मंत्रालय में अटका भोपाल का मास्टर प्लान

मास्टर प्लान
  • नतीजा, शहरों का हो रहा अनियोजित विकास….

    भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।  प्रदेश के शहरों का बहुप्रतीक्षित मास्टर प्लान मुख्यमंत्री सचिवालय में अटक गया है। नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा दावे-आपत्ति बुलाने के बाद संशोधित मास्टर प्लान का प्रस्ताव मुख्य सचिव की सहमति के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय भेजा गया था, लेकिन उसे हरी झंडी नहीं मिल पा रही है। भोपाल के मास्टर प्लान की अवधि 2005 में समाप्त हो चुकी है। वहीं, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर के मास्टर प्लान की समय अवधि 2021 में समाप्त हो गई है।
    मुख्यमंत्री ने नवंबर 2021 में बनारस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में शामिल होने के बाद सभी मास्टर प्लान एक महीने के अंदर तैयार करने के निर्देश दिए थे। नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मास्टर प्लान तैयार तो करवाए, लेकिन चुनावी वर्ष होने के कारण इसके प्रस्ताव फिर अटक गए। इन शहरों के अनियोजित विकास के चलते जनता में भी खासी नाराजगी है। बावजूद इसके राज्य सरकार ने अब तक मास्टर प्लान का प्रकाशन नहीं कराया है।
    मास्टर प्लान की नई गाइड लाइन
    बिल्डरों को फ्री मिलने वाला एफएआर (फ्लोर एरिया रेश्यो) नए मास्टर प्लान में शासन ने कम कर दिया है। पहले जहां बिल्डरों को 2.5 गुना एफएआर बिना किसी शुल्क अदा किए मिलता था। अब यह एफएआर सिर्फ 1.5 गुना तक ही फ्री मिलेगा और उसके बाद का एफएआर बिल्डर को जमीन की कलेक्टर गाइडलाइन की दर से खरीदना होगा। इस बदलाव का सीधा असर प्रोजेक्ट लागत तथा फ्लैट्स की कीमत पर पड़ेगा। शासन ने यह निर्णय शहरों के मास्टर प्लान के प्रारूप में संशोधन कर लिया है।  एफएआर के एवज में 10 प्रतिशत तक कलेक्टर गाइडलाइन रेट लेने का प्रस्ताव दिया गया था। पिछले मास्टर प्लान में 2.5 गुना एफएआर तक कोई शुल्क नहीं लिया जाता था। टीएंडसीपी के सूत्रों का कहना है कि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर के मास्टर प्लान 2035 में प्रावधान किया गया है कि 1.50 गुना से अधिक एफएआर के लिए बिल्डर को कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार कीमत शासन के पास जमा करानी होगी। 6 मंजिल तक की बिल्डिंग के लिए ऐसा नहीं करना होगा। साथ ही शहर में भूमि का उपयोग मिक्स यूज कर दिया गया है। पहले यह प्रावधान चिन्हित क्षेत्रों में ही था।
    सीएमओ कर रहा पुर्नविचार
    अब फिर मुख्यमंत्री सचिवालय मास्टर प्लान को लेकर पुनर्विचार कर रहा है। भोपाल-इंदौर में तेजी से हो रहे विकास कार्य के कारण कई आवासीय क्षेत्र व्यावसायिक क्षेत्र में बदल गए हैं, लेकिन मास्टर प्लान न होने से रहवासियों को एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) सहित अन्य गतिविधियों में नुकसान हो रहा है। राजधानी की चूनाभट्टी कोलार रोड छह लेन बनाने का कार्य शुरू हो गया है, लेकिन सडक़ से लगे आवासीय क्षेत्रों में भवन निर्माण का एफएआर नहीं बढ़ाया गया है। चूनाभट्टी में अब भी पुराना एफएआर निर्धारित है। घनी आबादी होने के बाद भी कम एफएआर होने के कारण भूमि का समुचित तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा है। इससे निर्माण कार्य कम हो रहे है और शासन को राजस्व क्षति हो रही है। चूनाभट्टी के रहवासियों ने शासन से एफएआर बढ़ाने की मांग की है। मास्टर प्लान न बनने से यह समस्या आ रही है।
    10-10 साल का मास्टर प्लान बनाना ही सही
    नगर एवं ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक एसके मुद्गल के मुताबिक शासन द्वारा फिलहाल भोपाल के वर्ष 2035 तक के लिए मास्टर प्लान बनाना तय किया गया है। पुराने मास्टर प्लान की समयावधि भले ही खत्म हो गई है, लेकिन वह अब भी लागू है। नया मास्टर प्लान लागू नहीं होने से शहर के किसी भी विकास कार्य पर कोई असर नहीं पड़ता है। पूर्व में जो मास्टर प्लान लागू था, उसमें भले ही प्रधानमंत्री आवास योजना, मेट्रो, बीआरटीएस व बाईपास का प्रविधान नहीं था, लेकिन बाद में इन्हें भी जोड़ा गया। वर्तमान में जितनी तेजी से तकनीकी व भौगोलिक बदलाव हो रहे है, उसके अनुसार 10-10 साल का प्लान बनाना ही सही है।

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