
- कागजी निवेश प्रस्तावों को अब धरातल पर उतारने की तैयारी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र को आत्मनिर्भर बनाने का जो संकल्प लिया है, उसे साकार करने के लिए इंदौर में संपन्न हुई, छठवीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट मील का पत्थर साबित होगी। इसका संकेत इससे भी मिलता है कि पिछली 5 ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में जितने निवेश के प्रस्ताव मिले हैं, लगभग उतने इस छठवें समिट में मिले हैं। वहीं सरकार ने समिट में कागजी निवेश प्रस्तावों को अब धरातल पर उतारने की तैयारी तेज कर दी है। इससे इस बात की उम्मीद जगह है कि मप्र औद्योगिक हब बनेगा।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मप्र को औद्योगिक हब बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संकल्पित हैं। अपने इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन करना शुरू किया। इसका असर यह हुआ कि मप्र में साल दर साल औद्योगिक निवेश बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में इंदौर में इस साल जो छठवीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित की गई वह मील का पत्थर साबित होने वाली है। इस बार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में जो साढ़े 14 लाख करोड़ के कागजी निवेश प्रस्ताव शासन को मिले हैं उन्हें अब धरातल पर उतारने की तैयारी शुरू की जा रही है। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण, फायर एनओसी, तीन साल तक जांच न होने से लेकर बिना अनुमति निर्माण कार्य शुरू करने सहित जो तमाम घोषणाएं की हैं उन पर अब फटाफट अमल के लिए अध्यादेश लाया जाएगा, क्योंकि कई नियमों में संशोधन करना पड़ेंगे। अध्यादेश के आधार पर अलग-अलग विभागों द्वारा आदेश जारी होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार समिट के बाद की प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं।
गौरतलब है कि श्रम विभाग, नगर निगम, उद्योग विभाग, नगर तथा ग्राम निवेश से लेकर अन्य विभागों से अलग-अलग अनुमतियां उद्यमियों-निवेशकों को लेना पड़ती है। हालांकि मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि कोई भी उद्योग स्थापित कर लें, अनुमति की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। हालांकि उन्होंने बाद में स्पष्ट भी किया कि सिर्फ एमएसएमई यानी लघु, सुक्ष्म, मध्यम श्रेणी के उद्योगों को अधिसूचित क्षेत्रों यानी जो इंडस्ट्रीयल एरिया घोषित है, वहां पर ही ये सुविधा मिलेगी। ऐसा नहीं है कि कहीं भी कोई उद्योग शुरू कर दे। चूंकि 200 करोड़ रुपए तक के निवेश अब एमएसएमई के तहत ही आ जाते हैं और अधिकांश उद्यमी इसी श्रेणी में आते हैं। लिहाजा उन्हें राहत मिल जाएगी। निर्माण की अनुमति में छूट के साथ तीन साल तक किसी तरह की जांच-पड़ताल भी नहीं होगी और किसी तरह की एनओसी भी नहीं लगेगी। मगर इनसे संबंधित विभागों के इसके लिए विधिवत आदेश नियमों में संशोधन के साथ जारी करना पड़ेंगे। इसके लिए अध्यादेश लाया जाएगा। फिर बाद में उसे विधानसभा में रखकर मंजूर करवा लेंगे। छठवीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के संपन्न होने के बाद गतदिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रस्तावों तथा सरकारी तैयारियों की समीक्षा की और कहा कि यह समिट वास्तविक अर्थों में ग्लोबल थी, क्योंकि 84 देशों के बिजनेस लीडर और प्रतिनिधि आए। यह इंदौर में छठवीं समिट थी और सभी अधिकारियों-कर्मचारियों ने मेहनत की, वे सभी बधाई के पात्र हैं। अब जो प्रस्ताव मिले हैं उन्हें धरातल पर उतारा जाए और निरंतर विभागवार समीक्षा हो।
