
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। पूर्व की शिव सरकार में जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ता उपेक्षित रहा है, लगभग यही हाल अभी भी बना हुआ है। इस वजह से कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ता ही जा रहा है। इसे देखते हुए अब सत्ता व संगठन ने मिलकर उन्हें भागीदारी देने के लिए मंथन शुरू कर दिया है। इस मंथन में अब तक श्रीमंत समर्थक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले उन प्रमुख नेताओं को सत्ता का अमृत पान कराने का भी फैसला कर लिया है जो या तो उपचुनाव हार चुके हैं या फिर कांग्रेस में रहने के दौरान बड़े पदों पर रह चुके हैं।
जिन श्रीमंत समर्थकों को अब सत्ता में भागीदारी मिलना तय माना जा रहा है उनमें एक दर्जन नाम शामिल हैं। इसके साथ ही उन तमाम संस्थाओं में पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं की भी तैनाती की कवायद शुरू कर दी गई है, जिनमें राजनैतिक नियुक्तियां किया जाना संभव है। इसी तरह से अब अंत्योदय समितियों का गठन भी जल्द से जल्द करने की भी तैयारी की जा रही है। इन नियुक्तियों पर मंथन के लिए बीती शाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री सुहास भगत और सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा के बीच लंबी मंत्रणा की गई। इस मंत्रणा में श्रीमंत समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी व गिर्राज दंडोतिया, पूर्व मंत्री एंदल सिंह कंसाना, पूर्व विधायक रणवीर जाटव, पंकज चतुर्वेदी, विधायक रक्षा संतराम सिरोनिया, विधायक मनोज चौधरी व विधायक जजपाल जज्जी व पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल, जसवंत जाटव व महेंद्र यादव आदि के नामों पर मंथन कर उन्हें एडजस्ट करने पर लगभग सहमति बनने की खबर है।
सूत्रों का कहना है कि निगम मंडलों में नियुक्तियों की घोषणा इसी सप्ताह कर दी जाएगी। घोषणा के पहले प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव से तैयार की जा रही सूची पर अंतिम मुहर लगवाई जाएगी। राव 25 जुलाई को भोपाल आ रहे हैं।
इस मंथन बैठक का आयोजन सीएम हाउस में किया गया था। यह बैठक पहले से तय होने की वजह से मुख्यमंत्री द्वारा बीती शाम का समय रिजर्व रखा गया था। इस मंथन में राजनीतिक नियुक्तियों के अलावा आने वाले समय में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों के अलावा तमाम वर्गों के नेताओं, मंत्रियों और विधायकों से चर्चा में आए सुझावों पर भी मुख्यमंत्री द्वारा बात की गई। दरअसल विधानसभा चुनाव में पराजित हुए सिंधिया समर्थक विधायकों को निगम मंडल में एडजस्ट करने को लेकर सरकार व संगठन पर लंबे समय से दबाव बना हुआ है। इनमें शामिल नेताओं में से गिर्राज दंडोतिया ने कल ही भाजपा दफ्तर पहुंचकर संगठन महामंत्री सुहास भगत से मुलाकात की थी। इसके अलावा अन्य नेता भी लगातार संगठन नेताओं से मिलकर अपने पुनर्वास की कवायद के प्रयासों में लगे हुए हैंं। प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव के लिए मात्र दो साल का समय बचा है, ऐसे में संगठन भी अब राजनीतिक नियुक्तियों के पक्ष में है।
संगठन का मानना है कि बीते चुनाव और उपचुनाव में टिकट से वंचित रहे नेताओं को निगम मंडलों और आयोगों में एडजस्ट कर संतुष्ट करना जरुरी है। इसके साथ ही विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संचालक मंडल में भी नेताओं की ताजपोशी पर चर्चा की गई।
बड़े शहरों की कार्यकारिणी पर भी हुई चर्चा
प्रदेश के कई ऐसे बड़े जिले हैं, जिनके जिला अध्यक्ष एक साल बाद भी अपनी कार्यकारिणी का गठन नहीं कर सके हैं। इनमें इंदौर, भोपाल,ग्वालियर, रीवा और जबलपुर सहित करीब पचास फीसद जिले शामिल हैं। इसकी जो वजह सामने आ रही है उसमें बड़े व प्रभावशाली नेताओं की व्यक्तिगत पसंद नापसंद का रोड़ा बताया जा रहा है। यही वजह है कि इन जिलों में अब तक केंद्रीय संगठन के निर्देश के बाद भी कार्यसमिति की बैठक नहीं हो पा रही है। माना जा रहा है कि बैठक में तय किया गया है कि जिन जिलों में नेताओं में नामों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है, उन नेताओं को प्रदेश कार्यालय बुलाकर सहमति बनाई जाए और सर्वसम्मति से जिलों की कार्यकारिणी जल्द ही घोषित की जाए।
अंत्योदय समितियों पर भी हुई चर्चा
इस बैठक में जिलों और ब्लॉक स्तर पर गठित होने वाली अंत्योदय समितियों को लेकर भी चर्चा की गई है। चर्चा में बताया गया कि जिलों से इन समितियों के गठन के लिए नाम आ चुके हैं। प्रदेश स्तर से इन नामों को जल्द ही चयन कर सरकार को भेजने के लिए कहा गया है, जिससे उनकी नियुक्तियां की जा सके। इसके अलावा महाविद्यालयीन स्तर पर गठित होने वाली समितियों में भी नियुक्तियों को लेकर भी चर्चा की गई है।