
- महिला सशक्तिकरण का नया अध्याय
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में मप्र महिला सशक्तिकरण का नया अध्याय लिख रहा है। प्रदेश में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जहां सरकार केंद्र और राज्य की योजनाओं का लाभ महिलाओं का दिला रहा है, वहीं महिला स्व-सहायता समूहों को बड़े-बड़े काम देकर उनकी कमाई बढ़ाई जा रही है।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मप्र देश के हृदय स्थल में बसा एक ऐसा राज्य है जिसने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में आज पूरे देश में नई मिसाल कायम कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में मप्र सरकार ने स्व-सहायता समूहों को महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त माध्यम बनाया है। स्व-सहायता समूह न केवल ग्रामीण और शहरी महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रहे हैं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उनकी स्थिति को सुदृढ़ कर रहे हैं। पिछले कुछ समय में मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण की दिशा में मप्र ने कई उपलब्धियों को हासिल किया है। सरकार की अनेक नीतियां और योजनाएं महिलाओं के उत्थान में सहायक सिद्ध हो रही हैं। मप्र में स्व-सहायता समूहों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जा रहा है। वर्तमान में, राज्य में 5 लाख से अधिक स्व-सहायता समूह सक्रिय हैं, जिनमें लगभग 62 लाख महिलाएं जुड़ी हैं। ये समूह महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता, कौशल विकास, और सामुदायिक नेतृत्व के अवसर प्रदान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मानना है कि स्व-सहायता समूह न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का साधन हैं, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी एक जन-आंदोलन है।मप्र सरकार ने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं जिनका प्रभाव राज्य के हर कोने में महसूस किया जा सकता है। मुख्यमंत्री उद्यम शक्ति योजना ने हजारों महिला समूहों को कम ब्याज पर ऋण दिलाकर उनके छोटे-छोटे व्यवसायों को सहारा दिया है। अब महिलाएं न सिर्फ घर चला रही हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रही हैं। अब तक 30 हजार 264 महिला समूहों और 12 हजार 685 महिला उद्यमियों को 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान के रूप में 648.67 लाख की राशि वितरित की जा चुकी है।
लाड़ली बहना योजना के तहत हर महीने 1.27 करोड़ बहनों के खाते में 1551.86 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता उनके खातों में पहुंच रही है। इससे न केवल आर्थिक रूप से महिलाओं की स्थिति बेहतर हो रही है बल्कि महिलाएं डिजिटल युग की सहभागी भी बन रही हैं। इस योजना में 1.27 करोड़ महिलाओं को अब तक 35,329 करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, 25 लाख महिलाओं को 450 रुपये में गैस सिलेंडर रीफिलिंग के लिए 882 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी गई है। यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ उनके परिवारों में बचत को प्रोत्साहित कर रही है। मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना में वर्ष 2024-25 में 2 लाख 73 हजार 605 बालिकाओं का पंजीकरण हुआ और लगभग 223 करोड़ रूपये से अधिक की छात्रवृत्ति यूनि-पे के जरिए वितरित की गई। अब तक कुल 50 लाख 41 हजार 810 बेटियां इस योजना का हिस्सा हैं। राज्य सरकार द्वारा नारी शक्ति मिशन के तहत जिला, परियोजना और ग्राम स्तर पर 100 दिवसीय जागरूकता हम होंगे कामयाब अभियान चलाया गया। इसमें प्रदेश में जेंडर संवादों, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, सायबर सुरक्षा, कार्यस्थल पर उत्पीडऩ और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों की महिलाओं को न केवल जानकारी दी गई, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना भी सिखाया गया। मप्र सरकार ने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 1 लाख से अधिक महिलाओं को लखपति दीदी बनाया है। सरकार का लक्ष्य 5 लाख स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 62 लाख महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रगति