जमीन के लिए कोई परमिशन नहीं लगेगी
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि उद्योगपतियों को अगर जमीन मिल गई, तो कोई परमिशन नहीं लगेगी। जो भी नियम प्रक्रिया है, उसे खुद ही पालन करो आप पर पूरा भरोसा है। उद्योगपतियों के सेटअप खड़ा करने के बाद उसका तीन साल तक कोई निरीक्षण नहीं करेगा। आप लोग आगे बढ़ते रहो पूरा भरोसा है। इंदौर में 10,000 की क्षमता का एक और नया कन्वेंशन सेंटर बनाया जाएगा। मप्र में 15 लाख 42 हजार 514 करोड़ रुपए निवेश आया। मप्र भविष्य में भारत के टॉप-3 एक्सपोर्ट स्टेट में शामिल होगा। मप्र से पिछले साल की अपेक्षाकृत ज्यादा एक्सपोर्ट हुआ है। प्रदेश के इलेक्ट्रानिक उपकरण, इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल, सोया, गेहूं सहित कृषि, मसाला, कॉटन यार्न एवं अन्य क्षेत्रों निर्यात के बेहतर अवसर होंगे। यह बात अतिरिक्त सचिव डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड संतोष सारंगी ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दूसरे दिन ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में फॉस्टरिंग एक्सपोट्र्स फ्रॉम एमपी सेशन में निवेशकों से कही। अतिरिक्त सचिव सारंगी ने कहा कि मप्र के एक्सपोर्ट में रेवेन्यू बढ़ाने के लिए रॉ मटेरियल के स्थान पर फाइनल प्रोडक्ट पर फोकस करेंगे। कॉटन यार्न के स्थान पर फैब्रिक और अपेरल, सोयाबीन के स्थान पर सोयाबीन उत्पाद, मसाले, होम फर्निशिंग प्रोडक्ट, जेम्स और ज्वेलरी प्रदेश के एक्सपोर्ट में अहम भूमिका अदा करेंगे। प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा मनु श्रीवास्तव का कहना है कि प्रदेश का वित्तीय वर्ष 2021-22 में एक्सपोर्ट 58 हजार 407 करोड़ का रहा है। काबुली चना, सोयाबीन, फार्मा, टेक्सटाइल और कृषि उत्पादों में प्रदेश अग्रणी रहा है। मप्र से 200 से भी अधिक देशों में निर्यात होता है। जिसमें अमेरिका, बांग्लादेश और चीन में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट किया जाता है। प्रदेश में नए उद्योग लगाने और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उत्पाद निर्मित करने की अपार संभावनाएं हैं। फॉस्टरिंग एक्सपोट्र्स फ्रॉम एमपी सेशन में फ्लेक्सीटफ ग्रुप के सौरभ कलानी का कहना है कि मप्र के व्यापार को और अधिक संवर्धित करने के लिए 3-पी-परफार्मेंस पॉलिसी और परसेप्शन पर काम करना होगा। सरकार के द्वारा सिंगल विंडो सिस्टम से क्लीयरेंस हो रहा है। कलानी ने कहा कि एक्सपोटर्स को ट्रांसपोर्ट सब्सिडी मिलती है तो निर्यात और अधिक बढऩे की संभावनाएं बढ़ेंगी। