कई विभागों को खर्च के लिए लेनी होगी… वित्त की अनुमति

 वित्त

मनमाने तरीके से निकाली जाने वाली राशि पर लगाम लगाने की कवायद

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के कई विभागों को अपनी विभिन्न योजनाओं के संचालन के लिए अब राशि आहतरित करने के लिए वित्त विभाग की अनुमति लेनी होगी। इसके लिए अब वित्त विभाग ने बीते रोज एक सर्कुलर जारी कर दिया है। दरअसल इसकी वजह है, कई विभागों में विभिन्न मदों व योजनाओं के नाम पर मनमाने तरीके से राशि का आहरण कर लिया जाता है। वित्त विभाग की मंशा इस तरह की प्रवृत्ति पर रोक लगाने की है। फिलहाल इस तरह की बंदिश नौ विभागों की कई मदों और योजनाओं पर लगाई गई हैं। जिन मदों पर बंदिश लगाई गई है, उनमें इसमें हाउसिंग फॉर ऑल, अमृत, स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाएं भी शामिल हैं। जाहिर है ,शासन के इस निर्णय से इन महत्वपूर्ण योजनाओं की प्रगति पर असर पड़ेगा। वित्त विभाग की अपर सचिव व बजट संचालक आईरीन सिंथिया जेपी की ओर से यह परिपत्र विभागों को जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि 31 मार्च, 2023 को जारी सर्कुलर में कुछ विभागों व योजनाओं के लिए प्रावधानित राशि का आहरण वित्त विभाग की अनुमति के बाद ही करने के निर्देश हैं। अब इसमें कुछ और योजनाओं को शामिल किया जा रहा है। संबंधित विभाग आहरण के पहले वित्त की अनुमति लेना सुनिश्चित करें। गौरतलब है कि अब तक इस तरह की पाबंदियां वित्तीय वर्ष के अंतिम दो तीन माह में ही लगता आया है।  
इन पर लगाई गई पाबंदी
वित्त विभाग ने जिन विभागों की कुछ योजनाओं पर पाबंदी लगाई है, उनमें नगरीय विकास एवं आवास पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क के अधिभार का नगरीय निकायों को हस्तांतरण, हाउसिंग फॉर ऑल, वैट क्षतिपूर्ति, स्थानीय निकायों को मूलभूत सेवाओं के लिए एकमुश्त अनुदान, वाहनों पर कर से नगरीय निकायों को सडक़ मरम्मत के लिए अनुदान, शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0, स्वच्छ भारत अभियान शामिल है। इसी तरह से पर्यटन विभाग में प्रचार-प्रसार के लिए अनुदान, पर्यटन नीति का क्रियान्वयन। संस्कृति विभाग में मप्र संस्कृति परिषद, समारोह के आयोजन के लिए अनुदान । पर्यावरण विभाग के मातहत एप्को को दिया जाने वाले अनुदान, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग की निवेश प्रोत्साहन योजना।  सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग- एमएसएमई प्रोत्साहन व्यवसाय निवेश संवर्धन मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना। स्कूल शिक्षा विभाग की हाई, हायर सेकंडरी स्कूलों में पढऩे-लिखने की बैठक व्यवस्था व प्रयोगशाला के लिए, प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं को अधोसंरचना संरक्षण एवं विकास, उत्कृष्ट विद्यालयों को अनुदान, मदरसों में गुणवत्ता परख शिक्षा एवं अधोसंरचना विकास, नवभारत साक्षरता अभियान, विभागीय परिसंपत्तियों का संधारण।
तकनीकी शिक्षा विभाग की मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, संकल्प प्रोजेक्ट, स्ट्राइव योजना, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के मापदंड के अनुसार कमियों की पूर्ति, विभागीय परिसंपत्तियों का मेंटेनेंस मद और  उच्च शिक्षा विद्यार्थियों के लिए किताबें-स्टेशनरी, प्रतिभा किरण योजना, गांव की बेटी योजना, प्रयोगशाला का उन्नयन, सरकारी कॉलेजों में वर्चुअल शिक्षण व्यवस्था शामिल है।
बिगड़ सकते हैं हालात
प्रदेश के नगरीय निकाय पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। ऐसे में चुंगी क्षतिपूर्ति के तौर पर मिलने वाली राशि से निकायों के अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन और भत्तों का भुगतान किया जाता है। वित्त विभाग निकायों का बिजली का बकाया चुकाने के लिए इस राशि में लगातार कटौती कर रहा है। जिसकी वजह से कई निकायों में कर्मचारियों के वेतन व भत्तों के भुगतान में देरी हो रही है। अब स्टाम्प ड्यूटी, वैट क्षतिपूर्ति और वाहनों के कर से मिलने वाला ग्रांट निकालने की परमिशन भी वित्त विभाग से लेनी होगी जिसकी वजह से उसमें देरी होना तय है। इसकी वजह से निकायों की स्थिति और खराब हो जाएगी। उधर, अब चुनावी साल में निकायों पर जनप्रतिनिधियों पर भी विकास कार्य कराने का भारी दबाव है।

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