
- यूजी-पीजी दोनों में जारी है साल दर साल गिरावट
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ प्रदेश के साथ ही देश में चिकित्सकों की कमी बनी हुई है, तो दूसरी ओर प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को लेकर छात्रों में रुचि कम होती जा रही है। चिंता की बात यह है कि ऐसा बीते कई सालों से होता आ रहा है। चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है, जिसकी वजह से लगातार प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा की सीटों में वृद्वि की जा रही है। इससे माना जा रहा था कि इस पढ़ाई के लिए अधिक छात्रों द्वारा पंजीयन कराया जाएगा, लेकिन अब तक ऐसा कोई टें्रड नहीं दिखा है।
इस बार एमबीबीएस और एमडी -एमएस के लिए हो रही काउंसलिंग में पिछले वर्ष की तुलना में कम कैंडीडेट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है। दरअसल प्रदेश में एमबीबीएस काउंसलिंग में इस वर्ष 3700 के करीब कुल सीटें हैं, इन सीटों के लिए सिर्फ आठ हजार छात्र-छात्राओं ने ही पंजीयन कराया है। अगर बीते साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो इतनी ही सीटों के लिए 9 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी सामने आए थे। इसी तरह पीजी काउंसलिंग के माध्यम से एमडी एमएस में प्रवेश मिलता है। इस वर्ष इनकी कुल सीटों की संख्या 1250 है और रजिस्टर्ड कैंडीडेट की संख्या महज ढाई हजार। जबकि पिछले वर्ष सीटें कम थी और तीन हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों ने पंजीयन कराया था।
यह हैं दो वजहें है
मेडिकल क्षेत्र में स्टूडेंट्स की रुचि कम होने के पीछे की कई वजहें हैं। इसमें प्रमुख वजह महंगी फीस और प्रवेश के लिए नीट जैसे कठिन प्रतियोगी परीक्षा को पास करना माना जा रहा है। गांधी मेडिकल कॉलेज के एक पूर्व जूडा अध्यक्ष के मुताबिक सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पहले सीटें कम होती थी, बीते दो तीन वर्षों में यहां पर सीटों में बढ़ोतरी हुई है। इसलिए ज्यादातर छात्रों को निजी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करना होती थी, निजी कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स फीस कम से कम पचास लाख रुपए है, कुछ कॉलेजों में यह 60 से 65 लाख तक भी पहुंच जाती है। हर किसी के पास इतनी राशि नहीं होती कि वह इसे वहन कर सके।
बीडीएस व एमडीएस की नहीं भर पा रही सीटें
एमबीबीएस में भले ही सौ फीसदी सीटों पर प्रवेश हो जाते हैं, लेकिन बीडीएस कोर्स में पिछले कई वर्षों से सीटें रिक्त छूट रही। हैं। यही हाल एमडीएस कोर्सेस की सीटों का है। बीडीएस व एमडीएस कोर्स ज्यादातर निजी कॉलेज संचालित कर रहे हैं, इससे उन्हें हर साल आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। एमबीबीएस करने के बाद पीजी में दाखिले के लिए छात्रों की रूचि में भी कमी देखी जा रही है। पीजी कोर्स में सिर्फ क्लीनिकल और सेमी क्लीनिक सीटों में ही प्रवेश लिया जा रहा है, जबकि नॉन क्लीनिक ब्रांच जैसे फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, पीएसएम जैसे कोर्सेस में दाखिले नहीं हो रहे।
दो कॉलेजों नहीं मिली मान्यता
एमबीबीएस काउंसलिंग के बीच नेशनल मेडिकल कमीशन ने इस बार मप्र के दो निजी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता को आगे नहीं बढ़ाया है। इसमें भोपाल का महावीर मेडिकल कॉलेज और जबलपुर का सुख सागर मेडिकल कॉलेज शामिल है। दोनों कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स की 150-150 सीटें हैं, इस तरह 300 सीटों की कटौती मानी जा सकती है। लेकिन इसी बीच प्रदेश के तीन निजी कॉलेजों में 50 50 सीटें बढ़ी हैं, वहीं सरकारी क्षेत्र के कॉलेजों में सीट वृद्धि हुई है। इससे एमबीबीएस की कुल सीट में हुई कटौती की भरपाई हो गई है।