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन अरुण कुमार गरोडिया ने कहा कि मप्र का व्यापार संवर्धन में अत्यधिक सहयोगात्मक रूख है। प्रदेश पॉवर सरप्लस स्टेट है। रॉ मटेरियल की बहुतायत है। केंद्र सरकार की मदद से एमएसएमई सेक्टर में बहुत अधिक प्रोग्रेस की जा सकती है। समिट में आए निवेशकों ने भी माना कि निवेश की आइडियल डेस्टिनेशन है मप्र। हमने 18 साल में शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है। बीमारू से हम अग्रणी राज्यों में शुमार हुए है। संसाधन से संपन्न हैं। शांति के टापू हैं। अध्यात्म में अव्वल हैं। पर्यटन में बेजोड़ हैं। हमने अपनी कोर क्षमताओं को ही अपनी शक्ति बनाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 10 पार्टनर को धन्यवाद देता हूं। कई मीटिंग में व्यापारी अधिकारियों ने भाग लिया।
निर्यात में देश के टॉप 3 प्रदेश में होगा मप्र
नए निवेश और औद्योगिक गतिििवधयों को तेजी से बढ़ाने के बाद अब प्रदेश के निर्यात को पंख लगाने की तैयारी की जा रही है। वर्तमान में यहां से 200 देशों में अलग-अलग उत्पादों का निर्यात हो रहा है। इस वित्तीय वर्ष में 8 बिलियन डॉलर (करीब 64,982 करोड़ रुपए) का एक्सपोर्ट किया गया। 2030 तक इसके 50 बिलियन डॉलर (करीब 4.06 लाख करोड़ रुपए) प्रति वर्ष तक पहुंचने का अनुमान है। फार्मा के अलावा डिफेंस, एयरोस्पेस, ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट, टर्बाइन, गियर बॉक्सेस, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, इंजीनियरिंग, सोयाबीन, मसाले, कॉटन यार्न सेक्टर में मप्र बड़ा निर्यातक बनेगा। इसके लिए फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फिओ) ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में प्रदेश सरकार को रोडमैप दिया है। फिओ के डायरेक्टर जनरल और सीईओ डॉ. अजय सहाय ने बताया, वर्तमान में देश से होने वाले निर्यात का 2 फीसदी मप्र से होता है, जिसे 5 फीसदी तक पहुंचाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया, प्रदेश के एक्सपोर्ट का 70 फीसदी सिर्फ पांच जिलो (इंदौर, धार, रायसेन, सिंगरोली और भोपाल) से है। डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड के अतिरिक्त सचिव संतोष सारंगी का कहना है, मध्यप्रदेश भविष्य में भारत के टॉप-3 एक्सपोर्ट स्टेट में शामिल होगा। प्रदेश से पिछले साल की अपेक्षाकृत इस बार ज्यादा एक्सपोर्ट हुआ है। आने वाले समय में प्रदेश के इलेक्ट्रानिक उपकरण, इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल, सोया, मसाला, कॉटन यार्न एवं अन्य क्षेत्रों में निर्यात के बेहतर अवसर होंगे। मध्यप्रदेश के एक्सपोर्ट में रेवेन्यू बढ़ाने के लिए रॉ मटेरियल के स्थान पर फाइनल प्रोडक्ट पर फोकस करना होगा। कॉटन यार्न के स्थान पर फैब्रिक और अपेरल, सोयाबीन के स्थान पर सोयाबीन उत्पाद, मसाले, होम फर्निशिंग प्रोडक्ट और जेम्स और ज्वेलरी प्रदेश के एक्सपोर्ट में अहम भूमिका अदा करेंगे। मध्यप्रदेश से अमेरिका, बांग्लादेश और चीन में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट किया जाता है। व्यापार को संवर्धित करने के लिये 3-क्क-परफॉर्मेंस, पॉलिसी और परसेप्शन पर काम करना होगा। सहाय ने बताया, ग्लोबल लेवल पर करीब 8500 उत्पादों का निर्यात भारत से होता है। सूची में मप्र से 4000 उत्पाद ही हैं। एक्सपोर्ट बास्केट बड़ी करना होगी। जिला स्तर पर एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम चलाना होगी। रिपोर्ट के मुताबिक देश के सेंटर होने के मप्र में काफी संभावनाएं है, लेकिन रेलवे कनेक्टिविटी कमजोर होने से पीछे हैं। हरियाणा जैसे छोटे प्रदेश में एक्सपोर्ट करने वाले 11 आईसीडी (इनलैंड कंटेनर डिपो) हैं, जबकि मप्र में सिर्फ पांच हैं। सोयाबीन एक्सपोर्ट में हम देश में पहले स्थान पर हैं। वहीं फार्मा में चौथे और कॉटन में तीसरे स्थान पर। यदि हमें अन्य सेक्टर में तेजी से विकास करना है तो सप्लाय चेन को ठीक करना होगा।
