मेट्रोपॉलिटन सिटी में होगी रोजगार की भरमार

मेट्रोपॉलिटन सिटी
  • 2047 तक की शहरी विकास योजनाओं का रोडमैप तैयार

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सरकार ने 2047 तक की शहरी विकास योजनाओं का रोडमैप तैयार करने के लिए जो मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक तैयार किया है उसे विधानसभा में पारित कर दिया गया है। सरकार की नीति है कि मेट्रोपॉलिटन सिटी क्षेत्र में औद्योगिक विकास हो जिससे रोजगार की भरमार रहेगी। विधानसभा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मेट्रोपॉलिटन सिटी में हमारी प्रायोरिटी इंडस्ट्रियल बेल्ट तय करने की है। सरकार ने तय किया है कि रोजगारपरक उद्योग लगाएंगे। महिला कर्मचारियों को 6000 और पुरुष कर्मचारी को 5000 रुपए इंसेंटिव दिया जाएगा। जहां इंडस्ट्री लगती हैं, वहीं हॉस्टल बन जाएंगे तो महिलाएं रात में भी काम कर सकेंगी। इसके लिए सरकार श्रम विभाग के माध्यम से कानून में बदलाव कर रही है। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेज के कैंपस में आईटी पार्क बनाने पर काम करेंगे। इसरो की तर्ज पर मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक रिसर्च सेंटर बने, इसके लिए भी काम शुरू कराया है। उज्जैन में साइंस सिटी भी बनाई जा रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि देश के मध्य में होने के कारण मध्यप्रदेश का भौगोलिक एरिया हमारे लिए बड़ा महत्व रखता है। सड़क, बिजली और हमारे प्रदेश के लोगों की मानसिकता राज्य की प्रगति के लिए सर्वाधिक अनुकूल है। उन्होंने कहा कि इंदौर का विकास जेट की गति से चल रहा है। इंदौर के साथ देवास, धार, उज्जैन भी डेवलप होंगे। भोपाल में भी विकास हो रहा है। हमारी प्रायोरिटी इंडस्ट्रियल बेल्ट तय करने की है। बाकी आवासीय और कमर्शियल जोन तो रहेंगे ही। उन्होंने उद्योगों के लिए सरलीकरण व्यवस्था की जानकारी देते हुए कहा कि पहले 29 परमिशन लगती थीं, जिसे हम 10 पर ले आए हैं। हमने तय किया है कि जो कच्चा माल मध्यप्रदेश से बाहर जाता है, उसका उपयोग करने वाले उद्योग मध्यप्रदेश में भी लगाए जाएं ताकि प्रदेश के कच्चे माल का उपयोग मध्यप्रदेश में ही हो सके। मेट्रोपॉलिटन एक्ट पर चर्चा के बाद यह पारित कर दिया गया। इसके अलावा मध्यप्रदेश जन विश्वास उपबंधों का संशोधन विधेयक 2025, मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान संशोधन विधेयक, मध्यप्रदेश मध्यस्थ अधिकरण संशोधन विधेयक, कमजोर वर्गों के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाह निरसन विधेयक रखे गए। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जबलपुर, ग्वालियर और रीवा के लिए भी जल्दी ही बिल लाएंगे। नगरीय विकास मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि विधायकों ने सुझाव दिए हैं कि मेट्रोपॉलिटन सिटी में सीमावर्ती जिलों को भी शामिल किया जाए। इस पर विचार किया जाएगा। अगर इस बिल में कोई कमी होगी तो संशोधन के लिए हम दोबारा बिल लाएंगे।
श्रमिक की सहमति पर ही ओवरटाइम
विधानसभा में कारखाना मध्यप्रदेश संशोधन विधेयक 2025 पारित किया गया। विधेयक पर चर्चा के दौरान श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि महिलाएं भी इस मामले में बराबर काम कर सकती है। कारखाना मध्य प्रदेश संशोधन विधेयक में साफ कहा गया है कि जब तक श्रमिक की सहमति नहीं होगी, उससे ओवर टाइम नहीं लिया जा सकेगा। इस विधेयक में प्रावधान है कि महिलाएं दिन में और रात में दोनों टाइम में काम कर सकेंगी। पूर्व में इस एक्ट में जो प्रावधान था, उसमें पुरुष शब्द को विलोपित कर दिया गया। श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कारखाना मध्य प्रदेश संशोधन विधेयक 2025 पर चर्चा शुरू कराई। उन्होंने इस दौरान विधेयक में किए जाने वाले बदलावों की जानकारी दी। एक्ट में एक हफ्ते में अधिकतम 48 घंटे काम करने की बात कही गई है। 3 महीने में 144 घंटे ओवर टाइम कम कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए कर्मचारियों की सहमति लेनी होगी।
फर्जी डिग्री वाले डीपीएम को हटाने की मांग
विधानसभा में कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से जबलपुर में पदस्थ प्रभारी डीपीएम विजय पांडेय की शैक्षणिक योग्यता को फर्जी करार देते हुए उनके द्वारा भ्रष्टाचार का मामला सदन में उठाया। इस विषय पर स्कूल शिक्षा मंत्री द्वारा अधिकारी की फर्जी डिग्री की पुष्टि किए जाने के बाद भी डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने इसे नकारते हुए जांच रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने संबंधित अधिकारी की डिग्री को फर्जी नहीं बताया। साथ ही फर्जी डिग्री की शिकायत को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि वहां जल्द ही रेगुलर डीपीएम की पदस्थापना हो जाएगी। घनघोरिया ने कहा कि यह कैसा विरोधाभास है। सरकार का स्कूल शिक्षा विभाग प्रभारी डीपीएम की डिग्री को फर्जी बता रहा है और डिप्टी सीएम कह रहे हैं कि जांच कमेटी में डिग्री फर्जी नहीं पाई गई। उन्होंने रेगुलर डीपीएम की नियुक्ति किए जाने तक प्रभारी डीपीओ को पद से हटाने की मांग की। कांग्रेस विधायक अजय सिंह ने भी घनघोरिया का समर्थन करते हुए प्रभारी डीपीएम को पद से हटाकर मामले की जांच कराने की मांग की। जब शुक्ला इसके लिए तैयार नहीं हुए तो नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि मंत्री जान-बूझकर इस मामले में कार्रवाई नहीं करना चाहते, क्योंकि संबंधित अधिकारी को सरकार का संरक्षण प्राप्त है। सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस विधायक दल ने सदन से वॉकआउट किया और मांग की कि ऐसे संवेदनशील मामलों में निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई की जाए।

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