उप निरीक्षक की माया गजेटेड पोस्ट नहीं भाया

  • कमाई के लिए परिवहन विभाग में पद का मोह त्याग

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के सबसे कमाऊ विभागों में से एक परिवहन विभाग ऐसा है जिसमें प्रतिनियुक्ति पर आने और कमाऊ पद और जगह पाने के लिए कुछ भी किया जाता है। आलम यह है कि इस विभाग में कमाई के लिए अधिकारी बड़े पदों पर जाने को भी तैयार नहीं हैं। खासकर परिवहन विभाग में उप निरीक्षक पद के लिए अधिकारी गजेटेड पद का मोह भी त्याग दे रहे हैं।
गौरतलब है कि परिवहन विभाग को अवैध कमाई का सबसे बड़ा अड्डा माना जाता है। इस विभाग में और इसके कुछ चुनिंदा पदों के लिए अधिकारी-कर्मचारी कोई भी कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं। मप्र परिवहन विभाग का उप निरीक्षक पद कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस पद पर पदस्थापना के लिए राजपत्रित अधिकारियों तक ने अपने पदों को ठोकर मार दी। डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक और महिला बाल विकास विभाग में महिला पर्यवेक्षक नौकरी छोड़ टीएसआई (ट्रांसपोर्ट उप निरीक्षक) बन गई। जबकि डीएसपी के पद पर चयन के बाद भी एक टीएसआई ज्वॉइनिंग के लिए नहीं पहुंचे। एक पूर्व सैनिक ने भी डाक विभाग की नौकरी छोड़ परिवहन विभाग में उप निरीक्षक पद पर नौकरी करना पसंद किया।  
उप निरीक्षक के लिए बड़े पदों का त्याग
मप्र में परिवहन विभाग के उप निरीक्षक की हैसियत क्या है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि परिवहन उप निरीक्षक बनने के लिए लोगों ने बड़े-बड़े पद का त्याग कर दिया। इनमें विमित कुमार गुप्ता भिंड जिले के निवासी हैं और डीआरटीओ में वैज्ञानिक थे। मप्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा के माध्यम से परिवहन में उप निरीक्षक पद पर चयन हुआ। वैज्ञानिक की नौकरी छोड़ 17 अक्टूबर 2018 को टीएसआई पद पर ज्वाइन किया। अंकुर गुप्ता परिवहन विभाग में उप निरीक्षक पद पर चयनित हुए। भोपाल के गुप्ता 17 नवम्बर 2017 को पदभार ग्रहण किया। इस बीच मप्र लोक सेवा आयोग के माध्यम से उनका चयन उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) के पद पर हो गया। नए पद पर ज्वाइन करने के लिए उन्होंने टीएसआई पद से त्यागपत्र भी दिया। लेकिन उन्हें डीएसपी पद नहीं भाया और उन्होंने आरटीआई पद से त्यागपत्र के लिए दिया आवेदन वापस ले लिया। ग्वालियर निवासी प्राची शर्मा महिला एवं बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक (महिला सुपरवाईजर) थीं। इस बीच उनका चयन परिवहन विभाग में उप निरीक्षक के पद पर हुआ। उन्होंने पर्यवेक्षक की जगह टीएसआई की नौकरी को चुना और 1 जनवरी 2018 को परिवहन विभाग में ज्वाइन किया। पूर्व सैनिक रहे विक्रम सिंह ठाकुर जून 2019 से पहले तक डाक विभाग में शासकीय सेवा में थे। एमपी पीएससी में अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे से उनका चयन परिवहन विभाग में उप निरीक्षक पद पर हुआ।
परिवहन विभाग में अवैध कमाई
मप्र में परिवहन विभाग में अवैध कमाई खूब होती है। इसलिए हर किसी की कोशिश रहती है कि वह परिवहन विभाग में रहे। उल्लेखनीय है कि पहले चेक पोस्टों पर अवैध वसूली, इसके बाद पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापे और छापों में मिली सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति के बाद परिवहन विभाग चर्चाओं में रहा है। सौरभ शर्मा की परिवहन विभाग में नियुक्ति के लिए अनुकंपा नियुक्ति के नियमों को ताक पर रखा गया। सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सक थे, लेकिन उसे परिवहन में आरक्षक पद पर नौकरी के लिए कई नियमों को ताक पर रखा गया, बल्कि आरक्षक जैसे छोटे से पद के लिए तत्कालीन दो मंत्रियों तक अनुशंसा की नोटशीट चलीं। लेकिन सौरभ के ठिकानों पर छापों में मिली संपत्ति के बाद सवाल खड़े हुए कि 8 साल तक नौकरी करने वाले परिवहन आरक्षक पर इतनी संपत्ति तो चेकपोस्टों का प्रभार संभालने वाले आरटीआई और टीएसआई की संपत्तियां कितनी?

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