जोबट में जीत के शिल्पकार बने मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया

महेंद्र सिंह सिसोदिया
  • तीन महीने तक आदिवासियों के बीच रहकर तैयार की भाजपा की जीत की पृष्ठभूमि …

    भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
    उपुचनाव में प्रदेश में एक सीट छोड़कर भाजपा ने तीन सीटों पर झंडे गाड़ दिए, लेकिन इससे शिवराज सरकार के गण और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की परीक्षा भी हो गई है। इस परीक्षा में लगभग सभी मंत्रियों को प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कांग्रेस के गढ़ जोबट को जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कांग्रेस के गढ़ की जीत में वे शिल्पकार बने हैं। उन्होंने लगभग तीन महिने तक आदिवासियों के बीच डेरा डाले रखा। जिसका असर यह हुआ कि कांतिलाल भूरिया की सक्रियता के बावजूद भाजपा ने जोबट का जीत लिया। गौरतलब है कि जोबट कांग्रेस का गढ़ तो हैं कि साथ ही यहां उसे सहानुभूति वोट की भी संभावना थी। इसको देखते हुए कांग्रेस ने मंडलवार मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी। पार्टी के अन्य नेता तो आते-जाते रहे, लेकिन सिसोदिया क्षेत्र में डेरा डाले रहे। वे रात-दिन क्षेत्र में सक्रिय रहे और भाजपा प्रत्याशी सुलोचना रावत के लिए वोट बैंक मजबूत करते रहे। कांग्रेस से भाजपा में सिसोदिया ने पूरी लगन के साथ काम करके कांग्रेस के गढ़ को भेद दिया है।
    डगर-डगर-गली-गली घुमे सिसोदिया
    पार्टी से जिम्मेदारी मिलने के साथ ही सिसोदिया ने जोबट विधानसभा क्षेत्र में अपना बोरिया-बिस्तर लेकर डेरा डाल दिया। वे विधानसभा क्षेत्र में डगर-डगर-गली-गली घूमते नजर आए। वे अपनी पार्टी को वोट दिलाने और चुनावी रणनीति बनाने में कामयाब नजर आए। इस कारण वे पावरफुल मंत्री के रूप में उभरकर सामने आए हैं। इस चुनाव से भले ही वर्तमान शिव सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, लेकिन यह तो साबित हो गया है कि लोगों को अभी भी भाजपा में विश्वास है। महंगाई का मुद्दा गौण साबित हो गया और लोगों को लग रहा है कि भाजपा अभी भी कुछ कर सकती है।  खैर,भाजपा की रणनीति की बात की जाए तो वह कामयाब रही और संगठन का खासा असर भी देखा गया, लेकिन मंत्रियों की परफॉर्मेंस की बात की जाए तो महेंद्र सिंह सिसोदिया सत्ता और संगठन द्वारा मिले लक्ष्य को साधने में सफल रहे।
    अपने बेटे से डबल वोट लाईं सुलोचना
    जोबट में भाजपा प्रत्याशी सुलोचना रावत पिछले विधानसभा चुनाव के बाद इस उपचुनाव में अपने पुत्र से डबल वोट लाईं, इसके पीछे सिसोदिया का अथक परिश्रम है। जोबट विधानसभा बनने के बाद यह दूसरा मौका है, जब यह सीट भाजपा के कब्जे में आ गई। इसके पहले 2013 में इस सीट पर भाजपा के माधवसिंह डाबर विधायक थे, जिन्हें भाजपा में लाकर चुनाव लड़ाया गया था। 2018 में कांग्रेस की कलावती भूरिया इस सीट पर काबिज हो गईं, लेकिन उनके निधन के बाद यह सीट खाली थी। 2018 के चुनाव में रावत को कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के कारण उनके पुत्र विशाल कांग्रेस के बागी के रूप में चुनाव लड़े थे और उन्हें 31 हजार 229 वोट मिले थे, जबकि भाजपा उम्मीदवार माधवसिंह डाबर को 44 हजार 11 तो कलावती भूरिया को 46 हजार 67 वोट मिले थे और वे विजयी हुई थीं। उपचुनाव में भाजपा की जीत के रणनीतिकार सिसोदिया ने जोबट में अपना जलवा दिखाकर सत्ता और संगठन को विश्वास दिला दिया है कि आगामी दिनों में वे पार्टी के लिए करिश्माई नेता बन सकते हैं।

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