2025 में, जब हम महिलाओं के विकास और सशक्तिकरण की दिशा में किए गए कार्यों की समीक्षा करते हैं, तो हम पाएंगे कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में देश-प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक और महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। महिलाएं अपनी पूरी क्षमता को समझ कर उसका उपयोग कर सके, महिलाओं को विभिन्न संस्थागत व्यवस्थाओं जैसे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कैरियर एवं व्यावसायिक परामर्श / प्रशिक्षण, वित्तीय समावेशन, उद्यमिता आदि से जोडने, उन्हें मार्गदर्शन उपलब्ध कराने के लिये विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं। महिलाएं आज हर क्षेत्र में अग्रणी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महिलाएं ऐसे-ऐसे कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं जिनकी कुछ वर्ष पूर्व कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।। आज की महिलाएं जागृत हैं और अनेक क्षेत्रों में नेतृत्व भी कर रही है। महिलाओं के विचारों और उनके जीवन मूल्यों से सुखी परिवार, आदर्श समाज और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण होता है। मप्र में किशोरी बालिकाओं, महिलाओं के सर्वांगीण विकास, संरक्षण, सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण, बेहतर स्वास्थ्य, पोषण के लिये विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य उन्हें हर क्षेत्र में सशक्त बनाना है। इनमें मिशन शक्ति अंतर्गत हब, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, वन स्टॉप सेन्टर, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, महिला हेल्पलाईन 181, सखी निवास, के साथ ही मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना-2023 और मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना आदि योजनाएं प्रमुख है। इसी अनुक्रम में मुख्यमंत्री की मंशा अनुसार प्रदेश में बालिकाओं और महिलाओं की उन्नति में चुनौतियों और बाधाओं के समाधान व समग्र सशक्तिकरण हेतु नारी सशक्तिकरण मिशन आरंभ किया जा रहा है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य महिलाओं व बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, आर्थिक विकास व सुरक्षा के साथ ही विभिन्न सरकारी सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना है। मिशन के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक स्वावलम्बन व समाज में आर्थिक भागीदारी बढाने हेतु प्रयास किये जावेंगे। विभिन्न विभागों के द्वारा संचालित योजनाओं से सम्बंधित विभागों के समन्वय से मिशन गतिविधि का संचालन होगा।
प्रदेश में आंगनवाडी सेवाओं और स्वास्थ्य कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता के बारे में जागरूक किया गया है, जिससे कुपोषण दर में भी कमी आई है। राज्य सरकार ने गर्भस्थ महिलाओं और शिशुओं की सुरक्षा के लिए वित्तीय संसाधनों की कोई कमी बाकी नहीं रखी। आंगनबाड़ी केन्द्रों का उन्नयन, रखरखाव एवं संचालनमप्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में हमेशा से रहा है। इस दिशा में मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद ने प्रदेश की 12 हजार 670 मिनी आंगनवाडी केन्द्रों को पूर्ण आंगनवाडी केन्द्र के रूप में उन्नयन किए जाने का निर्णय लिया है। इसके लिये पर्यवक्षको के 476 नवीन पद. 12 हजार 670 आंगनवाड़ी सहायिका सहित कुल 13 हजार 146 नवीन पद स्वीकृत किए गए है। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य-पोषण लिए संचालित प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के क्रियान्वयन मेंमप्र को योजना प्रारंभ से वर्ष 2022-2023 तक लगातार 5 साल राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।
