मानदेय घोटाले में अभी कई अधिकारियों की खुलेगी पोल

मानदेय घोटाले
  • महिला एवं बाल विकास विभाग में 26 करोड़ के घोटाले की फिर खुलेगी फाइल

    भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। महिला एवं बाल विकास विभाग में हुए मानदेय घोटाले का दायरा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। इसलिए एक बार फिर से विभाग में हुए 26 करोड़ रुपए से अधिक के मानदेय घोटाले की जांच शुरू हो गई है। संभावना जताई जा रही है कि इस बार की जांच में कई और अधिकारियों-कर्मचारियों की पोल खुल सकती है।
    गौरतलब है कि अभी तक इस घोटाले में पांच बार जांच हो चुकी है। अब छठवीं बार जांच होगी। भोपाल, ग्वालियर, सागर सहित नौ जिलों में जांच के लिए वित्त और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की समिति बनाई गई है। इन जिलों में मानदेय भुगतान बिलों की औचक जांच में गड़बड़ी पाई गई है।
    अब तक कईयों पर गिर चुकी है गाज
    भोपाल सहित प्रदेश के 14 जिलों में वर्ष 2014 से 2017 तक बाल विकास परियोजना अधिकारी और लिपिकों ने मिलकर घोटाले को अंजाम दिया। सबसे पहले भोपाल की आठ बाल विकास परियोजनाओं में गड़बड़ी सामने आई। जांच में छह करोड़ के घोटाले की पुष्टि के बाद एक के बाद एक अन्य जिलों में जांच  कराई गई और घोटाला 26 करोड़ रुपये तक पहंच गया। वहीं भोपाल की आठ परियोजनाओं में हुए छह करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले के मुख्य आरोपितों में शामिल पांचवें लिपिक दिलीप जेठानी की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। उन्हें पदच्युत किया है, यानी वे लेखा-जोखा से संबंधित काम अब कहीं भी नहीं कर पाएंगे और उन्हें सेवा समाप्ति के बाद मिलने वाले भत्ते एवं अन्य लाभ भी नहीं मिलेंगे।  भोपाल में हुए घोटाले में आठ बाल विकास परियोजना अधिकारी एवं पांच लिपिक शामिल हैं, जो वर्तमान में निलंबित हैं। इनमें से पांचों लिपिक बर्खास्त हो गए हैं। जबकि दो परियोजना अधिकारियों को बर्खास्त करने की सहमति मप्र लोक सेवा आयोग से मिल चुकी है, पर दोनों अधिकारी हाई कोर्ट से स्थगन ले लाए हैं। एक अन्य अधिकारी को बर्खास्त करने का प्रस्ताव आयोग में लंबित है। दो अधिकारी की जांच अब भी चल रही है और तीन की जांच स्थगन के कारण अधूरी है।
    अब तक 14 जिले घोटाले की जद में
    मानदेय घोटाले की परतें लगातार खुलती जा रही हैं। अब तक 14 जिले इसकी जद में आ चुके हैं। पुराने मामलों की औचक जांच में सागर, ग्वालियर में कुछ और गड़बड़ी सामने आई है। में इस कारण शासन पुरानी जांच से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है और भोपाल, सागर, ग्वालियर, रायसेन, विदिशा, आलीराजपुर, झाबुआ, भिंड, मुरैना जिलों में उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की है, जो पुराने दस्तावेजों की दोबारा बारीकी से जांच करेगी। इसमें घोटाले की राशि बढ़ने की पूरी संभावना है। वहीं घोटाले में सहयोगी की भूमिका में रहे कुछ और अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम सामने आ सकते हैं।

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