
- 21 फीसदी वोट बैंक के लिए पेसा एक्ट का
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के आदिवासी मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए सियासी पार्टियां लगातार कोशिशों में जुटी हुई हैं। अब शिवराज सरकार ने इस मुद्दे पर मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि मप्र में पेसा एक्ट लागू होगा। जानकारों का कहना है कि प्रदेश के 21 फीसदी आदिवासियों को साधने के लिए सरकार का यह कदम सबसे बड़ा दांव है।
मप्र में ओबीसी के बाद आदिवासी वर्ग सबसे बड़ा वोट बैंक है। इस समय भाजपा और कांग्रेस में ओबीसी और आदिवासी वर्ग को साधने के लिए होड़ मची हुई है। भाजपा सत्ता में है इसलिए वह आदिवासियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए पेसा कानून लागू करने जा रही है। आपको बता दें कि देश में पेसा कानून 1996 से लागू है, लेकिन इससे पहले प्रदेश में रही किसी भी सरकार ने इसे लागू करने के बारे में नहीं सोचा। राजनीतिक विश्लेषक भी ऐसा मानते हैं कि दोनों ही दल आदिवासियों के नाम पर केवल राजनीति ही करते आए हैं।
अभी 6 राज्यों में लागू है कानून
मध्यप्रदेश में आदिवासी वर्ग के करीब 21 फीसदी यानि करीब 1करोड़ 53 लाख लोग हैं। अब इन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए पेसा एक्ट प्रदेश में लागू किया जा रहा है। आदिवासी वर्ग के कल्याण के लिए केंद्र सरकार यह पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया (पेसा एक्ट)-1996 में लेकर आई थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चुनावों के मद्देनजर ही आदिवासियों के लिए पेसा कानून लागू करने की घोषणा की है। यह कानून 6 राज्यों में लागू है। इसके जरिए आदिवासी संस्कृति, परंपरा के साथ ही जंगल और जमीन के लिए आदिवासियों को कानूनी अधिकार प्रदान करना और उनका संरक्षण करना है।
तेज हुई राजनीति
सरकार द्वारा पेसा एक्ट लागू करने की घोषणा के साथ ही राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने प्रदेश में पेसा कानून लागू करने को लेकर मप्र की भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि यहां तो पैसा एट पहले से लागू है बिना पैसा के कोई काम नहीं होता है और यह धड़ल्ले से चल रहा है। मिश्रा ने कहा कि आदिवासियों के हितों को लेकर देश और प्रदेश में जितनी भी योजनाएं चल रही हैं वह सब कांग्रेस पार्टी की बनाई हुई हैं आदिवासियों की स्थिति में जो थोड़ा बहुत सुधार हुआ है वह कांग्रेस की योजनाओं के कारण ही हुआ है भाजपा इस एक्ट को लागू करके सिर्फ उंगली कटाकर शहीद होने की कोशिश कर रही है। वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा कहते हैं कि आदिवासियों की भावना के अनुरूप पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पेसा ग्राम सभाओं का गठन किया जाएगा। ये ग्राम सभाएं स्थानीय विकास के लिए स्वयं योजनाएं बना सकेंगी। शर्मा करते हैं कि आदिवासियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए भाजपा ने यह ऐतिहासिक निर्णय लिया है। पार्टी आदिवासियों की बेहतरी के लिए काम करती है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि दोहरे चरित्र, झूठ, छल और कपट की राजनीति करने वाले लोग वर्गों में विभाजन पैदा करने का काम कर रहे हैं।
क्या करेगा पेसा एक्ट
बता दें कि पेसा एक्ट के तहत स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों की समिति को अधिकार दिए जाएंगे। जिससे अनुसूचित जाति और जनजाति वाली ग्राम पंचायतों को सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन, खनिज संपदा, लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा। पेसा एक्ट लागू होने के बाद सामुदायिक वन प्रबंधन समितियां वर्किंग प्लान के अनुसार, हर साल माइक्रो प्लान बनाएंगे और उसे ग्राम सभा से अनुमोदित कराएंगे। गौरतलब है कि सामुदायिक वन प्रबंधन समिति का गठन भी ग्राम सभा द्वारा किया जाएगा।
मप्र की राजनीति में अभी भी आदिवासी उपेक्षित
प्रदेश में आदिवासी भले ही बड़ा वोट बैंक रहा है, लेकिन आज भी राजनीति में उपेक्षित है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आदिवासियों के नाम पर राजनीति तो खूब हुई है लेकिन किसी आदिवासी नेता को सीएम नहीं बनाया गया। कांग्रेस में जब आदिवासी नेता शिव भानु सिंह सोलंकी को सीएम बनाने की बात उठी तो उनकी जगह अर्जुन सिंह को सीएम बना दिया,बाद में आदिवासी नेता जमुना देवी को सीएम बनना था तो दिग्विजय सिंह को सीएम बना दिया गया। यही हाल भाजपा का रहा है। भाजपा यह दावा तो करती है कि वह पिछड़े वर्ग की राजनीति करती है, लेकिन यहां से
भी किसी नेता को सीएम नहीं बनाया गया।