
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। दमोह विधानसभा के प्रतिकूल उपचुनावी परिणामों के बाद मप्र भाजपा में शुरू हुई कुलीनों के बीच कलह के बाद जिस तरह से संगठन ने प्रदेश के कद्दावर नेता जयंत मलैया और उनके समर्थकों को लेकर कदम उठाए हैं, वह अब संगठन और संघ को भारी पड़ रहा है। दरअसल इस पूरे एपिसोड से कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी के ही कई बड़े नेताओं में न केवल नाराजगी का आलम है , बल्कि वे लोग भी खुश नही हैं,जो पार्टी के समर्थक मतदाता माने जाते हैं। हालांकि इस पूरे एपिसोड से प्रदेश में भाजपा की राजनीति में नए समीकरण भी बनते दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि संगठन द्वारा यह कार्रवाई लोधी नेताओं के दबाव में की गई है। जिसकी अगुवाई केन्द्रीय मंत्री और दमोह के सांसद स्वयं प्रहलाद पटेल कर रहे थे। अब हाल ही में दिल्ली दौरे के समय प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत और सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा ने जिस तरह प्रहलाद पटेल के घर पहुंचकर उनसे मुलाकात की, उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।
हालांकि इस मुलाकात के दौरान किन मामलों पर चर्चा हुई है, यह खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी माना जा रहा है कि चर्चा के केन्द्र में मलैया एपीसोड ही रहा होगा। वैसे भी मलैया एपिसोड के मामले में संगठन और संघ की जमकर किरकिरी हो चुकी है। इसकी वजह है संगठन द्वारा की गई कार्रवाई के पहले संगठन द्वारा संघ से सहमति लिया जाना। दमोह उपचुनाव के बाद से जिस तरह से प्रदेश में वह भी खासतौर पर संगठन के कार्यक्रमों में प्रहलाद पटेल सक्रियता दिखा रहे हैं उससे भी कई तरह के नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। अन्यथा इसके पहले तक प्राय: वे संगठन के साथ ही प्रदेश की राजनीति से दूरी ही बनाए रखते थे। दमोह के चुनावी परिणाम के बाद प्रहलाद पटेल भाजपा के प्रदेश दफ्तर पहुंचे थे, जिसके बाद ही उनके स्थानीय राजनीति में धुर विरोधी माने जाने वाले पार्टी के दिग्गज नेता जयंत मलैया और उसके बेटे सहित पांच समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।
अब एक बार फिर उनकी मुलाकात पार्टी के तीनों प्रमुख नेताओं से हुई है, जिसके बाद माना जा रहा है कि इस बार भी किसी नई रणनीति पर बातचीत की गई होगी। फिलहाल जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं उससे यह तो तय है कि प्रहलाद पटेल और जयंत मलैया के बीच जारी अदावत का खामियाजा पार्टी को अपने ही गढ़ दमोह में उठाना पड़ सकता है।
खुलकर आमने-सामने हैं प्रहलाद और मलैया
दमोह उपचुनाव के परिणामों के बाद से प्रहलाद पटेल और जयंत मलैया खुलकर आमने-सामने आ चुके हैं। इन दोनों ही नेताओं के बीच चले आरोप और प्रत्यारोप के दौर से पार्टी की जमकर किरकिरी हो चुकी है। इसके बाद भी यह मामला अभी भी शांत नहीं हुआ है। इससे संगठन के साथ ही संघ के लिए यह पूरा मामला गले की हड्डी बन चुका है। इसका असर दमोह में भी पार्टी के प्रभाव पर पड़ना तय माना जा रहा है। दरअसल दमोह उपचुनाव में बने भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत लोधी वर्सेस आॅल का समीकरण बनना है। यही वजह है कि इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी को अब तक सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा है।
प्रहलाद की सीएम से नहीं बैठती पटरी
प्रहलाद पटेल की प्रदेश की राजनीति में अपनी ही सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से भी पटरी नहीं बैठती है। प्रहलाद को उमा भारती का बेहद करीबी माना जाता है। सत्ता व संगठन में भी भी इन दिनों दो अलग-अलग गुट बताए जा रहे हैं। यही वजह है कि प्रहलाद पटेल की संगठन के साथ पटरी बैठने से उसे नए समीकरणों के तौर पर देखा जा रहा है। यही वजह है कि पटेल बीते कई माह से लगातार संगठन के कार्यक्रमों में सक्रिय दिख रहे हैं। इसकी बानगी है प्रदेश भाजपा द्वारा आयोजित किया गया पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के विरोध में किए गए आंदोलन में उनका शामिल होना। इसके अलावा वे अब लगातार संगठन के पदाधिकारियों से भी मेल मुलाकात कर रहे हैं।