मिल्क रूट बनेंगे आय का साधन, गौधन से आएगा किसानों के घर धन

आय का साधन
  • पशुधन के सही उपयोग का मिलेगा प्रशिक्षण

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के गौपालक किसानों के लिए दिल्ली और गुजरात से जोडऩे वाले मिल्क रूट समृद्धि लेकर आएंगे। प्रदेश में मौजूद 1 करोड़ 57 लाख 48 हजार 498 गायें और 1 करोड़ 2 लाख 48 हजार 915 भैंस वंशीय पशु हैं। 6 लाख 86 हजार भैंसें मुरैना और 4 लाख 77 हजार 351 भैंसें शिवपुरी में हैं। इनके अलावा राजगढ़ में 4.74 लाख, भिंड में 3.86 लाख और छतरपुर में 3.52 लाख भैंस हैं। श्योपुर और मालवा के धार क्षेत्र में गायों की संख्या अधिक है। इन क्षेत्रों के किसानों के लिए गौधन को धन अर्जन का माध्यम बनाने की दिशा में, तेजी से कार्य हो रहा है। पशु धन के सही उपयोग के लिए संबंधित विभाग किसानों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। जबकि मिल्क रूट के जरिये गांवों को देश की राजधानी के साथ ही दुग्ध उत्पाद तैयार करने के मामले में अव्वल गुजरात से जोडऩे की दिशा में भी काम हो रहा है।
    इतना दूध हो रहा प्रतिदिन
    पशुपालन एवं डेयरी मंत्री लखन पटेल के. अनुसार दूध उत्पादन के मामले में मध्यप्रदेश पूरे देश में तीसरे स्थान पर है। प्रतिदिन 591 लीटर से अधिक दूध हो रहा है। पशुओं को रोग से बचाने के लिए 240.47 लाख गाय एवं भैंस वंशीय पशुओं का टीकाकरण किया गया था। इसके अलावा नस्ल सुधार के लिए पशुपालक किसानों से सिर्फ सौ रुपए लेकर कार्य हो रहा है। प्रदेश के 55 हजार 902 गांव एवं नगरीय निकायों के 7846 वार्डों में सर्वे करके पशुओं की गणना की गई है। निराश्रित गौवंश को आसरा देने के लिए गौशालाओं को गायों के आहार के लिए 20 रुपए की बजाय अब 40 रुपए प्रति गाय राशि दी जा रही है। हर महीने 50 करोड़ रुपए गौशालाओं के खाते में जमा हो रहे हैं। इससे बेसहारा गायों की देखभाल में सुधार हुआ है। प्रदेश में संचालित 29 सौ गौशालाओं में लगभग 4.25 लाख गायों का व्यवस्थापन किया गया है। जबकि 2203 गौशालाओं का निर्माण जारी है। बीते वर्ष भी एक हजार गौशालाएं शुरू की गई थीं, जिनमें एक लाख से अधिक गायों को रखा गया।
    यहां हुआ उल्लेखनीय कार्य
    गौरक्षा शाला हरिद्धार के संतों के सान्निध्य में संचालित नगर निगम ग्वालियर की आदर्श गौशाला में सबसे अच्छा कार्य हुआ है। इसके बाद अब इंदौर में भी गौशाला को संवर्धित किया गया है। जबकि भोपाल में 45 करोड़ रुपए की लागत से 69.18 एकड़ भूमि पर 10 हजार गायों की क्षमता के हिसाब से गौशाला का निर्माण हो रहा है। आगर-मालवा जिले के सालरिया में गो-अभयारण्य एवं उत्पादन केन्द्र में भी 6500 गायों का व्यवस्थापन किया गया है।
    31 जिलों में बन रहे गोकुल धाम
    निराश्रित गायों की देखभाल के लिए संचालित हो रही गौशालाओं के लिए इस वर्ष स्वावलंबी गो-शालाओं (गोकुल धाम) स्थापना नीति बनाई है। इसके अंतर्गत 18 जिलों में 4235 एकड़ भूमि आवंटित हुई है। जबकि मंदसौर, जबलपुर, रायसेन, दमोह, सागर, पन्ना, विदिशा, सतना, अशोकनगर, छतरपुर, रतलाम, शाजापुर और भिंड सहित 13 जिलों में गोकुल धाम बनाने की तैयारी जारी है।
    यह हुआ अब तक
    वर्ष 2024-25 के लिए पशुपालक एवं गौ संवर्धन विकास एवं संरक्षण के लिए 590 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। जबकि इस वर्ष दुग्ध उत्पादक योजना के लिए 150 करोड़ रुपए का प्रावधान मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत किया गया है। प्रदेश की 2500 गौशालाओं में 4 लाख से ज्यादा गायों का संरक्षण किया जा रहा है। देशी गाय और अच्छी नस्ल के देशी नंदी के पालन के लिए मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास योजना में प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है। पूरे देश का 9 प्रतिशत दूध का उत्पादन प्रदेश में होता है, इस उत्पादन को 20 प्रतिशत तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ कार्य किया जा रहा है।

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