाजपा की तर्ज पर अपने नेताओं की संवाद और कौशल विकास की ट्रेनिंग भी दी, लेकिन संगठन में कार्यकर्ताओं की कमी की तरफ अभी भी अनदेखी ही है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हमेशा कहते रहे हैं कि कांग्रेस में नेता ज्यादा हैं, कार्यकर्ता कम। जीतू पटवारी अब तक जितने प्रदर्शन कर चुके हैं, उसमें संख्या बल की कमी उनके उत्साह को चोट पहुंचाती है। कांग्रेस का मुकाबला उस भाजपा से रहा है, जो हमेशा इलेक्शन मोड में रहती है, लेकिन कांग्रेस अभी तैयारी मोड में ही नहीं दिखाई देती। युवाओं, महिलाओं, मजदूर और कमजोर वर्ग को जोडऩे में कांग्रेस की दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही है। ऐसे वर्गों के मुद्दे उठाने के लिए विधानसभा सदन से बेहतर कौन सी जगह हो सकती है, लेकिन सदन में भी कांग्रेस भैंस के आगे बीन बजाने जैसे अनूठे प्रदर्शन तक ही सीमित है। कोई शक नहीं है कि बीते वर्षों में आमदनी के मुकाबले खर्चे में बढ़ोतरी हुई है। गरीब और मध्यम आय वर्ग के लिए गुजर-बसर आसान नहीं रहा। ऐसे मुद्दों को कांग्रेस गंभीरता से उठाने में चूक कर रही है। कांग्रेस की यही सरेंडर मुद्रा मोहन सरकार के लिए 2028 तक का सफर तय करने का सरपट रास्ता तैयार कर रही है।

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