
- नया संभाग और तीन जिले बनाने की तैयारी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश के प्रशासनिक और भौगोलिक नक्शे में दिसंबर 2025 से पहले एक बड़ा ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। राज्य प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग प्रदेश में तीन नए जिले (पिपरिया, बीना और सीहोरा बनने की प्रबल संभावना) और निमाड़ को 11वां संभाग बनाने की तैयारी में है। इस व्यापक पुनर्गठन का सीधा असर 25 से अधिक जिलों की सीमाओं पर पड़ेगा, जिसके लिए आयोग तेजी से मैदानी कार्य पूरा कर रहा है। राज्य प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग दिसंबर 2025 तक पिपरिया, बीना, और सीहोरा को नया जिला और निमाड़ को 11वां संभाग बनाने की तैयारी में है। यह पुनर्गठन, जिसका उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना और वर्षों पुरानी स्थानीय मांगों को पूरा करना है। भोपाल में तहसीलों की संख्या बढ़ाएगा और मैहर-रीवा में सीमा विवाद पैदा कर सकता है। इस बदलाव के साथ कई जिलों की सीमाएं नए सिरे से तय होंगी और राजधानी भोपाल में पांच नई तहसीलें जोड़ी जाएंगी। सूत्रों के अनुसार, सरकार इंदौर संभाग से खंडवा, खरगोन और बुरहानपुर को अलग कर नया संभाग बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस निर्णय से न केवल प्रशासनिक ढांचा मजबूत होगा, बल्कि निमाड़ अंचल के विकास को भी नई गति मिलेगी।
दिसंबर तक आयोग रिपोर्ट तैयार कर लेगा
आयोग दिसंबर 2025 तक यह कार्य पूरा करना चाहता है, जिसके बाद जनगणना कार्य शुरू होने तक किसी भी प्रशासनिक इकाई की सीमा को बदला नहीं जा सकेगा। आयोग का लक्ष्य जल्द से जल्द सीमांकन का काम पूरा करना है, क्योंकि जनगणना से पहले प्रशासनिक इकाइयों की सीमाएं तय करनी अनिवार्य हैं। आयोग अब तक दो दर्जन से अधिक जिलों में मैदानी कार्य पूरा कर चुका है और शेष जिलों में सर्वे का कार्य जारी है। आयोग ने सीमाओं को साइंटिफिक तरीके से और सटीक बनाने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, आई आईपीए से तकनीकी सहयोग लिया है। ड्रोन और सैटेलाइट सर्वे की मदद से सटीक सीमांकन तैयार किया जाएगा। बाद में नागरिकों और जनप्रतिनिधियों से प्राप्त सुझावों को मिलाकर सरकार को अंतिम रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
भोपाल में बढ़ेंगी तहसीलें
वर्तमान में जिले में तीन तहसीलें हुजूर, बैरसिया और कोलार हैं। अब इनके साथ टीटी नगर, एमपी नगर, गोविंदपुरा, संत हिरदाराम नगर, बैरागढ़ और पुराना भोपाल को तहसील का दर्जा देने की योजना है। नई तहसीलों के गठन से आम नागरिकों को राजस्व, नामांतरण और प्रमाणपत्र संबंधी कार्यों के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। भोपाल में हर विधानसभा क्षेत्र को एक-एक तहसील का स्वरूप देने की योजना है, जिससे जिले में कुल आठ तहसीलें हो सकती है। यह पूरी प्रक्रिया पिछले वर्ष गठित राज्य प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग की देखरेख में हो रही है। गौरतलब है कि प्रदेश के गठन से लेकर अब तक मध्यप्रदेश में 45 से बढकऱ 55 जिले बन चुके हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ के अलग होने से पहले वर्ष 2000 में प्रदेश में जिलों की संख्या 61 थी। अब एक बार फिर मध्य प्रदेश इस आकड़े की तरफबढऩे की तैयारी में है। यह पुनर्गठन केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि 70 वर्षों के विकास सफर का अगला अध्याय माना जा रहा है। जहां मध्यप्रदेश अपने नए स्वरूप में एक और मजबूत कदम बढ़ाने जा रहा है।
निमाड़ बन सकता है नया संभाग
प्रदेश में निकट भविष्य में सबसे बड़ा बदलाव इंदौर संभाग में देखने को मिल सकता है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इंदौर संभाग से चार जिलों जिनमें खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर और खंडवा को अलग कर निमाड़ को नया संभाग बनाने की तैयारी चल है। बता दें कि सीएम मोहन यादव की पहली समीक्षा बैठक में इस पर विचार किया गया था, जिसका उद्देश्य इन जिलों की राजस्व निगरानी बेहतर करना और संभागीय मुख्यालय से दूरी कम करना है। पिपरिया को जिला बनाने के लिए काफी लंबे समय से मांग की जा रही है। अभी नर्मदापुरम जिले में शामिल पिपरिया जिला मुख्यालय से करीब करीब 70 किलोमीटर पड़ती है। भौगोलिक दृष्टि से पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर जिले की बीना तहसील को नया जिला बनाने की मांग बीते करीब 40 सालों से उठाई जा रही है। बीना में इसको लेकर जब-तब धरना-प्रदर्शन होते रहे हैं। इसमें सामान्य नागरिक, समाजसेवी, राजनीतिक दल शामिल रहे हैं। एमपी में नए जिलों के पुनर्गठन की सुगबुगाहट के बीच फिर यह मांग जोर पकडऩे लगी है। बीना की सागर मुख्यालय से दूरी करीब 80 किलोमीटर है। इस कारण प्रशासनिक कार्यों में विलंब होता है। यदि बीना नया जिला बनता है तो इसमें खुरई, मालथौन, बांदरी, कुरवाई जैसे क्षेत्र शामिल किए जा सकते हैंं।
