गेंहू उपार्जन में फिर बन सकता है मप्र सिरमौर

  • मोहन सरकार की प्रोत्साहन राशि का असर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
 मप्र एक बार फिर गेंहू उपार्जन के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा  है। बीते साल की असफलता को पीछे छोड़ते हुए प्रदेश इस समय सरकारी खरीदी के मामले में देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। दरअसल इस बार मोहन सरकार की प्रोत्साहन राशि किसानों को ऐसी पसंद आयी की उनके द्वारा बाजार में गेंहू बेचने की जगह सरकारी खरीदी केन्द्रों पर बेचना फिर से शुरू कर दिया गया है।  प्रदेश में इस बार अब तक 77 लाख 74 हजार मीट्रिक टन गेहूं की रिकार्ड खरीदी की जा चुकी है। अगर इसकी तुलना बीते साल से की जाए तो करीब  29.36 लाख मीट्रिक टन अधिक गेंहू की खरीदी अब तक हो चुकी है।  प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि इस वर्ष प्रदेश के लगभग 9 लाख किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेची है। यह प्रदेश सरकार की किसान-मित्र नीतियों का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
गेहूं खरीदी दर में वृद्धि
केंद्र सरकार ने इस वर्ष गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया था, जिसके ऊपर राज्य सरकार ने 175 रुपये प्रति क्विंटल बोनस प्रदान कर किसानों को कुल 2600 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर भुगतान सुनिश्चित किया गया। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के इस निर्णय ने किसानों को समर्थन मूल्य केंद्रों की ओर आकर्षित किया और उन्होंने खुले मन से सरकार को अपनी उपज बेची।
खाद्य मंत्री राजपूत का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने कृषि को केवल एक आजीविका नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला माना है। बोनस योजना जैसे निर्णय किसानों के प्रति राज्य सरकार की संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा, यह केवल गेहूँ उपार्जन नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत और सरकार के विश्वास का फल है।  राजपूत ने कहा कि खेती-किसानी में अग्रणी भूमिका निभाने वाले मध्यप्रदेश ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि यदि सरकार की नीयत स्पष्ट हो तो कृषि क्षेत्र में कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं होता।
भंडारण और भुगतान व्यवस्था में सुधार
खाद्य मंत्री ने बताया कि अब तक उपार्जित गेहूं में से 73 लाख 51 हजार मीट्रिक टन से अधिक का सुरक्षित भंडारण राज्य सरकार द्वारा किया जा चुका है। इसके साथ ही किसानों को उनकी उपज का समय पर भुगतान भी प्राथमिकता से किया जा रहा है। अब तक किसानों के खातों में 17 हजार 870 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अंतरित की जा चुकी है, जो इस बात का प्रमाण है कि राज्य सरकार ने केवल उपज ही नहीं ली, बल्कि किसानों को उसका उचित मूल्य भी दिया है।

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