शिवराज का मंत्र लेकर मैदान में उतरेंगे मंत्री

शिवराज
  • भाजपा का मिशन 2023

मप्र में भाजपा अब पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मैदानी मोर्चा संभाल लिया है। अब मप्र सरकार के मंत्री मैदानी मोर्चा संभालेंगे। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों के साथ बैठक कर उन्हें चुनावी मंत्र दे दिया है। अब शिवराज का मंत्र लेकर प्रदेश के सभी मंत्री मैदान में उतरेंगे।

विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
भाजपा आलाकमान ने मप्र में 51 फीसदी वोट के साथ 200 विधानसभा सीटों को जितने का टारगेट सत्ता और संगठन का दिया है। इस टारगेट का पूरा करने के लिए अब पूरी सरकार मैदानी मोर्चा संभालेगी। इसके लिए राष्ट्रीय संगठन और संघ के वरिष्ठ नेताओं ने रणनीति बनाकर सत्ता और संगठन को सौंप दिया है। इस रणनीति पर काम करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 6 दिसंबर को मंत्रियों के साथ बैठक की और उन्हें चुनाव का मंत्र देते हुए प्रभार वाले जिलों में सक्रिय होने का निर्देश दिया। आने वाले समय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ ही अब मंत्री और विधायक भी दौरे करेंगे। सबसे ज्यादा दौरे करने वाले दोनों दिग्गज नेताओं का रोडमैप तैयार होने लगा है। दोनों प्रमुख नेताओं के दौरे को भाजपा के लिए कमजोर रहे बूथ व सीटों के हिसाब से रखा जाएगा।
मप्र में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। सरकार, केंद्र और राज्य की हितग्राहीमूलक योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए कार्ययोजना बनाकर काम कर रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान (17 सितंबर से 31 अक्टूबर) चलाया गया था। इसमें 83 लाख पात्र व्यक्ति विभिन्न योजनाओं के लिए चिन्हित किए गए। इन्हें लाभ पहुंचाने की शुरुआत भी बैतूल से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर चुके हैं। अब इस कार्यक्रम को विस्तार देने की कार्ययोजना बनाई गई है। इसमें घर-घर पहुंचाकर यह पता लगाया जाएगा कि कितने और व्यक्ति ऐसे हैं, जिन्हें योजनाओं का लाभ दिलाया जा सकता है। इसके लिए मंत्री और विधायक घर-घर जाएंगे। इस कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा भी सहयोगी की भूमिका निभाएगी। पार्टी पदाधिकारी भी घर-घर संपर्क करेंगे और योजनाओं के बारे में फीडबैक जुटाकर सरकार तक पहुंचाएंगे। सरकार ने जन सेवा अभियान में मंत्रियों के समूह बनाकर जिलों के दौरे पर भेजा था। इसमें शिविर लगाकर पात्र हितग्राहियों के आवेदन लिए गए थे। 83 लाख व्यक्ति विभिन्न योजनाओं के लिए पात्र पाए गए और अब इन्हें स्वीकृति पत्र दिए जा रहे हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री संभागवार कार्यक्रम कर रहे हैं और मंत्रियों को प्रभार के जिलों में जाकर हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र या आदेश देने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, सरकार का प्रयास है कि चुनाव से पहले उन सभी व्यक्तियों को योजनाओं का लाभ दिला दिया जाए, जो पात्रता तो रखते हैं पर उन्हें लाभ नहीं मिला है। इसके लिए अब घर-घर संपर्क अभियान चलाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि हरदा में हमने इस प्रयोग को किया है। इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। अब इसका विस्तार किया जा रहा है। अभियान में केंद्र और राज्य सरकार की सभी हितग्राहीमूलक योजनाओं के लिए ऐसे व्यक्तियों को चिन्हित किया जाएगा, जो पात्र हैं पर लाभ नहीं मिल रहा है। वहीं, प्रदेश भाजपा भी इस अभियान में सहयोगी की भूमिका निभाएगी। घर-घर संपर्क करके फीडबैक जुटाकर सरकार तक पहुंचाया जाएगा। सरकार विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों के जल्द ही सम्मेलन भी प्रारंभ करेेगी।

मंत्रियों की हर गतिविधि पर नजर