सुरक्षा पर विशेष फोकस
बेटियों, महिलाओं की सुरक्षा मप्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है और इसके लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। वन स्टॉप सेन्टर, महिला हेल्पलाईन 181 इसी उद्देश्य को लेकर कार्यरत हैं। प्रदेश के समस्त जिलों में संकट ग्रस्त महिलाओं की सहायता हेतु जिलों में 57 वन स्टॉप सेंटर संचालित हैं, जिनके माध्यम से लगभग 1 लाख से अधिक महिलाओं को नि:शुल्क सहायता उपलब्ध कराई गई है। महिला हेल्पलाइन नंबर 181 जैसी योजनाओं के जरिए महिलाएं अपनी समस्याओं का समाधान तुरंत पा रही है। महिला अपराधों को रोकने तथा उसे प्रभावी बनाने के उद्देश्य से शौर्य दल बनाए गए हैं। प्रदेश में ग्राम/वार्ड स्तर की प्रत्येक आंगनवाड़ी क्षेत्र में कुल 22.52 लाख से अधिक बालिकायें / महिलायें शौर्या दल की सदस्य है। मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मृत्यु दंड देने वाला देश का पहला राज्यमप्र है। प्रदेश में मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना 2023 जैसी योजनाएं महिलाओं के सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता एवं विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई हैं। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना से प्रदेश में लगभग 1.27 करोड़ महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। योजना अंतर्गत प्राप्त सहायता राशि से वे आर्थिक रूप से सशक्त होते हुए परिवार के निर्णयों में अपनी भागीदारी बढ़ा रही हैं। ला?ली लक्ष्मी योजना में बालिकाओं को रूपये 1,43,000/- का आश्वासन प्रमाण पत्र दिया जाता है। इस योजना ने बालिका शिक्षा को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किया है। बेटियों को स्कूल जाने के लिए साइकिल और कॉलेज के लिए स्कूटी वितरण का कार्य किया जा रहा है जिससे उनकी शिक्षा की सुविधा में कोई कठिनाई न आए। राज्य सरकार ने बेटियों को डॉक्टर, इंजीनियर, जेईई, जज, सीए आदि परीक्षाओं की तैयारी का खर्च उठाने का जिम्मा स्वयं ले रखा है ताकि माता-पिता को इसके बोझ तले ना दबना पड़े। लाडली बालिकाओं को कक्षा 12वीं के स्नातक अथवा व्यावसायिक पाठ्यक्रम में (पाठ्यक्रम अवधि न्यूनतम दो वर्ष) प्रवेश लेने पर राशि रूपये 25,000/- की प्रोत्साहन राशि, दो समान किश्तों में (पाठ्यक्रम अवधि के प्रथम एवं अंतिम वर्ष मे) दिए जाने का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार की यही मंशा रही है कि प्रदेश की हर बेटी अपने सपने पूरा कर सके। इसी परिप्रेक्ष्य मेंमप्र में महिलाओं को निकाय चुनाव एवं शिक्षक भर्ती में 50 प्रतिशत, पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत और अन्य भर्तियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण केवल एक नारा नहीं, बल्कि समाज के विकास की अनिवार्य शर्त है। मप्र सरकार महिलाओं के सर्वांगीण उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत है।
महिला उद्यमिता को प्रोत्साहन
मप्र में 850 से अधिक एमएसएमई इकाइयों को 275 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है, जिससे महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन मिला है। इसके अलावा, रेडीमेड गारमेंट उद्योग में कार्यरत महिलाओं को प्रति माह 5,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, जिससे उनकी मासिक आय में बढ़ोत्तरी हो रही है। राज्य सरकार ने नारी सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता में रखा है। पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाई गई है और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। महिला हेल्पलाइन और