निवेशकों का बढ़ा रूझान
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश को कंपलीट बिजनेस साल्यूशन के साथ फ्यूचर रेडी स्टेट बनाने से प्रदेश में निवेश के लिए देश-विदेश के निवेशकों का रूझान बढ़ रहा है। यहां बिजनेस स्टार्ट करने के लिये शासकीय अनुमतियों से लेकर इंडस्ट्री प्रारंभ करने के बाद उसके सफल संचालन के लिये आवश्यक सभी सुविधाएँ आसानी से प्राप्त हो जाती हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा राज्य मध्यप्रदेश भारत का हृदय है और आज ये सबसे तेज गति से विकास पथ- पर अग्रसर है। राज्य प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों से संपन्न है। राज्य में 95 से अधिक औद्योगिक क्षेत्र, 7 स्मार्ट सिटी और बेहतरीन यातायात व्यवस्था है। राज्य में खेती एवं प्रोसेसिंग क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है, जिससे औद्योगिक निवेश के लिए माहौल बन रहा है। इसके साथ ही फार्मास्यूटिकल ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग, टेक्सटाईल, लॉजिस्टिक, आईटी, अक्षय ऊर्जा, पर्यटन, शहरी विकास ऐसे क्षेत्र हैं, जहां निवेश की अपार संभावनाएं हैं। राज्य में कुशल मानव संसाधन और उचित मूल्य पर भूमि की उपलब्धता, राज्य में औद्योगिक वातावरण को तैयार करती है। सरकार की नीति और प्रशासन का सहयोग इस दिशा में मददगार साबित हो रहा है। मध्य प्रदेश में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए वह सभी कुछ है, जो निवेश के लिए आवश्यक है। देश के केंद्र में स्थित होने के कारण मध्यप्रदेश की सीमा देश के 5 राज्यों से लगती है और यह देश की तकरीबन 50 प्रतिशत आबादी को प्रवेश देता है। यह देश के किसी भी उपभोक्ता बाजार से अधिकतम 15 घंटे की दूरी पर स्थित है। भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर, खजुराहो में कुल 5 कॉमर्शियल हवाई अड्डे हैं। 20 से अधिक रेल जंक्शन और राज्य में 550 से अधिक ट्रेनें संचालित होती है। मालनपुर, मंडीदीप, पवारखेड़ा, रतलाम, तिही, धन्नद में 6 इनलैंड कंटेनर डिपो हैं। मध्यप्रदेश देश के कई बड़े प्रोजेक्टस से जुड़ा हुआ है। दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक कॉरिडोर के तहत मध्य प्रदेश के हिस्से में औद्योगिक क्षेत्र विक्रम उद्योगपुरी, उज्जैन आया है। नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर के लिए साथ विकसित दिल्ली- नागपुर कॉरिडोर से आर्थिक गतिविधियों में आश्चर्यजनक रूप से उछाल आएगा। ग्वालियर से होकर जाने वाले ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (एन.एच.27) को उत्तर भारत में प्रवेश करने के लिए मध्यप्रदेश का गेटवे कहा जाता है। दिल्ली-मुम्बई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के प्रदेश से गुजरने के कारण प्रदेश की कनेक्टिविटी बढ़ गई है और औद्योगिक क्षेत्र में विकास हुआ है। रतलाम- दिल्ली-मुम्बई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का केंद्र है।
