
- मप्र स्कूल शिक्षा विभाग का कमाल
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पिछले कुछ सालों के दौरान मप्र स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश में साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए अभियान चला रखा है। इस अभियान के तहत हर आयु वर्ग को साक्षर किया जा रहा है। इसका असर यह हुआ है कि मप्र ने केरल, आंध्रप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। गौरतलब है कि अपनी विशाल और विविध जनसंख्या के साथ, भारत साक्षरता दर में सुधार के एक महत्वपूर्ण चरण में है। साक्षरता दर का अध्ययन हमें किसी राष्ट्र और राज्य की स्कूली शिक्षा के बारे में बताता है और हमें ऐसी निष्पक्ष नीतियां बनाने में मदद करता है जो उसे समृद्ध बनाने में मदद करें। साक्षरता दर का आंकड़ा यह मापता है कि किसी देश में कितने लोग पढ़-लिख सकते हैं। इससे लोगों को जागरूक बनाने और एक समृद्ध राष्ट्र बनाने में मदद मिलती है।
इसी उद्देश्य से वर्ष 2014 से विभिन्न कार्यक्रमों चलाए गए जिसमें मप्र के स्कूल शिक्षा विभाग का काम सबसे आगे आया है। भारत सरकार के साक्षरता दर कार्यक्रम (लिट्रेसी प्रोग्राम) में मप्र ने केरल, आंध्रप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों को पीछे छोड़ा है। विभाग में अधिकारियों का दावा है कि हम शत-प्रतिशत दर हासिल करने के करीब है। दो साल में यह सफलता मिल जाएगी। हर व्यक्ति शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़े। नतीजतन साल 2014 से भारत सरकार ने हर राज्य में विभिन्न शिक्षा उन्नयन के प्रोग्राम चलाये। जिसमें 15 साल के किशारे से लेकर 90 साल तक के ऐसे बुजुर्गों को परीक्षा में शामिल करने का प्रावधान है। जिनका या तो कभी स्कूलों दाखिला नहीं हुआ। या फिर बीच में ही शाला त्यागी हो चुके हैं।
असाक्षर को बनाया जा रहा साक्षर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधान अनुसार वर्ष 2023 तक देश को संपूर्ण साक्षर करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने लक्ष्य दिया था। केन्द्र शासन के निर्देशानुसार प्रदेश के समस्त शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में 15 से 25 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के व्यस्क व्यक्तियों का परीक्षा में बैठाया गया था। यह वह लोग हैं जो औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए हैं। या यह शिक्षा प्राप्त करने की उम्र पार कर चुके हैं। उनकी निरक्षरता उन्मूलन के लिए 1 अप्रेल 2022 से उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम संचालित किया गया था। तब से मप्र ने संतोषजनक काम किया है। साल 2011 के उपरांत मप्र में साक्षरता दर वृद्धि के लिए अनेक योजनाएं संचालित की गई। साल 2011 की जनगणना के उपरांत असाक्षरों की संख्या 1, 89,65, 583 थी। इसके बाद साक्षरता दर बढ़ाने का कार्यक्रम चलाया गया। केन्द्र ने समस्त राज्यों के साथ-साथ मप्र में वर्ष 2014 से 2018 की अवधि तक साक्षर भारत अभियान चलाया। इस परीक्षा में 56,47,415 असाक्षर शामिल हुए थे। जिनमें 94,41 654 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए। दो साल बाद 2021 से 2022 तक पढऩा-लिखना अभियान चला, जिसमें 6, 88, 617 ऐसे लोग शामिल हुए, जो कभी या तो स्कूल गये ही नहीं, या फिर बीच में ही शाला छोड़ दी। वर्ष 2022 से तीसरा प्रोग्राम नव भारत साक्षरता के रूप में चलाया गया। यह कार्यक्रम साल 2017 तक प्रस्तावित है। अभी तक इस परीक्षा में 65, 15, 779 असाक्षर सम्मिलित हो चुके हैं। इसमें 56,78,411 उत्तीर्ण हो चुके हैं।
साक्षरता दर में उत्तरोतर प्रगति
राज्य शिक्षा केन्द्र के अनुसार राज्य में साल 2011 की जनगणना के अनुसार 1 करोड़ 89 लाख, 65 हजार 583 असाक्षर थे। जिनमें से इन तीन प्रोग्रामों के अधीन 1 करोड़ 11 लाख 22 हजार 463 उत्तीर्ण हो चुके हैं। 78 लाख 43 हजार 120 असाक्षर शेष रह गये हैं। इनको साक्षर करने के लिए काम चल रहा है। वर्ष 2027 तक अभी नव भारत साक्षर अभियान के तहत परीक्षाएं होना शेष है। जिमसें इन्हें सम्मिलत किया जा रहा है। इसके लिए हर जिला स्तर पर काम चल रहा है। कंट्रोलर नव भारत साक्षरता अभियान राज्य शिक्षा केन्द्र राकेश दुबे का कहना है कि साक्षरता दर में उत्तरोतर प्रगति हो रही है। साक्षरता दर बढ़ाने के हर प्रोग्राम में मप्र ने सर्वाधिक काम किया है। नव भारत साक्षरता अभियान में भी हमें लक्ष्य के अनुसार सफलता मिल रही है।