महिला पुलिस स्टेशन जैसी सेवाओं को भी मजबूत किया गया है। महिला हेल्पलाइन 181 और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 को अब 112 आपात सेवा से जोड़ा गया है। वर्ष 2024-25 में लगभग 82 हजार 552 महिलाओं को त्वरित सहायता मिली है। योजना के प्रारंभ से अब तक एक लाख 57 हजार महिलाओं को लाभ मिल चुका है। देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन प्रदेश में लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर शुरू किया गया। यह मिशन महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए समर्पित है। इस मिशन के तहत स्व-सहायता समूहों को स्टार्ट-अप अभियान से जोड़ा गया, जिसमें 8 करोड़ 10 लाख रुपये के निवेश पत्र वितरित किए गए। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के लिए न केवल सशक्तिकरण के अवसर पैदा किए गए हैं, बल्कि अब महिलाएं पारंपरिक घरेलू कार्यों से बाहर निकलकर विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। सैनिटेशन और हाइजीन योजना के तहत प्रदेश की 19 लाख से अधिक बालिकाओं को 57 करोड़ 18 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गई है जिससे किशोरियों के स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा मिला है। यूनिसेफ ने भीमप्र के इन प्रयासों की सराहना की है।
स्व-सहायता समूहों के माध्यम से मप्र में महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इन समूहों ने न केवल महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान की है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया है। उदाहरण के लिए, स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं अब स्थानीय स्तर पर उत्पादक संगठनों के माध्यम से रोजगार और स्वरोजगार के अवसर सृजित कर रही हैं। महिलाओं के लिए 35त्न सरकारी नौकरियों में आरक्षण और निकाय चुनावों में 50त्न आरक्षण जैसे कदमों ने उनकी भागीदारी को और बढ़ाया है। इसके अतिरिक्त, जेंडर बजट में 19,021 करोड़ रुपये की वृद्धि और महिला सशक्तिकरण के लिए 1 लाख 21 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान इस दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर के जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेते हुए महिला सशक्तिकरण को नया आयाम दिया है। अहिल्या बाई ने महेश्वर से शासन चलाते हुए महिलाओं को साड़ी बुनाई जैसे कौशलों से जोड़ा, जिससे महेश्वरी साडिय़ां विश्व प्रसिद्ध हुईं। इसी तरह, डॉ. यादव ने स्व-सहायता समूहों को उद्यमिता और कौशल विकास से जोडक़र महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। यह प्रयास मप्र को नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे कृषि, उद्योग, शिक्षा, चिकित्सा और राजनीति जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की सहभागिता बढ़ रही है।
आत्मनिर्भर मप्र में महिलाओं की भूमिका
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि नारी शक्ति मिशन के तहत हर जिले की महिलाओं को सशक्तिकरण की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। उनका मानना है कि यदि नारी सशक्त होगी, तो समाज और प्रदेश स्वत: सशक्त होगा। सरकार का लक्ष्य 2047 तक मप्र को विकसित भारत के साथ एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राज्य बनाना है, जिसमें महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उनका मानना है कि समाज में महिलाओं को समान अवसर देना न केवल उनके विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि समाज के समग्र विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।उनका कहना है कि नारी शक्ति मिशन हमारे इस दृष्टिकोण का विस्तार है जिसमें हर जिले से महिलाओं को जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। एक तरफ आज जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं वहीं लाड़ली बहना योजना, लखपति दीदी योजना और नारी शक्ति मिशन जैसी अनेकों महिला केन्द्रित योजनाओं के माध्यम सेमप्र की महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो रही हैं। स्व-सहायता समूहों ने न केवल प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है, बल्कि महिलाओं को समाज में सम्मान और स्वावलंबन की नई पहचान दी है।
एक समय था जब महिलाएं सुरक्षा, शिक्षा और रोजगार को लेकर असमंजस में थीं, लेकिन आजमप्र में हालात बदल रहे हैं। राज्य सरकार महिलाओं को केवल सहयोग नहीं, बल्कि सम्मान और स्वावलंबन की नई पहचान देने की दिशा में काम कर रही है। आजमप्र सिर्फ योजनाएं नहीं बना रहा, वह एक ऐसी सोच का निर्माण कर रहा है जहां महिला होना कमजोरी नहीं, शक्ति का पर्याय है। यह बदलाव धीरे-धीरे हर घर, हर गांव और हर शहर में देखा जा सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश की महिलाओं के सर्वांगीण विकास और सशक्तिकरण के लिये निरंतर प्रयासरत होकर सक्रियता पूर्वक कार्य कर रहे है। उनका कहना है कि हम नारी सशक्तिकरण को केवल योजना के रूप में नहीं जन आंदोलन के रूप में देख रहे है। नारी शक्ति मिशन हमारे इस दृष्टिकोण का विस्तार है जिसमें हर जिले से महिलाओं को जोड़ा जा रहा है। प्रदेश में इंदौर और भोपाल में 250 बेड क्षमता के 3 वर्किंग वुमन हॉस्टल संचालित है। इसके अतिरिक्त स्कीम फॉर स्पेशल असिस्टेंट टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट योजना में वर्ष 2024-25 में 5412 बिस्तरीय 8 नये हॉस्टलों को मंजूरी दी गई है। इनमें से 4 महिला एवं बाल विकास विभाग और 4 उद्योग विभाग द्वारा संचालित किये जायेगे। इसमें सिंगरौली, देवास, नर्मदापुरम और झाबुआ में 100-100 बिस्तरों के 4 हॉस्टलों के लिए 40.59 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। अब घर से दूर काम करने वाली महिलाओं को सुरक्षित और सुविधाजनक आवास मिलेगा। घरेलू हिंसा, शोषण या किसी भी संकट में फंसी महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। प्रदेश में 57 वन स्टॉप सेंटर पहले से ही संचालित हैं। जिनके माध्यम से वर्ष 2024-25 में 31 हजार 763 महिलाओं को सहायता प्रदान की गई। अब 8 और नए सेंटर मंजूर किए गए हैं- पेटलावद, पीथमपुर, मनावर, लसूडिया, साबेंर, मैहर, पांढूर्णा और मऊगंज में वन स्टॉप सेंटर की मंजूरी दी गई है। अब तक कुल एक लाख 27 हजार 94 संकटग्रस्त महिलाओं को इन केन्द्रों से लाभ मिल चुका है। महिला हेल्पलाइन 181 और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 को अब 112 आपात सेवा से जोड़ा गया है। यानी अब कोई भी महिला मुसीबत में हो तो सिर्फ एक कॉल से पुलिस, काउंसलिंग, आश्रय और कानूनी मदद सब एक साथ मिल सकती है। वर्ष 2024-25 में लगभग 82 हजार 552 महिलाओं को त्वरित सहायता मिली है। योजना के प्रारंभ से अब तक एक लाख 57 हजार महिलाओं को लाभ मिल चुका है।
छोटे कदम, बड़ी उड़ान
लाड़ली बहना योजना के तहत हर महीने 1.27 करोड़ बहनों के खाते में 1551.86 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता उनके खातों में पहुंच रही है। न केवल पैसा, बल्कि डिजिटल साक्षरता भी दी जा रही है ताकि बहनें सिर्फ उपभोक्ता नहीं, डिजिटल युग की सहभागी बनें। मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत वर्ष 2024-25 में 2 लाख 73 हजार 605 बालिकाओं का पंजीकरण हुआ और लगभग 223 करोड़ रूपये से अधिक की छात्रवृत्ति यूनि-पे के जरिए वितरित की गई। अब तक कुल 50 लाख 41 हजार 810 बेटियां इस योजना का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में विगत वर्षों की तरह ही इस वर्ष भी मप्र द्वारा शत प्रतिशत पात्र हितग्राहियों को आर्थिक सहायता प्रदाय की गई। वर्ष 2024-25 में लगभग 6 लाख 30 हजार 929 हितग्राही महिला पंजीकृत किये गये। मुख्यमंत्री उद्यम शक्ति योजना ने हजारों महिला समूहों को कम ब्याज पर ऋण दिलाकर उनके छोटे-छोटे व्यवसायों को सहारा दिया है। अब महिलाएं न सिर्फ घर चला रही हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रही हैं। अब तक 30 हजार 264 महिला समूहों और 12 हजार 685 महिला उद्यमियों को 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान के रूप में 648.67 लाख की राशि वितरित की जा चुकी है। ऐसी महिलाएं और बच्चियां जो बेहद कठिन हालात में हैं, उनके लिए 13 जिलों में 14 शक्ति सदन संचालित किये जा रहे हैं, जहां उन्हें सुरक्षित अस्थायी आश्रय मिलता है। वर्ष 2024-25 में एक हजार 824 महिलाएं और 461 बच्चे लाभान्वित हुए है। आगामी समय में सभी 10 संभागीय मुख्यालयों में शक्ति सदन स्थापित किये जायेगें। ‘सशक्त वाहिनी’ के तहत हजारों बालिकाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और आत्म रक्षा प्रशिक्षण मिला है। इसके तहत 11 हजार से अधिक बालिकाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये शैक्षणिक एवं शारीरिक प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें से 156 युवतियों का विभिन्न सरकारी पदों पर चयन हुआ। साथ ही 2.6 लाख से अधिक महिलाओं ने सुरक्षा और अधिकारों को लेकर जागरूकता अभियान में भाग लिया। राज्य सरकार द्वारा नारी शक्ति मिशन के तहत जिला, परियोजना और ग्राम स्तर पर 100 दिवसीय जागरूकता हम होंगे कामयाब अभियान चलाया गया। इसमें प्रदेश में जेंडर संवादों, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, सायबर सुरक्षा, कार्यस्थल पर उत्पीडऩ और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों की महिलाओं को न केवल जानकारी दी गई, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना भी सिखाया गया। निश्चित ही सरकार के इन प्रयासों सेमप्र में महिलाएँ स्वाबंलबी हो रही है और सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर रही है।
नारी सशक्तिकरण के नव प्रतिमान गढ़ते मप्र ने सफलता की अनेकों कहानियां लिखकर राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान बनाई है। राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे सतत प्रयासों ने महिलाओं को स्वाबलंबी और आत्मनिर्भर बनाया है।मप्र देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने शासकीय सेवाओं में महिलाओं के आरक्षण को 33 प्रतिशत से बढ़ा कर 35 प्रतिशत किया है। साथ ही पंचायत एवं नगरीय निकाय निर्वाचन में 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू की है। उद्यमी महिलाओं को राज्य सरकार 2 प्रतिशत दर से ऋण भी उपलब्ध करा रही है। आजीविका मिशन के माध्यम से 40 लाख से अधिक महिलाओं को स्व-रोजगार से जोड़ा गया है।राज्य सरकार के वादों और इरादों में कोई अंतर नहीं है। राज्य सरकार ने माता-बहनों और बेटियों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए नित नई योजनाएं चलाई हैं, जिनके परिणाम उत्साह बढ़ाने वाले हैं। इन प्रयासों के चलते हीमप्र में महिलाएं अब मजबूर नहीं बल्कि मजबूत होकर उभरी हैं। बेटियां वरदान कहीं जाने लगी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प से सिद्धि के मंत्र को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आत्मसात करते हुए लाड़ली बहनों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिए हैं। उनके सफल प्रयासों की सफलताओं के नवांकुर आज राज्य को अलंकृत कर रहे हैं। महिलाओं को मजबूर से मजबूत बनाने का अभियान आज उनके सशक्त और आत्मनिर्भरता की कहानी उनकी जुबानी कह रहा है। देश के कई राज्यों ने महिला सशक्तिकरण को लेकरमप्र द्वारा उठाए गए कदमों को सराहा है और अपने राज्यों में लागू भी किया है। लाड़ली बहना योजना के माध्यम से राज्य की लगभग एक करोड़ 29 लाख महिलाओं को मासिक 1250 रुपए की राशि सीधे उनके खाते में भेजी जा रही है। महिला सशक्तिकरण की यह अनूठी पहल अन्य राज्यों के लिये अनुकरणीय होकर क्रियान्वित की जा रही है। महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों ने लाड़ली बहना योजना को मील का पत्थर मानते हुए अपनाया है।