प्रमुख सेक्टर्स का हुआ विकास
मध्य प्रदेश सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण सेक्टर्स का चुनाव किया है, जो सरकार की 550 बिलियन अमरीकी डॉलर अर्थ-व्यवस्था की सोच को साकार करने में सहयोग करेंगे। ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 10 से अधिक उपकरण निर्माता और 200 से अधिक ऑटो कंपोनेंट निर्माता कार्यरत हैं। इन्दौर और भोपाल में भारत के अग्रणी ऑटो क्लस्टर्स हैं। पीथमपुर में 4500 हेक्टेयर में विकसित औद्योगिक क्लस्टर 25 हजार से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है। इंदौर में एशिया का सबसे लंबे और तेज गति के टेस्टिंग ट्रेक नेट्रेक्स की स्थापना की गई है। मप्र को भारत का फूड बास्केट कहा जाता है। यहां 45 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि योग्य भूमि है, जो 10 प्रमुख नदियों से जुड़ी है। इस वजह से जिसके कारण राज्य में उत्तम सिंचाई व्यवस्था है। प्रदेश उद्यनिकी फसलों, मसालों, संतरा, अदरक, लहसुन आदि के उत्पादन में अग्रणी है। मध्यप्रदेश दलहन, तिलहन एवं डेयरी उत्पाद में भी अग्रणी है। राज्य में 8 सरकारी फूड पार्क और 2 निजी मेगा फूड पार्क है। इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर में सरकारी कृषि कॉलेज संचालित हैं। प्रदेश को 7 बार भारत सरकार से कृषि क्षेत्र का प्रतिष्ठित कृषि कर्मण पुरस्कार मिलना प्रदेश की उन्नत कृषि का संकेत है। मध्यप्रदेश में टेक्सटाईल एवं गारमेंट सेक्टर में भी सतत् प्रगति हो रही है। राज्य 43 प्रतिशत भारतीय और 24 प्रतिशत वैश्विक जैविक रूई का उत्पादक है। यहाँ 60 से अधिक टेक्सटाईल यूनिट में 4 हजार से अधिक लूम्स और 2.5 मिलियन स्पिंडल्स संचालित हैं। राज्य के टेक्सटाईल सेक्टर में स्पिनिंग से लेकर बुनाई, गारमेंटिंग की सभी प्रक्रिया रूप से संचालित हैं। भारत सरकार की पीएलआई योजना में राज्य के टेक्सटाईल सेक्टर को 3513 करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त हुआ है। गारमेंट यूनिट के प्लांट एवं मशीनरी में निवेश का 200 प्रतिशत तक का पॉलिसी इंसेंटिव दिया जाता है। प्रदेश में 200 से अधिक रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर एवं इन्दौर में अपैरल डिजाइनिंग सेंटर स्थित है। एनआईएफटी, एनआईडी भोपाल और आईआईआईटीडीएम जबलपुर जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट मध्यप्रदेश के टेक्सटाईल उद्योग की रीढ़ हैं। मप्र में फार्मास्यूटिकल सेक्टर भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। कोरोना काल में यहां की दवाइयां विदेशों में निर्यात की गईं। इन्दौर, देवास, भोपाल, मंडीदीप, मालनपुर और पीथमपुर स्पेशल इकोनॉमिक जोन में फार्मा क्लस्टर है। यहाँ 300 फार्मा एवं मेडिकल यूनिट से 1 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। विक्रम उद्योगपुरी, उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना की गई है। साल 2021 में राज्य से 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का फार्मा निर्यात किया गया। अमेरीका, ब्रिटेन, रूस, जर्मनी, ब्राजील, हॉलैंड सहित विश्व के 160 से अधिक देशों में राज्य में बनने वाली दवाइयाँ निर्यात की जा रही हैं। राज्य को एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त 73 फार्मेसी इंस्टीट्यूट से 9 हजार से अधिक स्किल्ड प्रोफेशनल प्रतिवर्ष प्राप्त हो रहे हैं। फार्मा सेक्टर के विकास और क्षमता को देखते हुए प्रदेश में फार्मा औद्योगिक पार्क की स्थापना का प्रस्ताव भी विचाराधीन है। मध्यप्रदेश में लॉजिस्टिक एवं वेयरहाउसिंग के लिए आदर्श सडक़ें एवं रेल कनेक्टिविटी है। देश के केंद्र में स्थित होने के कारण लॉजिस्टिक का खर्च बेहद कम है। देश की 50 प्रतिशत आबादी मध्यप्रदेश से जुड़ी हुई है। इससे विशाल उपभोक्ता बाजार पर नियंत्रण किया जा सकता है। प्रदेश में 40 एमएमटी की वेयरहाउसिंग और 13.2 एमएमटी की कोल्ड स्टोरेज क्षमता है। भारत सरकार के सहयोग से इंदौर और भोपाल में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण प्रस्तावित है। प्रदेश स्टील साइलो निर्माण के क्षेत्र में भी अग्रणी है। प्रदेश में लॉजिस्टिक एवं वेयरहाउसिंग इकाई, पार्क के लिए आकर्षक इंसेंटिव पॉलिसी है। मप्र अक्षय ऊर्जा के सृजन लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। राज्य की अक्षय ऊर्जा की क्षमता साल 2012 की तुलना में 11 गुना बढ़ गई है। सर्वाधिक सोलर रेडिएशन के कारण राज्य सोलर पॉवर प्लांट स्थापित करने के लिए आदर्श स्थान है। तकनीकी रूप से मजबूत अक्षय ऊर्जा पॉलिसी बनाकर अक्षय ऊर्जा उपकरण निर्माण और इनोवेशन करने वाला पहला राज्य है। अक्षय ऊर्जा का मध्य प्रदेश की ऊर्जा क्षमता में 20 प्रतिशत का योगदान है। साँची को राज्य की पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित किया गया है। विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पार्क (600 मेगावाट) ओंकारेश्वर में प्रस्तावित है। रीवा सोलर पॉवर प्रोजेक्ट को वल्र्ड बैंक ग्रुप प्रेसीडेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
रक्षा क्षेत्र एवं एयरोस्पेस सेक्टर
मप्र रक्षा उपकरण निर्माण के लिए आदर्श राज्य है। यहाँ रेअर अर्थ मेटल प्रोसेसिंग, अनुसंधान एवं विकास ट्रेनिंग के लिए भोपाल में रेयर अर्थ एंड टाइटेनियम थीम प्रस्तावित है। राज्य में 4 पीएसयू जबलपुर और 1-1 पीएसयू कटनी और इटारसी में है। प्रदेश में भारत की पहली निजी क्षेत्र की लघु हथियार निर्माण यूनिट स्थापित की गई है। 5 कॉमर्शियल हवाई अड्डे तथा भोपाल और इंदौर के हवाई अड्डे एमआरओ गतिविधियों के लिए उपयुक्त हैं। यहां इंडस्ट्री एवं सिविल हवाई सेवा के लिए 26 एयर स्ट्रिप हैं। मेगा इन्वेस्टमेंट रीजन के साथ इंदौर के समीप ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रस्तावित है। राज्य में 150 से अधिक ईएसडीएम यूनिट और 220 से अधिक आईटी, आईटीईएस यूनिट मौजूद हैं। राज्य में 4 स्पेशल आईटी इकोनॉमिक जोन, 10 आईटी पार्क, 2 मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर मौजूद हैं। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर में हर तरह की सुविधाओं से युक्त बुनियादी ढांचा है। राज्य में आईआईटी, आईआईएम, आईआईएसईआर, आईआईटीएम जैसे 330 से अधिक तकनीकी इंस्टीट्यूट स्किल्ड प्रोफेशनल को तैयार कर रहे हैं। राज्य में जीवन जीने के लिए बेहतरीन माहौल उपलब्ध है। इन्दौर और भोपाल देश के 10 सबसे स्वच्छ शहरों में शामिल हैं। उचित दर पर 24ङ्ग7 निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुविधा है। यहाँ लो रिस्क सीस्मिक जोन के कारण डाटा सेंटर स्थापित करने के लिए आदर्श स्थिति है। मध्यप्रदेश की स्टार्ट अप पॉलिसी 2022 के तहत राज्य में स्टार्ट अप्स को बढ़ावा दिया जा रहा है। उत्पाद आधारित स्टार्ट अप को विशेष सहायता दी जा रही है। हर तरह के आर्थिक सहयोग और जानकारी के लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है। राज्य में 2500 से अधिक डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट अप्स और 45 से अधिक इनक्यूबेटर सेंटर स्थित है। महिला उद्यमियों द्वारा 1100 से अधिक स्टार्ट अप संचालित किये जा रहे हैं। राज्य में 26 लाख से अधिक एमएसएमई इकाईयाँ हैं जिनका राज्य की जीडीपी में 25.68 प्रतिशत योगदान है।
प्रदेश में लगभग 29 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा
शिवराज ने कहा कि अगर किसी के पास रहने की जमीन नहीं है तो उसकी, उसके परिवार की, उसके बच्चों की जिंदगी कैसे कटती होगी..? कई जगह वह किसी दूसरे की जमीन पर रहते थे तो दादागिरी होती थी। हमारी बात मान नहीं तो चल, अब यह जमीन तो मेरी है। सुनो, मेरे गरीब बहनों और भाइयों.. मध्यप्रदेश की धरती पर पूरे मध्यप्रदेश में कोई गरीब जमीन के बिना नहीं रहेगा। एक तरफ उद्योगों के लिए जमीन थे तो वही हम गरीबों को जमीन क्यों नहीं देंगे। आज 421 एकड़ जमीन सिंगरौली के गरीबों को बांटी जा रही है। मध्यप्रदेश में सवा लाख पदों पर सरकारी भर्तियां जारी हैं। अभी इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट संपन्न हुई, इससे 15 लाख 42 हजार करोड़ से अधिक का निवेश आएगा और सिंगरौली में भी निवेश होगा। इनसे प्रदेश में लगभग 29 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। मप्र में एन साल में रोजगार की बहार आने वाली है। सरकारी के साथ ही प्राइवेट कंपनियों में नौकरियों का द्वार खुलने वाला है। इसको देखते हुए रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराने वाले युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। आलम यह है की 3 माह में 2.29 लाख नए युवाओं ने पंजीयन कराए हैं। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा एक लाख पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने से प्रदेश के हर युवा को नौकरी मिलने की उम्मीद जागी है। रोजगार कार्यालय में इस समय पंजीयन कराने के लिए रोज भीड़ लग रही है। नौकरी मिलने की उम्मीद अकेले शाश्वत कुमार को ही नहीं हैं बल्कि रोजगार कार्यालयों में दर्ज हो चुके 29 लाख से अधिक (25 दिसंबर 2022 तक) युवाओं को भी है। भर्ती विज्ञापन निकलने के बाद से रोजगार कार्यालयों में हर दिन पंजीयन को लेकर भीड़ लग रही है। राज्य सरकार ने रोजगार पंजीयन पोर्टल की शुरुआत की है। इसके माध्यम से करीब तीन माह में 2.29 लाख नए पंजीयन हो चुके हैं। प्रदेश में रोजगार को लेकर राज्य सरकार लगाता प्रयास कर रही है। युवाओं को स्वरोजगार से जोडऩे के लिए स्ट्रीट वेंडर योजना, मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के साथ बैंक से लोन लेकर एमएसएमई के तहत इकाइयां प्रारंभ करने की सुविधा दी गई है। हर माह रोजगार मेलों के माध्यम से निजी संस्थाओं और उद्योगों में रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं।