आयकर के रडार पर कई अफसर

  • खनन व रियल एस्टेट कारोबारी के यहां से मिले हैं निवेश के दस्तावेज

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
विगत वर्ष दिसंबर में आयकर विभाग ने जब खनन व रियल एस्टेट कारोबारी राजेश शर्मा और राजकुमार सिकरवार के यहां छापे की कार्रवाई की थी तो वहां बड़ी संख्या में काली कमाई के निवेश के दस्तावेज मिले। इन दस्तावेजों की जांच में पता चला है कि प्रदेश के कई ब्यूरोक्रेट्स ने खनन व रियल एस्टेट में निवेश किया है। सूत्रों का कहना है कि अब उन दस्तावेजों के आधार पर मप्र के कई अफसर आयकर विभाग के रडार पर हैं।
जानकारी के अनुसार, आयकर विभाग को हफ्ते तक चली छापेमारी कार्रवाई में कई बेनामी संपत्ति के दस्तावेज मिले थे। विभाग ने कुछ महीने पहले राजेश शर्मा की करीब 250 करोड़ की 24 प्रॉपर्टी अटैच कर ली थी। इसमें राजेश के नाम आठ, पत्नी राधिका के नाम 16 प्रॉपर्टी, सेवनिया गोंड व सरवर में पांच एकड़ जमीन, सेंट्रल पार्क, पिपलिया जाहिर पीर, बरखेड़ा नाथू में पांच प्लॉट, कस्तूरबा नगर में राजेश शर्मा का मकान और उसके नाम पर विष्णु हाइटेक सिटी व सागर ग्रीन के बंगले शामिल थे।
अफसरों से लेन-देन के दस्तावेज मिले
खनन व रियल एस्टेट कारोबारी राजेश शर्मा और राजकुमार सिकरवार पर छापे की कार्रवाई के दौरान कई अफसरों से लेन-देन के दस्तावेज मिले थे। अब इन अधिकारियों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रडार पर ले रहा है। नोटिस जारी कर दफ्तर तलब किया जा रहा है। मौजूदा स्थिति में कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। आईटी ने त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के संचालक राजेश शर्मा के कस्तूरबा नगर स्थित घर, नीलबड़, मेंडोरा, सूरज नगर, रातीबड़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीन की खरीदी-बिक्री करने वाले एक व्यवसायी समेत ईशान ग्रुप, क्वालिटी ग्रुप और इनसे जुड़े लोगों ठिकानों पर छापा मारा था। यह कार्रवाई पिछले साल 18 दिसंबर को की गई थी। आईटी अधिकारियों को भदभदा रोड स्थित सेवनिया गोंड के सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट की कई रजिस्ट्रियां मिली थी। तब संभावना जताई गई थी कि इन रजिस्ट्रियों से कई बड़े नाम आयकर विभाग के रडार पर आ जाएंगे। अब यह सच साबित हो रही है। खास बात यह है कि कई अधिकारियों के फार्म हाउस के पास ही यह प्रोजेक्ट किया जा रहा है। लो डेंसिटी एरिया में स्थित इस जमीन पर प्रोजेक्ट की अनुमति सरकार ने पहले निरस्त कर दी थी। फिर इसे बहाल कर दिया गया। इसके पीछे रसूखदारों का दबाव बताया गया।
पीएमओ तक पहुंची शिकायत
प्रदेश के रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स के एक ग्रुप ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को पत्र लिख कर गड़बडिय़ों और भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। पूरे नेक्सस और इसके काम करने के तरीके के बारे में बताया था। यह भी दावा किया था कि इसके पर्याप्त दस्तावेजी सबूत उनके पास हैं। शिकायत की कॉपी प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग को भी भेजी गई थी। इसमें कहा गया है कि सेवानिवृत्त नौकरशाह,  कुछ अधिकारी बिल्डर व खनन कारोबारी राजेश शर्मा तथा उनकी पत्नी, शराब व्यवसायी, बिल्डर व कई कॉलेजों के मालिक, एक कंपनी के सीईओ के जरिए काला कारोबार चला रहे हैं। राजेश शर्मा के पिता तहसीलदार थे और गुना में पॉवरफुल अधिकारी के मातहत काम किया था। आयकर विभाग की जांच में यह सामने आया है कि कई जमीनें कलेक्टर गाइडलाइन के नीचे कीमतों पर रजिस्ट्री की गई। स्टांप ड्यूटी चोरी के इन मामलों में अब रजिस्ट्रार और मुद्रांक विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी है।  त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के बिल्डर राजेश शर्मा के जरिए अफसरों की जमीन खरीदी गई। जांच में यह भी सामने आया है कि प्रॉपर्टी डीलर राजवीर सिकरवार का प्रदेश के कई पूर्व और वर्तमान अधिकारियों से नियमित संपर्क था। सिकरवार के फोन में जमीनों की खरीद-फरोख्त और अन्य लेन-देन से जुड़ी रिकॉर्डिंग मिली है।

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