- अवैध खनन में जो बना बाधक उसकी हुई हत्या

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मंत्री ऐदल सिंह कंसाना के विवादास्पद बयान ने एक गंभीर बहस छेड़ दी है। मंत्री ने रेत माफिया को पेट माफिया बताया था। इस बयान से सरकार की गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं। हाल के वर्षों में रेत माफिया की हिंसक गतिविधियां बढ़ी हैं। माफिया सरकारी कर्मचारियों पर हमले कर रहे हैं। माफिया को जब लगता है कि उसके धंधे में कोई बाधक बन रहा है तो वे उसे मौत के घाट उतारने में भी देर नहीं करते हैं। ऐसे में मंत्री के बयान को माफिया की हिंसक गतिविधियों को कम आंकने वाला माना जा रहा है। पिछले कुछ सालों में मध्य प्रदेश में रेत माफिया की गुंडागर्दी बढ़ गई है। 2024 और 2025 में कई ऐसी घटनाएं हुईं हैं, जिनमें माफिया ने खुलेआम कानून को तोड़ा है। हाल ही में मुरैना में एक और ऐसी घटना हुई। वन विभाग की टीम ने रेत से भरे एक ट्रैक्टर को पकड़ा। माफिया के लोगों ने ट्रैक्टर को छुड़ा लिया। उन्होंने अधिकारियों को धमकी भी दी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे सरकार की कमजोरी उजागर हुई।
करोडों का है अवैध रेत का कारोबार
रेत का अवैध कारोबार करोड़ों रुपये का है। एक ट्रक रेत से 10,000 से 30,000 रुपये तक की कमाई होती है। यह सिर्फ पेट भरने का काम नहीं है। यह एक बड़ा व्यवसाय है। इसमें होने वाला मुनाफा माफिया और उनके साथियों के बीच बंटता है। विपक्षी दलों के आरोपों से पता चलता है कि माफिया को स्थानीय नेताओं और अधिकारियों का समर्थन मिलता है। इससे पेट माफिया वाली बात कमजोर पड़ जाती है। क्योंकि इसमें पावर और प्रभाव का खेल शामिल है।
किसी को गोली तो किसी को कुचल कर मारा
खनन माफिया अब तक अनगिनत जानें ले चुका है। 31 मार्च 2014 को देवरी घडिय़ाल केंद्र पर हवलदार विश्वनाथ को माफिया ने गोलीमारी थी। 5 अप्रैल 2015 को धनेला रोड पर डंपर से कुचलकर पुलिस आरक्षक धर्मेंद्र सिंह चौहान की हत्या की। 16 सितंबर 2015 को रेत के ट्रैक्टर ट्राली से कुचलकर हाईवे पर युवक की मौत। 7 मार्च 2016 रेत माफिया ने वन आरक्षक नरेंद्र शर्मा को ट्रैक्टर से कुचलकर मारा। 20 फरवरी 2017 को रेत के ट्रैक्टर ट्राली ने मां-बेटे को कुचला, जिसमें बच्चे की मौत हुई थी। 02 मार्च 2016 को टेंटरा में रेत के ट्रैक्टर से कुचलकर चार माह के मासूम बच्चे की मौत। 08 नवंबर 2016 को रामपुर कलां में रेत के ट्रैक्टर-ट्राली से कुचलकर महिला की मौत हुई थी। 18 जून 2017 को रेत भरे ट्रैक्टर-ट्राली ने दो भाइयों को कुचला था। 25 जून 2017 को रेत के ट्रैक्टर-ट्राली से महिला की मौत। 25 दिसंबर 2017 को अंबाह में रेत के ट्रैक्टर-ट्राली एक खिलाड़ी को कुचला, विरोध में जाम लगा था। 6 सितंबर 2018 को रेत माफिया ने -वन नाके पर ट्रैक्टर से कुचलकर डिप्टी रेंजर की हत्या की। सितंबर 2020 में मुड़िया खेड़ा में बुजुर्ग को अवैध रेत के ट्रैक्टर-ट्रॉली ने कुचला। जनवरी 2020 में नौवीं की छात्रा को रेत के ट्रैक्टर-ट्रॉली ने कुचला। 9 नवंबर 2022 को बड़ोखर चौराहे पर रेत से भरे ट्रैक्टर ट्राली से नरेश पुत्र रतिराम की मौत। 19 मार्च 2024 को रेत माफिया के ट्रैक्टर ने नेशनल हाईवे 44, सिकरौदा नहर के पास खाण्डौली के रहने वाले 40 वर्षीय घनश्याम सिंह सिकरवार को कुचलकर मार डाला। घनश्याम सिंह उत्तर प्रदेश के एटा में शिक्षक थे।
हर साल ले रहे पांच लोगों की जान
मंत्री अवैध रेत कारोबार और रेत माफिया को किसी भी नजर से देखें, लेकिन रूह कंपा देने वाली हकीकत यह है कि अवैध रेत के इस कारोबार के आगे रेत माफिया लोगों की जान की कीमत नहीं समझ रहे हैं। अवैध रेत लेकर अंधी रफ्तार में दौड़ रहे रेत माफिया के वाहन हर साल औसतन पांच लोगों की जान ले रहे हैं। रेत माफिया का आतंक 21 जून 2018 को दिखा, जब जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर रामपुर गंज गांव के पास अवैध रेत के तेज रफ्तार ट्रैक्टर-ट्राली ने महिंद्रा मैक्स गाड़ी को टक्कर मारी थी। इसमें 15 लोग थे, जिनमें 12 की मौत हो गई थी। लगभग आठ साल पहले एसपी विनीत खन्ना और कलेक्टर विनोद शर्मा बरवासिन घाट पर निरीक्षण को पहुंचे थे, तब रेत माफिया ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जवाब में पुलिस ने भी खूब फायर किए थे। इसमें अफसरों ने भागकर जान बचाई थी। शहडोल में मई 2024 में एक दुखद घटना हुई। सहायक उप-निरीक्षक महेंद्र बागरी को रेत से भरे ट्रैक्टर ने कुचल दिया था।