2018 से सबक लेते हुए इस बार सत्ता और संगठन पूरी तरह सचेत हैं। इसलिए इस बार हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। मंत्री अपने प्रभार वाले जिले में दौरे के दौरान क्या-क्या करेंगे, उसकी पूरी रिपोर्ट संगठन तैयार करेगा। यानी अब पार्टी मंत्रियों के दौरों की पूरी निगरानी करेगी। इसके आधार पर मंत्रियों की परफॉर्मेंस तैयार की जाएगी। गौरतलब है कि मप्र विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी प्रदेश भाजपा पूरी रणनीति के तहत काम कर रही है। एक ओर जहां बूथ स्तर पर संगठन मजबूत बनाने की कवायद की जा रही है, तो वहीं सरकार की योजनाओं को शत-प्रतिशत लोगों को लाभ मिले, ऐसे प्रयास हो रहे हैं। प्रभारी मंत्री अपने जिलों में कितने सक्रिय रहते हैं, इस पर भाजपा संगठन ने भी अपनी नजर रखनी शुरू कर दी है। प्रदेश संगठन की पिछली कुछ बैठकों में कार्यकर्ताओं और संगठन के पदाधिकारियों द्वारा सरकार के मंत्रियों, विधायकों, सांसदों एवं प्रभारी मंत्रियों की उपेक्षा की शिकायतें सुनाई पड़ी हैं। इस पर संघ ने भी अपने स्तर पर नाराजगी जताई है। और मुख्यमंत्री को जहां प्रभारी मंत्रियों को ज्यादा से ज्यादा अपने प्रभार के क्षेत्रों में प्रवास करने को कहा गया है, तो वहीं संगठन ने प्रभारी मंत्रियों के प्रवास पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है कि मप्र में 2023 के विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का समय बचा है। इससे पहले भाजपा ने तैयारी तेज कर दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के औचक निरीक्षण के बाद अब प्रभारी मंत्री भी प्रभार वाले जिलों में हॉस्टल, सीएम राइज स्कूल समेत अन्य विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया क सौर्हादपूर्ण चर्चा में मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों से आग्रह किया है कि दिसंबर माह में सभी मंत्री प्रभार के जिलों में दो दिन जाएंगे। विकास के कार्यों की समीक्षा करेंगे। 83 लाख लोगों को स्वीकृति पत्र दिए है, जिनको संभागीय जिलों में मुख्यमंत्री और प्रभारी मंत्री बाटेंगे। गृहमंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को प्रभार वाले जिलों में होस्टल, अस्पताल, सीएम राइज स्कूल के कामों की गति और विकास कार्यों की समीक्षा करने को कहा है।

हर मंत्री की बनेगी रिपोर्ट
बताया जा रहा है कि संगठन प्रदेश नेतृत्व के माध्यम से प्रमारी मंत्रियों की सक्रियता की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगा, जिसके आधार पर आगामी कार्यक्रम तय किए जाएंगे। विशेषकर प्रभारी मंत्री ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं या नहीं, उनके द्वारा किसी गांव में रात्रि विश्राम कर चौपाल लगाई जा रही है या नहीं। इसी तरह गांवों में मंत्री शिविर लगाकर लोगों की समस्याओं को तत्काल दूर कराने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं या नहीं, इन सभी बिन्दुओं की रिपोर्ट जिला संगठन द्वारा तैयार कराई जाएगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 22 मंत्रियों का समूह बनाकर उन्हें तीन जिलों की जिम्मेदारी सौंपी थी, जिन्हें जिलों में जाकर लोगों की समस्याओं का निराकरण करने को कहा गया था, किन्तु इनमें एक दो समूह के मंत्रियों को छोड़ दें, तो बाकी मंत्रियों ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई थी, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह स्वयं गांव-गांव तक पहुंचे थे। इस पर संगठन ने नाराजगी जताई थी। बैठक में यह मामला उठा था और उसके बाद सीएम ने मंत्रियों से अपने प्रभार के जिलों में ज्यादा समय देने के निर्देश दिए थे। मप्र भाजपा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी नरेन्द्र शिवाजी पटेल का कहना है कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है। हमारे सभी कार्यकर्ता जनता के हितों के लिए काम कर रहे है। सरकार में बैठे कार्यकर्ता भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे है। कहीं कोई गुंजाइश होगी, तो उसे दूर किया जाएगा। हम सब का उद्देश्य प्रदेश की जनता की समस्याओं का निराकरण कराना और उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना है और हमारा संगठन और सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है।
मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड बनने की खबर सामने आते ही प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों अजब सी हलचल मची हुई है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के मौजूदा 30 मंत्रियों की रिपोर्ट कार्ड सत्ता और संगठन द्वारा तैयार करवाई जा रही है। रिपोर्ट कार्ड तैयार होने की खबर मिलते ही उन मंत्रियों के होश उड़ गए हैं, जो अभी तक अपना टास्क पूरा करने में पिछड़े हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में करीब आधे से ज्यादा मंत्री ऐसे हैं, जो अपने विभागीय काम के मामले में फिसड्डी साबित हुए हैं। उनमें से करीब एक दर्जन से अधिक तो ऐसे हैं जिनकी स्थिति दयनीय है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री बारीकी से एक-एक पॉइंट पर नजर रखे हुए हैं। विभागीय समीक्षा के दौरान मंत्रियों के सामने उनका रिपोर्ट कार्ड रखा जाएगा। उसके बाद यह रिपोर्ट कार्ड पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भेजा जाएगा। आगे चलकर जब मंत्रिमंडल विस्तार होगा, तो इस रिपोर्ट कार्ड को आधार बनाया जाएगा। प्रदेश में आम विधानसभा चुनाव होने में अभी भले ही करीब एक साल का समय है, इसके बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी से चुनावी मोड में आते दिखने लगे हैं। यही वजह है कि उनके इस मोड में बाधा बनने वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी हो रही है। दरअसल सरकार नहीं चाहती है कि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति वर्ष 2018 के चुनाव परिणामों की तरह रहे। इसके लिए सरकार अब अपना पूरा ध्यान विकास और जनकल्याणकारी कामों को जल्द से जल्द पूरा करने पर लगा रही है। इसके माध्यम से सरकार की मंशा उसके खिलाफ कोरोना काल में बनी एंटी इनकंबेंसी को दूर करना है। यही वजह है कि प्रदेश में भी राज्य सरकार केंद्र की तरह तमाम समीकरणों को साधने के लिए राज्य मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करने की तैयारी कर रही है। इस पुनर्गठन के पहले मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा की गई है। जिसमें कई मंत्रियों की परफॉर्मेंस पुअर पाई गई है।

शिवराज की तरह मंत्री भी होंगे एक्टिव
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुछ दिनों से अलग ही रूप में नजर आ रहे है। औचक निरीक्षण और अन्य दूसरे कार्यक्रमों में जिलों में पहुंचने पर मंच से ही लापरवाह और अनियमितता करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्पेंड कर रहे है। इससे लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारियों में भी भय दिख रहा है। इसे आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सरकार के खिलाफ जनता में बन रही नेगिटिव छवि को बदलने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। वहीं, विपक्ष मुख्यमंत्री के एक्शन को दिखावा बता रहा है। उनका आरोप है कि जनता सरकार के काम से परेशान है। इसलिए अब यह सब ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने रात्रि भोज के दौरान अपने कैबिनेट सहयोगियों से कहा। चुनाव का समय आ गया है, मजबूती के साथ जुट जाएं। मुख्यमंत्री आवास में रात्रि भोज से पहले मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से जन सेवा अभियान, पेसा के नियम सहित अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर चर्चा की। चुनाव का समय आ गया है। मजबूती के साथ जुट जाएं। जन सेवा अभियान में बहुत अच्छा काम हुआ है। 83 लाख हितग्राही विभिन्न योजनाओं के लिए चिह्नित हुए हैं। इन्हें समारोह करके लाभ वितरण करना है। दिसंबर में सभी मंत्री अपने प्रभार के जिले में दो दिन के लिए जाएं और विकास के कामों की समीक्षा करें। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को मंत्रियों को दिए रात्रि भोज के दौरान कही। मुख्यमंत्री आवास में रात्रि भोज से पहले मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से जन सेवा अभियान, पेसा के नियम सहित अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिवस से प्रारंभ हुए जन सेवा अभियान में केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं के 83 लाख पात्र हितग्राही चिह्नित हुए हैं। अब संभागवार समारोह होंगे। जिला स्तरीय आयोजनों में मंत्री भागीदारी करें। लाभार्थियों से जीवंत संपर्क रखें। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से कहा कि सर्वे का काम चल रहा है। इस पर अलग से चर्चा करें। विकास योजनाओं पर ध्यान दें और यह सुनिश्चित करें कि क्रियान्वयन अच्छे से हो। बैठक में मंत्रियों ने मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान और पेसा के नियम के प्रभाव को लेकर अपनी बात रखी।

…वर्ना बढ़ेंगी मुश्किलें
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि समय रहते अगर सचेत नहीं हुए तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। डिनर के दौरान मुख्यमंत्री ने अपने सदस्यों से कई मुद्दों पर चर्चा की और साथ ही जो प्रदेश के हिस्सों से मंत्रियों को लेकर रिपोर्ट मिली उसका ब्योरा भी मंत्रियों के सामने सीएम ने रख दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं जिलों का दौरा कर रहा हूं, आप लोग अपने प्रभार वाले जिलों का दौरा कर लोगों से मिलें और योजनाओं के क्रियान्वयन का फीडबैक लें। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री लगातार प्रदेश के हिस्सों का दौरा कर औचक निरीक्षण कर रहे हैं। निरीक्षण के दौरान कई खामियां भी नजर आ रही हैं। स्पॉट पर ही शिकायत मिलने वाले अधिकारियों को मौके पर ही नाप रहे हैं। इन सबके बीच सरकार को एंटी इनकंबेंसी की चिंता सताने लगी है। इसी वजह से मुख्यमंत्री ने अपने सभी मंत्रियों से दो टूक कहा कि प्रभार वाले जिलों में मंत्री रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जिसके चलते कामों में लेटलतीफी और गुणवत्ता विहीन काम हो रहे हैं।शिवराज ने डिनर पर मंत्रियों से कहा कि जमीनी स्तर पर काम करेंदो दिन अपने प्रभार वाले जिलों में रहें मंत्री: मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिया है कि सभी मंत्री दिसंबर से ही 2 दिन अपने प्रभार वाले जिलों में रहे। सरकार का जोर इस वक्त विकास कार्यों पर है। विकास कार्यों के सतत मॉनिटरिंग के लिए सीएम ने सभी मंत्रियों को जिम्मेदारी दी है। खासतौर से प्रभारी मंत्रियों से कहा है कि अपने इलाके के विकास को लेकर कोई भी समझौता ना करें। यदि सडक़ बनती है या कोई पुल पुलिया बनती है और वह जल्द खराब हो जाती है तो इससे सरकार की छवि धूमिल होती है। इसी वजह से आप सभी अपने प्रभार वाले जिलों और अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों पर ध्यान दें और ज्यादा से ज्यादा काम कराएं। ष्द्व राइज स्कूल और छात्रावासो में कैसा काम चल रहा है इसकी मॉनिटरिंग भी करें।
शिवराज ने अपने मंत्रियों को भरोसा दिलाया कि आप काम कराएं राशि की चिंता बिल्कुल नहीं करें। रोजगार दिए जाने का भी जोर-शोर से प्रचार-प्रसार करें। मुख्यमंत्री ने कहा की मध्य प्रदेश सरकार ने जो वादा किया था कि हम रोजगार देंगे और उसके लिए हम लगातार नौकरियां निकाल रहे हैं। जिसका प्रचार-प्रसार होना चाहिए। विकास कार्यों के काम में कोई भी रोढ़ा नहीं आएगा, क्योंकि केंद्र की तरफ से राज्य को राशि दिए जाने को हरी झंडी मिल गई है। गौरतलब है कि पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के बाद तैयार की गई रणनीति के तहत सत्ता और संगठन ने मंत्रियों को गांवों में जाकर मोदी और शिवराज सरकार की योजनाओं की हकीकत जानने का प्लान तैयार किया था। लेकिन हैरानी की बात है कि अधिकांश मंत्रियों ने गांवों की ओर रूख नहीं किया।

70 सीटें भाजपा के लिए डेंजरजोन में
भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी के रणनीतिकार मिशन 2023 के लिए सबसे बड़ी कमजोर कड़ी श्रीमंत समर्थक और अन्य दलों से आए नेताओं को मानकर चल रहे हैं। दरअसल यह वे नेता हैं, जो अगले चुनाव के समय टिकट के लिए मजबूत दावेदार बने हुए हैं। इसकी वजह से माना जा रहा है कि उनके इलाकों में उनका भाजपा नेताओं से संघर्ष होना तय है। दरअसल इन दलबदलुओं को टिकट दिए जाने से पुराने मूल भाजपा कार्यकर्ताओं का हक मारा जाएगा, जिसकी वजह से उनकी नाराजगी पूरे शबाव पर रहने की संभावना है। यही नहीं कुछ विस की सीटें ऐसी हैं , जहां पर भाजपा विधायक तीन हजार या फिर उससे कम अंतर पर जीते थे, और पार्टी सर्वे में जिन विधायकों की स्थिति उनके इलाकों में अच्छी नहीं पायी गई है, अगर पार्टी उनका टिकट काटकर दूसरे नेता पर भरोसा जताएगी तो भी इसी तरह की स्थिति बनना तय मानी जा रही है।
दरअसल श्रीमंत समर्थक जो 25 विधायक करीब दो साल पहले भाजपा में शामिल हुए थे, उन्हें उपचुनाव में भाजपा ने टिकट दिया था, जिनमें से श्रीमंत समर्थक करीब आधा दर्जन नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा था। यही नहीं इसके बाद दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी भी पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। यह सीट भाजपा के पूर्व मंत्री जयंत मलैया की परंपरागत सीट है। ऐसें में श्रीमंत समर्थकों के अलावा बाद में अलग-अलग रूप से भाजपा में शामिल होने वाले वर्तमान और पूर्व विधायकों की भी टिकट की दावेदारी बनी हुई है। इनमें से कई सीटें तो ऐसी हैं जिन पर भाजपा प्रत्याशियों को बदले हुए राजनैतिक समीकरणों के अलावा अन्य कारणों से हार का सामना करना पड़ा था। उपचुनाव में पार्टी ने उनकी जगह दलबदल कर भाजपाई बनने वाले नेताओं पर ही दांव लगाया था। उस समय भी कई सीटों पर विरोध की स्थिति बनी थी, लेकिन पार्टी की सरकार बनने की कीमत पर यह विरोध शांत हो गया था, लेकिन विधानसभा के आम चुनाव में स्थिति इससे अलग रहने वाली है। यही वजह है कि अभी से इसे भाजपा के लिए सबसे कमजोर कड़ी माना जा रहा है। दरअसल भाजपा में कांग्रेस के ही नहीं बल्कि कई अन्य दलों के विधायक भी अब शामिल हो चुके हैं, जबकि कई ऐसे प्रभावशाली नेता भी अब केसरिया रंग में रंग चुके हैं जो या तो पूर्व में विधायक रह चुके हैं या फिर अपने इलाकों में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इसकी वजह से उनकी भी चुनावी टिकट की दावेदारी बनी हुई है। ऐसे में भाजपा संगठन को अपने मूल कार्यकर्ताओं और दावेदारों की इच्छाओं की अनदेखी करनी पड़ेगी। यही अनदेखी आगामी विस चुनाव में पार्टी में संषर्ष की सिथति की वजह बनने की संभावना है। ऐसे में मूल रुप से भाजपाई नेताओं व कार्यकर्ताओं को एक बार फिर से अपनी इच्छाओं को बलिदान करना होगा। दरअसल श्रीमंत समर्थक सभी विधायकों व पूर्व विधायकों का टिकट मिलना अभी से तय माना जा रहा है। इनमें वे पूर्व विधायक भी शामिल रहने वाले हैं ,जो उपचुनाव में पराजित हो चुके हैं। जिन 25 सीटों पर श्रीमंत समर्थकों को टिकट मिलना तय माना जा रहा है , वहां पर पूर्व में भाजपा प्रत्याशी जीत दर्ज करते रहे हैं। इस तरह कुल देखा जाए तो अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए करीब 70 सीटों पर प्रत्याशी चयन करने से लेकर संघर्ष टालने की बड़ी चुनौती रहने वाली है। इनमें दूसरे दलों से आए विधायकों के अलावा तीन हजार से भी कम अंतर से जीत दर्ज करने वाली सीटें शामिल हैं।

कमजोर बूथ विधायकों के हवाले
मप्र में भाजपा ने 200 विधानसभा सीटें जीतने का जो लक्ष्य तय किया है, उसे पाने के लिए पार्टी अब सांसदों और विधायकों को भी काम पर लगाएगी। पार्टी की रणनीति है कि पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में जिन बूथों पर भाजपा का प्रदर्शन कमजोर रहा है वहां सांसदों और विधायकों को तैनात किया जाएगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेशभर में भाजपा के कमजोर प्रदर्शन वाले 2500 बूथों को चिन्हित किया गया है। गौरतलब है कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव सवा साल बाद होंगे लेकिन