- कैग की रिपोर्ट में खुली विभागों की पोल

गौरव चौहान
मप्र विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की 2022 की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में राज्य सरकार की कई प्रमुख योजनाओं में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के गंभीर मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट के खुलासे के बाद, विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला और मप्र को भ्रष्टाचार का अड्डा करार दिया। रिपोर्ट के अनुसार मप्र में प्राकृतिक आपदा में दी जाने वाली राहत राशि में भारी झोल झाल हुआ है। यह झोल झाल किसी और ने नहीं बल्कि संबंधित विभाग के कर्मचारियों ने ही की है। वर्ष 2018 से 2022 तक पांच साल में 13 जिलों में कर्मचारियों उनके रिश्तेदारों समेत अपात्र को 23.81 करोड़ की राहत राशि दी गई है।
कैग रिपोर्ट में सरकारी जमीन आवंटन में भी गड़बड़ी की बात सामने आई है। भोपाल में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को नियम विरुद्ध जमीन आवंटित की गई जिससे 65.5 करोड़ राजस्व का नुकसान हुआ है। संबल योजना में भी गड़बड़ी सामने आई है। 67 लाख 48 हजार श्रमिकों को अपात्र किया गया है। संबल योजना के कुल 31 फीसदी अपात्र किया गया। इसी तरह अंत्येष्टि सहायता राशि में भी गड़बड़ी की गई है। श्रम सेवा पोर्टल के डाटा का विश्लेषण किया गया जिसमें 142 मामलों में 52 खातों में 1.68 करोड़ की राशि जमा की गई, ये खाते पंजीकृत श्रमिकों के नहीं थे। विवाह सहायता के 86 मामलों में बिना पंजीकृत श्रमिकों के 41 बैंक खातों में 38.92 लाख की राशि जमा की गई।
फर्जी हस्ताक्षर से स्वीकृति आदेश जारी किए
सिवनी में डूबने, सांप काटने और बिजले गिरने के मामलों में 11.14 करोड़ रुपए की राशि की धोखाधड़ी पाई गई है। यही नहीं अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर से स्वीकृति आदेश जारी करने की बात भी रिपोर्ट में लिखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में 40 से ज्यादा सहकारी समितियों के खाते में 8 करोड़ रुपये की राशि जमा करने में अंतर पाया गया है। दरअसल, तहसीलदारों ने समितियों के बैंक खातों में 56.91 करोड़ की राशि जमा की, लेकिन समितियों की तरफ से सिर्फ 48 करोड़ की राशि ही प्रमाणित की गई। अब बाकी राशि का कैग को कोई हसाब नहीं मिला।
भुगतान में भी भारी देरी की गई
संबल योजना के तहत असंगठित श्रमिकों को दी जाने वाली अनुग्रह सहायता राशि की स्वीकृति और भुगतान में भी बड़े पैमाने पर देरी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, हजारों मामलों में सहायता राशि 1,272 दिनों तक विलंब से स्वीकृत की गई, जबकि योजना दिशानिर्देशों के अनुसार, इसे 15 दिनों के भीतर निपटाया जाना चाहिए। एन.आई.सी. डेटा और संबल योजना के बैंक खाते की जांच में पाया गया कि 1,68,342 आवेदनों में से 1,07,076 (64 प्रतिशत) मामलों में स्वीकृति में 1 से 1,272 दिनों तक की देरी हुई। रिपोर्ट के अनुसार 1,349.92 करोड़ की राशि वाले 60,674 मामलों में भुगतान 2 से 1,013 दिनों तक विलंब से किया गया।
अंत्येष्टि सहायता राशि में गड़बड़ी
कैग की 2022 की रिपोर्ट में अंत्येष्टि सहायता राशि में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। श्रमसेवा पोर्टल के डाटा के विश्लेषण पर सामने आया कि 142 मामलों में जिन 52 खातों में 1.68 करोड़ की राशि जमा की गई वह खाते पंजीकृत श्रमिकों के नहीं थे। विवाह सहायता के 86 मामलों में बिना पंजीकृत श्रमिकों के 41 बैंक खातों में 38.92 लाख की राशि की जमा की गई।
142 प्रकरणों में 52 खातों में अपात्र को भेजी राशि
दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार रजिस्टर्ड श्रमिकों की मृत्यु पर अंतिम संस्कार के लिए सहायता राशि ओर अनुग्रह राशि उसके परिवार को देती है। इसमें रजिस्टर्ड श्रमिकों को उनके विवाह और दो बेटियों के विवाह के तहत भी राशि सरकार की तरफ से दी जाती है। रिपोर्ट में इसमें गड़बड़ी मिली है। जांच में पाया गया कि 142 प्रकरणों में 52 बैंक खातों में अपात्र के खाते में राशि जारी कर दी गई। इसके लिए फर्जी नाम का उपयोग किया गया। इस तरह के मामले भोपाल समेत अन्य नगर निगमों में सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार दो करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि संदिग्ध खातों में ट्रांसफर की गई।
13 जिलों में किसानों को राशि देने में की गड़बड़ी
यही नहीं दस्तावेजों की जांच में यह भी सामने आया है कि विदिशा, आगर मालवा, सतना, दमोह, रायसेन, मंदसौर, खंडवा, छतरपुर, देवास, शिवपुरी, सीहोर, श्योपुर और सिवनी समेत 13 जिलों में किसानों को प्राकृतिक आपदा से नुकसान की राशि में गड़बड़ी की गई है। इसमें अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत कर अपने रिश्तेदारों के खातों में राशि ट्रांसफर कर दी। वर्ष 2022 में करीब 23 करोड़ 81 लाख की राशि का भुगतान हुआ है। इस गड़बड़ी के लिए अलग-अलग बैंकों में एक ही व्यक्ति के नाम से कई खातों का उपयोग किया गया।
सरकारी जमीन आवंटन में भी गड़बड़ी
कैग रिपोर्ट 2022 में सरकारी जमीन आवंटन में भी गड़बड़ी की बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को नियम विरुद्ध जमीन आवंटित की गई। इससे राजस्व को 65.5 करोड़ का नुकसान हुआ। वल्लभ भवन एवं कलेक्ट्रेट भोपाल के समीप तीन इलाकों में, 10 सर्वे नंबरों वाली 37.69 हेक्टेयर शासकीय भूमि पर पर लाहुगी वासियों ने अस्थायी शिविर एवं मकान बनाकर अतिक्रमण कर लिया था। कार्रवाई शुरू नहीं करने और दंड नहीं लगाने के कारण 322 करोड़ के बाजार मूल्य की शासकीय भूमि पर अनाधिकृत कब्जा हो गया और सरकार इसे आज तक मुक्त नहीं करा पाई।
नल जल योजना में भ्रष्टाचार
ग्रामीण क्षेत्रों में नल जल योजना के तहत लगाए गए नलों से पानी नहीं आने की शिकायतें मिली हैं, और इस योजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। विधानसभा में पेश कैग 2022 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 14 नगरीय निकाय में 34.07 प्रतिशत घर में अभी भी नल कनेक्शन नहीं है। पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच नहीं की गई।