सडक़ हादसों का प्रदेश बना मध्यप्रदेश

सडक़ हादसों
  • सडक़ दुर्घटना में मप्र देश में नंबर दो…

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सडक़ हादसों का प्रदेश बन गया है।  सरकार के प्रयासों के बाद भी देश में रोड एक्सीडेंट के मामले में मप्र दूसरे नंबर पर है। ओवरस्पीड और लापरवाही की वजह से सडक़ हादसों में लोगों की जान जा रही है। जबकि सडक़ दुर्घटना में मृत्यु में चौथा स्थान है। इन आंकड़ों को गंभीरता से लेते हुए मप्र राज्य सडक़ सुरक्षा परिषद की बैठक आयोजित की गई है। बैठक की अध्यक्षता सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई। बैठक में सडक़ दुर्घटनाओं को कम करने और रोड इंजीनियरिंग पर बात की गई।  बैठक में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह और स्वास्थ्य मंत्री प्रमुराम चौधरी, एसीएस होम राजेश राजौरा मुख्य रूप में मौजूद रहे।  
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 और 2021 में हुई सडक़ दुर्घटना के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो तमिलनाडु के बाद मप्र दूसरे स्थान पर है। मप्र में वर्ष 2020 में 45266 और 2021 में 48877 दुर्घटनाएं हुईं। देश में 3.54 लाख सडक़ दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.33 लाख लोगों जान चली गयी। इनमें 56.6 प्रतिशत मौतें ओवरस्पीड की वजह से हुईं। साथ ही 26.4 प्रतिशत मौतें ड्राइवर की लापरवाही और ओवरटेक करने की वजह से हुईं।
ओवर स्पीड और लापरवाही से बढ़े हादसे
देशभर में ओवर स्पीड और लापरवाही की वजह से 83 फीसदी लोगों की सडक़ हादसों में जान गई है। ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना भी सडक़ हादसे की मुख्य वजह बन गई है। इसलिए ट्रैफिक नियमों को अब शिक्षा के साथ पढ़ाया जा रहा है। लोगों को जागरुक किया जा रहा है। ट्रैफिक पुलिस नियम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ चालान काटती है। लेकिन इसके बावजूद भी ओवर स्पीड और लापरवाही की वजह से सबसे ज्यादा मौत हो रही हैं। वर्ष 2021 में हुई सडक़ दुर्घटनाओं में 5742 दो पहिया  वाहन चालकों की मौत हुई है। इनमें 4199 ऐसे चालक थे जिन्होंने हेलमेट नहीं लगाया था। इसलिए सुरक्षा के लिहाज से दो पहिया वाहन चालक को हेलमेट लगाना भी जरूरी माना गया है। यदि तीन साल यानी वर्ष 2020, 2021 और 2022 के सडक़ दुर्घटनाओं पर नजर डाली जाए तो साल दर साल घायल और मृतकों की संख्या में इजाफा हुआ है। जोकि गंभीर है। वर्ष 2020 में जहां सडक़ दुर्घटनाएं 45266 थीं, वर्ष 2022 में बढक़र 54432 पहुंच गई।
हर 10 मिनट में एक दुर्घटना
मप्र में सडक़ सुरक्षा को लेकर हर साल सडक़ सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया जाता है। वहीं साल भर जागरूकता कार्यक्रम चलते रहते हैं। इसके बाद भी प्रदेश में हर 10 मिनट में एक दुर्घटना हो रही हैं। वहीं 43 मिनट में एक मौत हो रही है। देश में सडक़ दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में मप्र चौथे तरह समय की बात की जाए तो मरने वाले दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे और शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच होने वाली दुर्घटनाएं हैं। इनमें 71 फीसदी 18 से 45 साल के लोग हैं, जिनकी सडक़ दुर्घटनाओं में मौत हुई है। यह आंकड़ा वर्ष 2021 में हुई सडक़ दुर्घटनाओं के आधार पर सामने आया है। प्रदेश के जिलों की बात की जाए तो सबसे अधिक सडक़ दुर्घटनाएं जबलपुर, इंदौर (शहर), भोपाल (शहर) के बाद धार में बीते वर्ष में हुई हैं। प्रदेश भर में विभागवार ब्लैक स्पॉट में एनएचएआई के 155, एमपीआरडीसी के 140, पीडब्ल्यूडी (एनएच) के 60 हैं। प्रदेश में कुल 395 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस विभाग या अन्य विभागों द्वारा सडक़ सुरक्षा या यातायात के नियमों के बारे में लोगों को जागरूक नहीं किया गया, लेकिन लगातार बढ़ रही सडक़ दुर्घटनाएं और उसमें मरने वालों की संख्या चिंताजनक है।

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