राजनीतिक दल अभी से चुनाव मैदान में उतर आए हैं। इसमें भाजपा ने जमीनी स्तर पर बिसात बिछानी शुरू कर दी है। पार्टी ने मंत्रियों के साथ अब सांसद और विधायकों को भी कमजोर बूथों को सशक्त करने की जिम्मेदारी दी है। इन्हें चुनाव से पहले इन बूथों पर अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी, जिससे आने वाले समय में पार्टी का वोट बैंक सुधारा जा सके। कमजोर बूथों पर पहुंचकर सांसद विधायकों को पंजीयन करवाकर इसकी जानकारी प्रदेश संगठन को भेजनी होगी। इसके बाद ये रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय भेजी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि नगरीय निकाय के चुनावों की समीक्षा के बाद प्रदेश संगठन ने प्रदेश में ढाई हजार से अधिक ऐसे बूथ चिह्नित किए हैं, जहां भाजपा कमजोर है। इसलिए इन बूथों पर भाजपा का सबसे अधिक ध्यान है। पार्टी सूत्रों की मानें तो भाजपा 2023 विधानसभा और 2024 में लोकसभा चुनाव के मिशन को लेकर अभी से मैदान में उतर गई है। इस मिशन में त्रिदेव की बड़ी भूमिका रहेगी, क्योंकि यही भाजपा के सिर पर जीत का सेहरा बंधवाने में रीढ़ का काम करते हैं। इसलिए पार्टी का सबसे अधिक ध्यान इन त्रिदेव पर है। पार्टी ने त्रिदेव के साथ-साथ अपने सांसद व विधायकों को भी मैदान में उतरने का फरमान जारी कर दिया है। भाजपा संगठन ने इन नेताओं को स्पष्ट रूप से कहा है कि अब अधिक मेहनत करने का समय आ गया है। नगरीय निकाय चुनाव में जिस तरीके से पार्टी की मंशानुसार परिणाम अपेक्षाकृत अच्छे नहीं रहे हैं उसे पार्टी ने बहुत गंभीरता से लिया है। यही वजह है कि अब संगठन का ध्यान एक एक कमजोर बूथ पर है। जिसके तहत मंत्रियों को जमीनी स्तर पर काम करने के साथ ही सांसद-विधायकों को भी पूरी ताकत लगानी होगी। सांसद-विधायकों को अपने क्षेत्र के अधिक कमजोर बूथ पर जाकर उन कारणों को तलाशना होगा, जिनके कारण भाजपा लगातार हार रही है। इतना ही नहीं उन हार के कारणों को दूर करने के रास्ते भी तलाशने होंगे। उन्हें यह बताना होगा कि किस तरीके से इन बूथों पर फतह हासिल की जा सकती है। फिर इसमें यदि पार्टी के अन्य नेताओं की जरूरत होगी तो उन्हें वहां पर कार्य में लगाया जाएगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार सांसद, विधायकों को एक रिपोर्ट बनाकर भी देनी होगी कि आखिर सी श्रेणी के बूथ को बी श्रेणी में कैसे लाया जाए। सांसद-विधायकों से कहा गया है कि बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं की सहायता से वे उक्त क्षेत्र के हितग्राहियों से संवाद बनाए रखने का जरिया स्थापित करें, ताकि उनकी बात सुनी जा सके। साथ ही ये पता लगाएं कि सरकार की योजनाओं का लाभ लेने वाले आखिर पार्टी को मत क्यों नहीं दे रहे हैं। सरकार की योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों व हितग्राहियों को मिल सके इस दिशा में भी मसौदा बनाना होगा। इसके साथ ही संगठन की रणनीति है कि सांसद-विधायक अपने क्षेत्र के कमजोर बूथों पर अधिक ध्यान दें, इसमें बी श्रेणी वाले बूथों को ए में शामिल करें। वही सी श्रेणी वाले बूथों को बी श्रेणी में शामिल कराने पर जोर दें। यानी प्रदेश में ऐसा कोई बूथ नहीं होना चाहिए, जिसमें भाजपा की एकतरफा हार हो। भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने कहा कि भाजपा संगठन विस्तार को लेकर लगातार काम करती है। उसी के निमित्त बूथ विस्तारक योजना चलाई जा रही है। भाजपा संगठन 2024 से पहले हर बूथ की मैदानी स्थिति की समीक्षा करवा रहा है, जिसमें प्रदेश में स्थानीय चुनाव के बाद बूथों की रिपोर्ट भी तैयार की गई। जिसमें बूथ को तीन कैटेगरी में बांटा गया। ए श्रेणी में उन बूथ को रखा गया, जहां भाजपा का वर्चस्व सालों से बना हुआ है। बी श्रेणी में उन बूथों को रखा गया, जहां भाजपा कभी जीतती है तो कभी हारती है। सी श्रेणी में उन बूथ को रखा गया, जहां भाजपा का वोट बैंक कमजोर है यानी जहां से भाजपा कभी जीतती ही नहीं है।

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