
- 50 से ज्यादा देशों में निर्यात कर रहा प्रदेश
- देश में कुल निर्यात में मप्र की हिस्सेदारी 1.8 प्रतिशत
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में उत्पादित सामानों और अनाजों की मांग विदेशों में हो रही है। आलम यह है की 50 से अधिक देशों में पर अपने उत्पादों का निर्यात कर रहा है। इससे प्रदेश के उत्पादों की धाक विदेशों में जम रही है। हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पिछले पांच वर्ष से निर्यात में बढ़त बना रहा मप्र अन्य राज्यों की तुलना में इस बार पिछड़ गया है। इसने मप्र सहित पूरे भारत का निर्यात प्रभावित किया है। मप्र से वित्तीय वर्ष 2023-24 में 65 हजार 255 करोड़ रुपए का सामान निर्यात हुआ है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 65 हजार 878 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था। इसी के साथ राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में मध्य प्रदेश निर्यात में दो पायदान नीचे खिसककर 13वें से 15वें स्थान पर पहुंच गया है। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में मध्य प्रदेश से निर्यात में महज 0.02 प्रतिशत की ही कमी आई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत से कुल निर्यात 36.19 लाख करोड़ रुपये का हुआ। इस अवधि में मप्र ने 65 हजार 255 करोड़ रुपये का निर्यात कर देश में कुल निर्यात का 1.8 प्रतिशत योगदान किया। विगत पांच वर्षों में मध्य प्रदेश से सर्वाधिक फार्मा प्रोडक्ट्स का निर्यात किया गया है। इसके अलावा कपड़ा, अनाज, मशीनों, एल्युमीनियम और प्लास्टिक का निर्यात सर्वाधिक 10 उत्पादों में शामिल है। प्रदेश ने दो साल पहले निर्यात के नए लक्ष्य तय किए थे। वर्ष 2030 तक 4 लाख करोड़ के निर्यात तक पहुंचने का लक्ष्य रखा। लेकिन यह लक्ष्य अभी काफी पीछे है। वर्ष 2023-24 में प्रदेश से 65255 करोड़ रुपए के सामान भेजे गए। अब निर्यात में तेजी लाने के प्रयास होंगे। इसी कड़ी में एक जिला एक उत्पाद पर भी काम हुआ, उसमें भी अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली।
मप्र की देश-विदेशों में होगी ब्रांडिंग
अभी गेहूं, चावल, दवाइयां, उद्यानिकी फसल और उत्पाद का निर्यात अच्छा है। सरकार के पास चुनिंदा उत्पादों के निर्यात के पूरे आंकड़े हैं, लेकिन कोई कॉमन प्लेटफार्म न होने से सभी आंकड़े एक साथ मिलेंगे। अब इस पर काम होगा। निगरानी में कसावट आएगी। अभी कई स्टार्टअप बेहतर निर्यात कर रहे हैं। इसलिए भी यह सेक्टर फोकस में रहेगा। सरकार निर्यात का व्यापक स्वरूप बनाएगी। इससे मप्र की देश और विदेशों में अच्छी ब्रांडिंग होगी। निर्यात वाले सभी उत्पादों की कुंडली बनेगी। चयन आसान होगा। निर्यातकों के लिए सम्मेलन की भी तैयारी है। वहीं बड़े सेक्टर में निर्यात बढ़ाया जाएगा। अभी गेहूं, धान, दवा, उद्यानिकी इनमें खास हैं। इस साल ही 3634 करोड़ का चावल निर्यात किया गया है। वहीं, 11889 करोड़ के फार्मा उत्पाद का बीते साल बाहर भेजे गए। इसके अलावा अन्य उत्पादों पर भी अब फोकस रहेगा। उद्यानिकी फसलों व उत्पाद की जानकारी अभी बिखरी है। इसके लिए डेटा कलेक्शन होगा। यह एक ही जगह रहेगा। गेहूं, धान और दवा के डेटा अभी बेहतर एकत्र होते हैं। बाकी उत्पादों की बारीकी से स्क्रूटनी होगी। फिर रिपोर्ट बनेगी।
छह साल में इस तरह रहा निर्यात
पिछले छह साल के दौरान देश के विभिन्न देशों में निर्यात बढ़ा है। जिन देशों में अपना ज्यादा निर्यात हुआ है उनमें अमरीका, चीन, आस्ट्रेलिया, रूस, जर्मन, ब्रिटेन, फ्रांस, बांग्लादेश, कोरिया, जापान, ईरान, ईराक, दुबई, तुर्की, न्यूजीलैंड समेत करीब 50 से ज्यादा देश शामिल हैं। प्रदेश में 2018-19 में 44,679 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था। वहीं 2019-20 में 37,693 करोड़, 2020-21 में 47,959 करोड़, 2021-22 में 56,407 करोड़, 2022-23 में 65,878 करोड़ और 2023-24 में 65,255 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ है। एमएसएमई मंत्री चेतन काश्यप का कहना है कि मप्र से निर्यात लगातार बढ़ रहा है। इसमें वृद्धि के और भी प्रयास किए जा रहे हैं। हर उत्पाद का डेटा लेने पर काम कर रहे हैं। इससे प्रदेश की ब्रांडिंग देश और दुनिया में बढ़ेगी।
पांच साल में प्रदेश से उत्पादों का निर्यात बढ़ा
देश का फूड बास्केट कहलाने वाला प्रदेश जल्द ही देश दुनिया तक अपने उत्पादों की लंबी श्रृंखला पहुंचाएगा। पांच साल में प्रदेश से उत्पादों का निर्यात बढ़ा है। 2018-19 में जहां निर्यात 44,639 करोड़ का था। 2023-24 में यह बढकऱ 65,255 करोड़ रुपए का हो गया। जिन देशों में वेज फूड की कमी है, वहां प्रदेश वेजफूड के लिए डिहाइड्रेट उत्पाद मुहैया कराता है। अमरीका, चीन जैसे देशों तक मप्र से उत्पाद भेजे जाते हैं। इसे देखते हुए सरकार अब निर्यात में और कसावट लाने जा रही है। इसके तहत हर उत्पाद के निर्यात की कुंडली बनाई जाएगी। सभी उत्पादों के आंकड़े एक ही छत के नीचे रहेंगे। इससे जहां उत्पादों की पूरी श्रृंखला एक साथ नजर आएगी, वहीं निर्यात की निगरानी भी आसान होगी। इतना ही नहीं, किसी उत्पाद के निर्यात में समस्या आई तो समय रहते इसे दूर भी किया जा सकेगा। अभी-अभी खाद्य, उद्यानिकी, वाणिज्य सहित अन्य अलग-अलग निर्यात के आंकड़े विकेंद्रीकृत हैं। अभी लक्ष्य से पीछे प्रदेश ने दो साल पहले निर्यात के नए लक्ष्य तय किए थे। वर्ष 2030 तक 4 लाख करोड़ के निर्यात तक पहुंचने का लक्ष्य रखा। लेकिन यह लक्ष्य अभी काफी पीछे है। वर्ष 2023-24 में प्रदेश से 65255 करोड़ रुपए के सामान भेजे गए। अब निर्यात में तेजी लाने के प्रयास होंगे। इसी कड़ी में एक जिला एक उत्पाद पर भी काम हुआ, उसमें भी अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली।